जम्मू में प्रशासन ने एक तिहाई वाहन चलाने की बनाई रणनीति, ट्रांसपोर्टरों ने विरोध जताया
ट्रांसपोर्टरों ने यह भी साफ किया कि 50 प्रतिशत सवारियों को लेकर एक तिहाई यात्री वाहन चलाना संभव नहीं है।
जम्मू, जागरण संवाददाता । प्रशासन ने भले ही अनलॉक 1 में शहर के विभिन्न रूटाें पर एक तिहाई यात्री वाहन दौड़ाने की रूपरेखा तैयार कर ली है लेकिन ट्रांसपोर्टरों ने इसे सिरे से नकारते हुए साफ किया कि जब तक दस जून को आयोजित होने वाली दूसरे चरण की बैठक में पचास प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाने सहित अन्य मांगाें को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वे गाड़ियों को सड़क पर नहीं उतारेंगे। ट्रांसपोर्टरों ने यह भी साफ किया कि 50 प्रतिशत सवारियों को लेकर एक तिहाई यात्री वाहन चलाना संभव नहीं है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर सभी रूटों पर निर्धारित से एक तिहाई वाहन ही चलेंगे तो एक गाड़ी का नंबर तीसरे या चौथे दिन दोबारा आएगा जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
प्रशासन की ओर से शहर के विभिन्न रूटाें पर यात्री वाहनों की संख्या को लेकर सूची जारी की गई है। इस सूची में पांच जून को डिप्टी कमिश्रनर जम्मू के चैंबर में आयोजित बैठक का हवाला दिया गया है। काेरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद से ही सड़कों से यात्री वाहन गायब हैं जबकि ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि तीन तीन महीने से अपनी गाड़ियों की किश्तें भी जमा नहीं करवा पाएं हैं। उधर प्रशासन अनलॉक 1 में यात्री गाड़ियों को चलाकर जनजीवन को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है लेकिन ट्रांसपोर्टर इसके लिए तैयार नहीं हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि उनके नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने किसी पैकेज की घोषणा भी नहीं की है जबकि सबसे ज्यादा नुकसान इस कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट वगर् को ही हुआ है।
घाटे में गाड़ी चलाना मंजूर नहीं
जम्मू : आल जेएंडके ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव विजय शर्मा का कहना है कि हर बार ट्रांसपोर्टरों से भेदभाव होता आया है। एक तिहाई यात्री वाहन दौड़ाना संभव नहीं है। इससे तो वाहन नहीं दौडाने में ही समझदारी है। वाहन का खचर् भी पूरा नहीं होगा।
मिनी बस चल ही नहीं सकती
जम्मू : मिनीबस वर्कर्स यूनियन के प्रधान विजय सिंह चिब का कहना है कि पहले तो सरकार को पच्चास प्रतिशत किरायों में इजाफा करना होगा। इसके उपरांत ही मिनी बस चलाने बारे सोचा जा सकता है। अभी तो दूसरे चरण की बैठक होना बाकी है।ट्रांसपोर्टर पहले ही लॉकडाउन में काफी नुकसान उठा चुके हैं लेकिन अब घाटे में गाड़ी चलाना मंजूर नहीं है। दस जून को हमारी ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हैं। हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि किराए में पचास प्रतिशत वृद्धि के बगैर गाड़ियों को नहीं चलाएंगे। अब गेंद सरकार के पाले में हैं।
ट्रांसपोर्टरों की मांगें
- सड़कों पर यात्री वाहनों को दौड़ाने की अनुमति मिले
- यात्री किरायों में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाए
- अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरह टोल प्लाजा और पैसेंजर टैक्स फीस माफ हो
- एक वर्ष के लिए ऋण पर लिए गए वाहनों की किश्त ब्याज सहित माफ हो
- सभी प्रकार के वाहन टैक्स और फीस एक वर्ष के लिए माफ हो
- अड्डा और पार्किंग फीस खत्म की जाए
- बीएस-4 वाहनों के पंजीकरण की तिथि को बढ़ाया जाए
- रेडियो टैक्सी दौड़ाने पर प्रतिबंध लगाया जाए
- सरकार द्वारा भाड़े पर विभिन्न आयोजनों के लिए ली गई बसों की सभी बकाया पेमेंट जारी की जाए
- मिनी बसों और आॅटो रिक्शा के लिए अलग से पार्किंग बनाई जाए
- रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर यात्री वाहनों से वसूली जाने वाली पार्किंग फीस कम की जाए
- ड्राइविंग लाइसेंस के रेन्यु के दौरान वसूले जाने वाली दोगुनी फीस कम की जाए
- फिटनेस सर्टिफिकेट की फीस माफ की जाए
- आरटीओ कार्यालय में कमर्शियल वाहनों के लिए अलग से काउंटर खोला जाए