Jammu and Kashmir: आतंकी पैदा कर रहा शोपियां का एक धार्मिक स्कूल, 13 छात्र बन चुके हैं आतंकी
इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र दक्षिण कश्मीर के कुलगाम पुलवामा और अनंतनाग जिलों से हैं। खुफिया एजेंसियां इन क्षेत्रों को आतंकवाद के लिहाज से संवेदनशील मानती हैं। इन जिलों के कई युवा गुमराह होकर आतंकी बन चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। दक्षिण कश्मीर के आतंकग्रस्त जिले शोपियां का एक धार्मिक स्कूल (मदरसा) अचानक जांच एजेंसियों के राडार पर आया है। यहां से पढ़े 13 विद्यार्थी आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। वहीं, कई छात्र ओवरग्राउंड वर्कर, पथराव, हालात बिगाड़ने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने में संलिप्त पाए गए हैं। वर्ष 2019 में पुलवामा में आत्मघाती हमले में शामिल आतंकी सज्जाद भट ने भी इसी स्कूल से पढ़ाई की थी।
कई छात्र पथराव, कानून व्यवस्था बिगाड़ने में संलिप्त भी पाए गए
अधिकारियों के मुताबिक इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र दक्षिण कश्मीर के कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग जिलों से हैं। खुफिया एजेंसियां इन क्षेत्रों को आतंकवाद के लिहाज से संवेदनशील मानती हैं। इन जिलों के कई युवा गुमराह होकर आतंकी बन चुके हैं। यही नहीं इस स्कूल में उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना के छात्र भी पढ़ते रहे हैं। वहीं, अनुच्छेद-370 हटने के बाद से उनकी संख्या लगभग न के बराबर हो गई है।
अधिकांश छात्र दक्षिण कश्मीर के कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग के
अधिकारियों के अनुसार, स्कूल के अधिकांश छात्र और शिक्षक आतंकवादग्रस्त जिलों के हैं। इसलिए वहां आतंकवाद की विचारधारा पनप रही हो सकती है। इससे दूसरी जगहों से आए बच्चों पर असर होने की आशंका है। इन क्षेत्रों में होने वाली मुठभेड़ों, बाहर के माहौल, स्थानीय लोग, आतंकी संबंधी गतिविधियों से आतंक की विचारधारा को बल मिलता है। बता दें कि पिछले साल 14 फरवरी को जब सीआरपीएफ काफिले पर हमला हुआ था तो जांच में पता चला कि हमले में इस्तेमाल वाहन कामालिक सज्जाद भट ने भी शोपियां के इसी धार्मिक स्कूल में पढ़ाई की थी।
इस साल अगस्त में मारा गया अल बदर का कमांडर जुबेर नेगरू भी इसी स्कूल का पढ़ चुका है। एजेंसियों की आतंरिक रिपोर्ट के अनुसार, 13 आतंकी और सैकड़ों ओवरग्राउंड वर्कर इसी स्कूल के छात्र रहे हैं। हाल ही में बारामुला का एक युवक भी स्कूल से वापस घर आते समय गायब हो गया था। बाद में पता चला कि वह आतंकी संगठन में शामिल हो चुका है। भट और नेगरू के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी नजमीन नजीर डार, एजाज अहमद पाल इसी स्कूल से पढ़े हैं। चार अगस्त को शोपियां में हुई मुठभेड़ में वह मारा गया था।
आतंकी संगठन कर रहे हैं मदद
अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के धार्मिक स्कूल हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मुहम्मद, अल बदर, लश्कर जैसे आतंकी संगठनों की मदद कर रहे हैं। यह संगठन मारे गए आतंकियों को हीरो की तरह पेश करते हैं। इसका असर विद्यार्थियों के दिमाग पर विपरीत पड़ता है। यही नहीं कई विद्यार्थी पत्थरबाजी जैसी घटनाओं में शामिल हैं। यह भी सरकार और सुरक्षाबलों के खिलाफ नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। कई मामलों में पता चला है कि इस तरह के स्कूल छात्रों को आतंकी समूहों में शामिल होने के लिए उकसा रहे हैं।