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Jammu Kashmir: एक ऐसी रेल लाइन, जिसका सफर 111 किलोमीटर, 97 KM का रास्ता सुरंगों-पुलों से गुजरेगा

इस पुल में 195 मीटर का एक खंबा होगा जिसमें 37 से 42 केबल तारें होंगी। इस लाइन पर 27 टनल हैं जिनकी कुल लंबाई 97 किलोमीटर है। इनमें से 4 सुरंगों की लंबाई 9 किलोमीटर से ज्यादा है। अन्य 4 सुरंगें 5 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 08:37 PM (IST)
Jammu Kashmir: एक ऐसी रेल लाइन, जिसका सफर 111 किलोमीटर, 97 KM का रास्ता सुरंगों-पुलों से गुजरेगा
यह रेलमार्ग पूरी तरह से विद्युतीकृत होगा, जिससे इस पर परिचालन की लागत कम होगी

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू संभाग के एक दिवसीय दौरे पर आए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के बारे में बैठक के दौरान जानकारी हासिल की। उन्हें बताया गया कि जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाली ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना अंतिम चरण में है।

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श्रीनगर घाटी को देश से हर मौसम में जोड़ने वाली यह रेल परियोजना 27,949 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही है । भूकंप की दृष्टि से सक्रियता वाले यह हिमालयी क्षेत्र में रेल लाइन का निर्माण करना एक चुनौती रही है । बनिहाल से बारामुला के तीन सेक्शन पहले ही तैयार हो चुके हैं।

कटड़ा-बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर लम्बे चौथे और अंतिम चरण का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस लाइन पर 97 किलोमीटर मार्ग सुरंगों एवं पुल वाला है। इस रेल सेक्शन पर 7 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। यह रेलमार्ग पूरी तरह से विद्युतीकृत होगा, जिससे इस पर परिचालन की लागत कम होगी और यह पर्यावरण अनुकूल होगा ।

इस रेल सेक्शन पर चिनाब पुल और अंजी पुल जैसे चुनौती भरे पुल बनाए जा रहे हैं। चिनाब पुल दरिया से 359 मीटर की ऊँचाई पर बना है। यह पुल बनकर तैयार हो जाने पर यह दुनिया का सबसे ऊँचा पुला होगा। दूसरी ओर अंजी पुल भारत का पहला केबल स्टेड रेल पुल है। इस पुल में 195 मीटर का एक खंबा होगा जिसमें 37 से 42 केबल तारें होंगी। इस लाइन पर 27 टनल हैं जिनकी कुल लंबाई 97 किलोमीटर है। इनमें से 4 सुरंगों की लंबाई 9 किलोमीटर से ज्यादा है। अन्य 4 सुरंगें 5 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है।

अंतर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल के अंतर्गत इन सुरंगों के साथ-साथ एस्केप सुरंगों का निर्माण भी किया जा रहा है । इस परियोजना में बनाई जाने वाली टनल आधुनिक न्यू आस्ट्रियन टनल पद्धति से बनाई जा रही हैं।


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