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उम्र बढ़ी पर जोश वही, 63 वर्षीय वेटरन धावक रामपाल कपूर देश-विदेश में भारत की जीत का ढंका बजा रहे हैं

रामपाल के पिता स्व. गोगा कपूर प्रदेश के नामचीन पहलवान थे। वह शालामार रोड पर स्थित बजरंगी अखाड़ा में अभ्यास करते थे। उन्होंने कई दंगल में भाग लेकर खूब नाम कमाया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 12:57 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 12:57 PM (IST)
उम्र बढ़ी पर जोश वही, 63 वर्षीय वेटरन धावक रामपाल कपूर देश-विदेश में भारत की जीत का ढंका बजा रहे हैं
उम्र बढ़ी पर जोश वही, 63 वर्षीय वेटरन धावक रामपाल कपूर देश-विदेश में भारत की जीत का ढंका बजा रहे हैं

जम्मू, विकास अबरोल। उम्र के जिस पड़ाव में पहुंचकर ज्यादातर धावक अनफिट होकर खेल को अलविदा कह देते हैं, उस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद प्रदेश के 63 वर्षीय वेटरन धावक रामपाल कपूर देश-विदेश में भारत की जीत का ढंका बजा रहे हैं। शहर के सर्कुलर रोड के रहने वाले रामपाल कपूर ने वर्ष 1999 से वेटरन एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया और तब से लेकर आज तक फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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शुरुआत में वर्ष 1999 और 2000 में दो बार वेटरन नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद बीच में 15 वर्ष का लंबा अंतराल स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण पड़ गया। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक आयोजित वेटरन नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग लेकर एक दर्जन से अधिक पदक जीत चुके हैं।

फुटबॉल खेल छोड़कर एथलेटिक्स शुरू की : जेएंडके बैंक से सीनियर अधिकारी पद के सेवानिवृत्त होने वाले रामपाल कपूर ने बताया कि वह 11वीं कक्षा तक फुटबॉल खेलते रहे। कई स्कूल स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर उत्कृष्ट खिलाड़ी भी रह चुके हैं। इसी दौरान फारेस्टर पद के लिए आवेदन करने के बाद उन्होंने दौड़ में भाग लिया, जिसमें उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। इसी दौरान उनकी मुलाकात होशियारपुर के रहने वाले एथलेटिक कोच जोगिंद्र सिंह से हुई। उन्हीं की देखरेख में 1974 से मौलाना आजाद स्टेडियम में उन्होंने अभ्यास करना शुरू कर दिया और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया।

सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक नहीं होने से पदक नहीं जीत पाए : जूनियर और सीनियर नेशनल प्रतियोगिताओं में उनका प्रदर्शन संतोषजनक ही रहा। क्योंकि प्रदेश में सिंथेटिक की एथलेटिक टर्फ नहीं थी। इस वजह से वह हर बार पदक जीतने से कुछ सेकेंड पिछड़ जाते थे। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और प्रदेश सहित अन्य राज्यों में विभिन्न पदों पर तैनात रहते हुए भी अपना अभ्यास जारी रखा। उन्होंने अफसोस जताया कि आज भी प्रदेश के धावकों को सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक नसीब नहीं हुआ है।

पदक जीतने का सपना वेटरन नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में पूरा हुआ : रामपाल कपूर ने सबसे पहले वर्ष 2015 में मुंबई में आयोजित वेटरन एथलेटिक प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उसी साल धर्मशाला में आयोजित वेटरन एथलेटिक प्रतियोगिता में भाग लेकर 5000 मीटर में रजत पदक जीता। फिर वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश के विदिषा में आयोजित प्रतियोगिता के अंतर्गत 10,000 मीटर में रजत पदक, वर्ष 2016, 2017 और 2019 में दिल्ली में आयोजित मैराथन में भाग लेकर कांस्य पदक जीते चुके हैं। वर्ष 2018 में दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर 800 मीटर और 1500 मीटर में रजत पदक जीते जबकि चार गुणा 400 मीटर रिले दौड़ में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। कपूर ने अपने प्रदर्शन में और अधिक निखार लाते हुए जयपुर में वर्ष 2019 में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन किया। उन्होंने 60 वर्ष आयुवर्ग की 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीता जबकि 1500 मीटर और 5000 मीटर में रजत पदक जीते। हाल ही में वर्ष 2020 के फरवरी में पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर 800 मीटर में स्वर्ण पदक और 1500 मीटर में रजत पदक जीतकर प्रदेश के नाम को चार चांद लगाए हैं।

पांच अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भी ले चुके हैं भाग : रामपाल कपूर को पांच बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मैराथन में भारत का प्रतिनिधित्व करने का स्वर्णिम मौका मिल चुका है। उन्होंने वर्ष 2018 में जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित मैराथन में भाग लेकर छठा स्थान हासिल किया। इसी वर्ष उन्होंने जर्मनी के फ्रैंक्फर्ट में आयोजित मैराथन में भाग लिया और उनका प्रदर्शन संतोषजनक रहा। वर्ष 2019 में उन्होंने स्विटजरलैंड में आयोजित 42 किलोमीटर लंबी फुल मैराथन में भाग लेते हुए रिकार्ड समय तीन घंटे और 35 मिनट से लक्ष्य को पूरा किया। इसके बाद फिर जर्मनी के म्यूनिख में भाग लेकर देश और राज्य के नाम को रोशन किया।

मिल्खा से मिलने का मिल चुका है सौभाग्य : देश के नंबर टू वेटरन धावक रामपाल का कहना है कि उन्हें फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह से दो बार चंडीगढ़ में मिलने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। कुछ वर्ष पहले वह किसी काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गए थे तो वहां उनकी दिली इच्छा मिल्खा सिंह से मिलने की हुई। इसके बाद वह मिल्खा सिंह से खुद को मिलने से रोक नहीं सके।

लॉकडाउन में भी करते हैं घर में अभ्यास : इस समय पूरे देश में लॉकडाउन है। ऐसे में वह अपने परिजनों के साथ घर पर रहते हुए हर दिन सुबह और शाम के सत्र में अभ्यास करते हैं। स्ट्रेचिंग और अन्य वार्मअप कर वह स्वयं को फिट रखते हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के उपरांत वह एक बार फिर से नेशनल वेटरन एथलेटिक्स सहित मैराथन में भाग लेने के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं। रामपाल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान घर में ही रहने से उन्हें अभ्यास करने का भरपूर मौका मिला है, जिसका वह सदुपयोग कर रहे हैं।

पिता दंगल में कमा चुके हैं नामः रामपाल के पिता स्व. गोगा कपूर प्रदेश के नामचीन पहलवान थे। वह शालामार रोड पर स्थित बजरंगी अखाड़ा में अभ्यास करते थे। उन्होंने कई दंगल में भाग लेकर खूब नाम कमाया है।

मिट्टी में अभ्यास कर नाम कमा चुके हैं : शरत चंद्र- जेएंडके एमेच्योर एथलेटिक एसोसिएशन के महासचिव शरत चंद्र सिंह का कहना है कि प्रदेश के धावक मिट्टी के मैदान में ही अभ्यास कर रहे हैं, जबकि इसके विपरीत पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला और ऊना में एथलेटिक सिंथेटिक ट्रैक पर अभ्यास कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य व देश के नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि राज्य में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी है, लेकिन सिंथेटिक ट्रैक के अभाव में खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से कुछ सेकेंड की देरी से पदक जीतने से चूक जाते हैं। वर्ष 2019 में पंजाब के संगरूर में 14-15 सितंबर को 31वीं नार्थ जोन जूनियर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में प्रदेश की टीम ने तीन पदक जीते थे। वासु सपोलिया ने एक रजत व दो कांस्य पदक जीते थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स में भी एक रजत पदक जीता था।

कागजों में ही सिमट गया सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक

प्रदेश में पिछले पांच वर्षो से धावकों की सुविधा के लिए सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक बिछाने के लिए तो बड़ी-बड़ी घोषणाएं हो चुकी हैं लेकिन आज तक धावकों को अभ्यास के लिए सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक उपलब्ध करवाना तो दूर इसको लेकर जमीनी सतह पर कामकाज भी शुरू नहीं हो पाया है। जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोटर्स काउंसिल के पूर्व सचिव वाहिद उर रहमान पारा ने वर्ष 2018 के जनवरी महीने में ऐलान किया था कि सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है। प्रदेश को उस समय खेलो इंडिया योजना के तहत राज्य में खेल मैदानों को विकसित करने के लिए करोड़ों रुपए की राशि मिली थी।

करीब 2.5 करोड़ रुपए राशि से स्पोटर्स काउंसिल के इंजीनियरिंग विंग द्वारा जीजीएम साइंस कॅलेज के मैदान में सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक बिछाने का काम शुरू होने वाला था। पूर्व सचिव ने यकीन दिलाया था कि जल्द ही काउंसिल और कॉलेज के बीच सहमति पत्र में हस्ताक्षर होने के उपरांत इसका काम शुरू हो जाएगा लेकिन इसके कुछ समय के उपरांत ही राज्य में राजनीतिक उथल पुथल के उपरांत अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में बदल चुका है लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो पाया है। इसके उपरांत जम्मू यूनिवर्सटिी में भी युवा, सेवा और खेल विभाग के सहयोग से एथलेटिक ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। चूंकि अब लॉकडाउन है और उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होने के उपरांत ही प्रदेश में एथलेटिक का सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो सकेगा। इस संबंध में जम्मू यूनिवर्सटिी के खेल एवं शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. दाउद इकबाल बाबा का कहना है कि जल्द ही प्रदेश के धावकों को सिंथेटिक का एथलेटिक ट्रैक बिछाने की खुशखबरी मिल सकेगी लेकिन इसके लिए अभी कुछ समय लग सकता है। देश में फैले कोरोना वायरस संक्रमण पर रोकथाम और एक बार फिर से खेल गतिविधियां सामान्य होने के उपरांत ही इस दिशा में कदम आगे बढ़ेंगे।

गौरतलब है कि राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मुहम्मद ने 25 जनवरी 1962 को मौलाना आजाद स्टेडियम का उद्घाटन किया था। तब से लेकर वर्ष 2016 तक धावक एमए स्टेडियम के मिट्टी के मैदान में ही अभ्यास करते चले आ रहे थे। चूंकि अब एमए स्टेडियम को पूरी तरह से क्रिकेट मैदान के लिए परिवíतत किया गया है इसलिए खिलाड़ी लॉकडाउन से पहले तक जम्मू यूनिवर्सटिी के मैदान में ही अभ्यास करते आ रहे थे।


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