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शहर के कॉलेजों में कम होगा बोझ, राज्य में 42 नए डिग्री कॉलेज खोले जा रहे

कालेजों को चलाने के लिए सरकार को टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ भी जुटाना है। सरकार ने टीचिंग के करीब दो हजार पदों को भरने के लिए स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन को रेफर किया हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 11:29 AM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 11:29 AM (IST)
शहर के कॉलेजों में कम होगा बोझ, राज्य में 42 नए डिग्री कॉलेज खोले जा रहे
शहर के कॉलेजों में कम होगा बोझ, राज्य में 42 नए डिग्री कॉलेज खोले जा रहे

जम्मू, सतनाम सिंह। राज्य के दूर दराज इलाकों में उच्च शिक्षा पहुंचाने और शहरों में पहले से स्थापित कॉलेजों पर बोझ कम करने के उद्देश्य से 42 नए डिग्री कॉलेज खोले जा रहे हैं। सबसे अधिक जम्मू और ऊधपमुर जिलों में चार चार डिग्री कॉलेज खोले जा रहे है। किश्तवाड़ के दूरदराज के इलाके पाडर में भी कॉलेज खोलने को मंजूरी मिल चुकी है। उच्च शिक्षा विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें करीब बीस कॉलेज अकादमिक सत्र 2019-20 में खोले जा रहे हैं। अन्य कॉलेज सत्र 2020-21 को खोले जाएंगे। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि कौन से कॉलेज इस सत्र से शुरू किए जा रहे हैं।

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हर क्षेत्र से यही मांग है कि इस सत्र से कॉलेज को शुरू कर दिया जाए। जम्मू कश्मीर में पहले 113 डिग्री कालेज है। इनमें भी तीस से अधिक डिग्री कॉलेजों को अभी तक अपनी इमारतें नसीब नहीं हुई है। सरकार नए कॉलेजों को नजदीक हायर सेकेंडरी स्कूलों या किराए की इमारतों को शुरु करेगी। इसके लिए सीमित कंबिनेशन ही शुरूकिए जाएंगे विशेषकर आट्र्स के कांबीनेशन शुरू होंगे। नए कॉलेजों के खुल जाने से दूरदराज इलाकों के विद्यार्थियों को फायदा तो जरूर होगा वहीं शहरों में कालेजों के खुलने से पहले से स्थापित कालेजों पर बोझ कम होगा। शहर में पहले से स्थापित पांच कॉलेजों में शामिल साइंस कॉलेज, मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, महिला कॉलेज गांधी नगर, महिला कालेज परेड में विद्यार्थियों की प्राथमिकता में कमी इसलिए नहीं है क्योंकि जितने कांबीनेशन इन कॉलेजों में उपलब्ध है, उतने कांबीनेशन पिछले सात से लेकर दस साल के अंतराल में खोले गए कालेजों में उपलब्ध नहीं है।

कालेजों को चलाने के लिए सरकार को टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ भी जुटाना है। सरकार ने टीचिंग के करीब दो हजार पदों को भरने के लिए स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन को रेफर किया हुआ है। कांट्रेक्ट पर भी कुछ नियुक्तियां होगी। कश्मीर व जम्मू संभाग के दूरदराज इलाकों में कॉलेज खुलने का आने वाले समय में फायदा यह होगा कि जो शहर जाने के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ जाते थे या शहरों में मेरिट अधिक होने के कारण दाखिला नहीं ले पाते थे, उन विद्यार्थियों को राहत जरूर मिलेगी।

प्रिंसिपलों के पद खाली: जम्मू के साइंस कॉलेज और मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज में इस समय कोई ङ्क्षप्रसिपल नहीं है। साइंस कॉलेज के ङ्क्षप्रसिपल सतेंद्र सिंह 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो गए थे। उसके बाद अभी तक नए ङ्क्षप्रसिपल की नियुक्ति नहीं हो पाई। मौलाना आजाद मेमोरियल कालेज के प्रिंसिपल प्रो. रमेश चंद्र 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद आज तक नए ङ्क्षप्रसिपल की नियुक्ति नहीं की। साइंस कॉलेज में अटैच प्रिंसिपल किरण बख्शी 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुई थी। उच्च शिक्षा विभाग का हाल यह है कि किरण बख्शी को किसी कालेज में भेजा नहीं गया और इस टाल मटोल में वह अटैच ही सेवानिवृत्त हो गई। साइंस कॉलेज और मौलाना आजाद मेमोरियल कालेज में प्रिंसिपलों के न होने से अभी तक स्टाफ को वेतन नहीं मिला है। इससे स्टाफ सदस्य परेशान है।

चुनौती से कम नहीं होगा नए कालेज चलाना: उच्च शिक्षा विभाग के लिए नए कॉलेजों को सुचारु रूप से चलाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। इसका कारण यह है कि ये कॉलेज किराए की इमारतों में खुलेंगे। वहां पर कंबिनेशन सीमित होंगे। बुनियादी ढांचा नहीं होगा इसलिए विद्यार्थियों का रूझान शुरुआती दौर में अधिक नहीं होगा। 


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