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एक साल में 351 लोग मिले एचआइवी पाजीटिव

राज्य ब्यूरो। एक साल में जितने लोगों का परीक्षण किया गया उसमें से 351 लोगों में एचआईवी पाजिटिव पाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 08:29 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 08:29 AM (IST)
एक साल में 351 लोग मिले एचआइवी पाजीटिव
एक साल में 351 लोग मिले एचआइवी पाजीटिव

राज्य ब्यूरो, जम्मू: राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने सोमवार को अधिकारियों के साथ जम्मू-कश्मीर राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने राज्य में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन और इस संबंध में सोसायटी के प्रयासों पर भी चर्चा की। एडस कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. मुश्ताक अहमद राथर ने बताया कि 2018-19 में 351 लोग एचआइवी पाजीटिव पाए गए।

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के छह मुख्य काम हैं। बेसिक सर्विसेज डिवीजन, ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज, टारगेटेड इंटरवेंशन, देखभाल, सहायता और उपचार, निगरानी और मूल्यांकन तथा सूचना शिक्षा और संचार शामिल हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम 2012-19 के तहत, एचआइवी/एड्स के साथ जी रहे सभी व्यक्तियों को व्यापक देखभाल, सहायता और उपचार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। साल 2018-19 के दौरान 86,654 व्यक्तियों का एचआइवी परीक्षण किया गया, जिनमें से 351 एचआइवी पाजीटिव मिले। गर्भवती महिलाओं में 86,330 एचआइवी परीक्षण किए गए, जिसमें से 13 इस बीमारी से संक्रमित पाई गई। बैठक में वित्त आयुक्त स्वास्थ्य अटल ढुल्लू व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

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राज्य में 35 ब्लड बैंक, पांच और खुलेंगे

ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज के बारे में समीक्षा बैठक में बताया गया कि वर्तमान में राज्य में कुल 35 ब्लड बैंक हैं, जिनमें 23 नैको, चा निजी, चार सेना और चार का राज्य में अन्य स्वास्थ्य संस्थान संचालन कर रहे हैं। सलाहकार को बताया गया कि विभाग सांबा, रियासी, बांडीपोरा, गांदरबल और शोपियां में ब्लड बैंक स्थापित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। बैठक में स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन कांउसिल की भूमिका पर भी चर्चा की गई, जो राज्य में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने और ब्लड बैंकों की निगरानी से संबंधित गतिविधियों से संबंधित है। बैठक में बताया गया कि साल 2018-19 के दौरान कुल 73,572 ब्लड यूनिट एकत्र किए गए, जिनमें से 62,896 स्वैच्छिक दान से आए।

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जेलों में हो रहे टेस्ट

प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. मुश्ताक अहमद राथर ने बताया कि राज्य की जेलों में बंद कैदियों के भी एचआइवी टेस्ट हो रहे हैं। इसके साथ गैर सरकारी संगठन 'साथी' का भी सहयोग लिया जा रहा है। इन कैदियों के टयूबर कुलोसिस टेस्ट भी हो रहे हैं। सलाहकार ने सभी एचआइवी पाजीटिव लोगों की बेहतर देखभाल करने को कहा। सलाहकार को बताया गया कि सभी मरीजों का नि:शुल्क इलाज होता है। उन्हें 6000 रुपये वार्षिक सहायता भी दी जाती है।

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