Move to Jagran APP

जम्मू कश्मीर में 250 आतंकी सक्रिय, इस वर्ष 142 आतंकी मारे जा चुके हैं

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (केरिपुब) के महानिदेशक आरआर भटनागर ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाजी को सबसे बड़ी चुनौती बताया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 08:14 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 08:14 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में 250 आतंकी सक्रिय, इस वर्ष 142 आतंकी मारे जा चुके हैं
जम्मू कश्मीर में 250 आतंकी सक्रिय, इस वर्ष 142 आतंकी मारे जा चुके हैं

जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (केरिपुब) के महानिदेशक आरआर भटनागर ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाजी को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 250 आतंकी सक्रिय हैं। सीमा पार से घुसपैठ और स्थानीय स्तर पर भर्ती जारी है।

loksabha election banner

भटनागर ने कहा कि कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों में सुरक्षाबलों के खिलाफ एफआइआर से जवानों और अधिकारियों के मनोबल पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता। सभी को पता है कि यह कानूनी प्रक्रिया है। 33वीं वाहिनी के मुख्यालय में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में ही नहीं देश में कहीं भी सुरक्षाबलों को कानून का संरक्षण प्राप्त है। वादी में युवकों में धर्मांंध मानसिकता पर काबू पाने और आतंकी संगठनों में उनकी भर्ती रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मददगार के नाम से एक हेल्पलाइन भी शुरू की गई है।

युवाओं और किशोरों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था के अलावा उनके लिए कई खेल गतिविधियां व भारत दर्शन जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। ईद के दिन कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों और एक भाजपा नेता की हत्या के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस वर्ष 142 आतंकी मारे जा चुके हैं। कल भी अनंतनाग में एक आतंकी मारा गया है। इससे आतंकी और उनके कमांडर हताश हो चुके हैं। इसलिए वह पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों का मनोबल गिराने के लिए निहत्थे पुलिसकर्मियों की हत्या कर रहे हैं।

पत्थरबाजों से निपटने और कानून व्यवस्था की स्थिति में नागरिक क्षति से बचने के उपायों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 से अब तक वादी में पत्थरबाजों से निपटते हुए जख्मी होने वाले जवानों और अधिकारियों की संख्या में बहुत कमी आई है। हमने प्रशिक्षण में व्यापक सुधार करने के अलावा गैर घातक हथियार व उपकरण का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। आबादी वाले इलाकों में शिविरों की मौजूदगी पर उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हमारे करीब 400 बड़े शिविर हैं।

राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जानी वाली जगह पर ही यह शिविर बनते हैं। नागरिक इलाकों में शिविरों को शरारती तत्वों के हमले से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। यही कारण है कि कुछ समय से कोई बड़ा आत्मघाती हमला कामयाब नहीं हो पाया है।

नक्सली हिंसा में 40 फीसद की कमीडीजी आरआर भटनागर ने कहा कि केरिपुब न सिर्फ कश्मीर बल्कि पूर्वोत्तर और देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी विभिन्न मोर्चो पर लड़ रही है। नक्सली हिंसा पर बहुत हद तक काबू पाया गया है। इसमें 40 फीसद तक कमी आई है। हम उन इलाकों में अपने शिविर स्थापित कर रहे हैं, जो नक्सलियों का गढ़ माने जाते हैं। आतंकवाद व नक्सलवाद के खिलाफ केरिपुब की भूमिका उल्लेखनीय है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारे जवानों व अधिकारियों को पांच शौर्य चक्रों सहित 96 वीरता पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

कड़ी सुरक्षा के चलते आतंकी खलल नहीं डाल सके

बाबा अमरनाथ की यात्रा के बारे में भटनागर ने कहा कि इसे सुरक्षित और शांतिपूर्ण हालात में संपन्न कराना बहुत बड़ी चुनौती है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते आतंकी इसमें खलल नहीं डाल पाए। अब तक करीब 2.8 लाख श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं, जो एक रिकॉर्ड है। श्री माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा पर केरिपुब के जवान मौजूद हैं। हम आतंकी खतरे के इनपुट की समीक्षा कर सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करते रहते हैं।

उत्तरी क्षेत्र में शुरू की गई ई-टिकट की सुविधा जवानों और अधिकारियों के कल्याण संबंधी कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए भटनागर ने बताया कि फिलहाल ई-टिकट की सुविधा उत्तरी क्षेत्र में शुरू की गई है। एक माह के भीतर यह पूरे संगठन में उपलब्ध होगी। भूतपूर्व केरिपुब के कर्मियों व अधिकारियों के पेंशन व अन्य मामलों के हल करने के लिए भी विशेष प्रकोष्ठ बनाए जा रहे हैं। पेंशन अदालतों का आयोजन किया जा रहा है। केरिपुब की कैंटीन को भी सैन्य कैंटीन की तरह जीएसटी में 50 फीसद की छूट मिले, इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को लिखा गया है। शहीदों के परिजनों के लिए मुआवजा राशि एक करोड़ रुपये किया गया है।

सरकार बदलने से कोई फर्क नहीं

डीजी आरआर भटनागर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में निर्वाचित सरकार के रहने पर और उसके भंग होने के बाद राज्यपाल शासन के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने और आतंकरोधी अभियानों की रणनीति में कोई फर्क नहीं है। हम पहले भी एकीकृत मुख्यालय के तहत यहां काम कर रहे थे और आज भी सुरक्षा एजेंसियां पूरे समन्वय के साथ कानून के दायरे में रहते हुए काम को अंजाम दे रही हैं।

पंचायत चुनाव के लिए भी हैं तैयार

आरआर भटनागर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अभी निकाय और पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन इन चुनावों के संदर्भ में हमें जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी तरह निभाएंगे। हम किसी भी चुनौती से निपटने में समर्थ हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.