Smart City Jammu : मैला ढोहने से स्मार्ट सिटी का सफर तय नहीं कर पाया जम्मू, 85% आबादी आज भी सीवरेज से नहीं जुड़ी
Smart City Jammu जम्मू शहर के दो विधानसभा क्षेत्रों में सीवरेज पर करीब 220 करोड़ खर्चने के बाद भी लोग बेबस हैं। सबसे पहले तालाब तिल्लो क्षेत्र में अरबन इंवायरंमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (यूईईडी) ने करीब तीस वर्ष पहले सीवरेज शुरू की थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : सिर पर मैला ढोहने की प्रथा बेशक खत्म हो गई हो लेकिन जम्मू-कश्मीर आज भी इससे अछूता नहीं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब सिर के बजाय टैंकरों से मैला ढोहया जाता है। जम्मू शहर का करीब 85 प्रतिशत क्षेत्र आज भी सीवरेज से नहीं जुड़ सका है। पुराने शहर में आज भी मल-मूत्र नालियों में जाता है। शहर के शेष क्षेत्रों में सैप्टिक टैंक तो बनाए गए हैं लेकिन इन्हें समय-समय पर खाली करवाना पड़ता है।
करीब 20 लाख आबादी वाले जम्मू शहर चार विधानसभा क्षेत्रों में बंटा हुआ है। इसमें से सिर्फ जम्मू पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का कुछ हिस्सा ही आज तक सीवरेज से जुड़ा सका है। पुरानी सरकारों की अनदेखी के चलते सीवरेज के लिए कोई प्रभावी प्रोजेक्ट ही नहीं बने। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जम्मू पूर्व में वर्ष 2012-13 में शुरू किया गया सीवरेज प्रोजेक्ट फंड्स के अभाव में दो वर्ष में ही बंद हो गया।
अब भाजपा नेतृत्व के प्रयासों से यह प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ है। जम्मू पश्चिम में इक्नामिक रिकंस्ट्रशन एजेंसी (ईरा) ने सीवरेज प्रोजेक्ट को पूरा तो किया लेकिन अभी भी बहुत से क्षेत्र इससे अछूते रहे गए हैं। इनमें आनंद नगर, न्यू प्लाट, उदयवाला, कबीर कालोनी, कर्नल कालोनी, सूर्य विहार, जानीपुर कालोनी के कुछ क्षेत्र प्रमुख हैं। गांधीनगर विधानसभा और रायपुर दोमाना विधानसभा के जो क्षेत्र शहर में आते हैं, वहां कोई प्राेजेक्ट ही शुरू नहीं हो सका।
करोड़ों खर्चने के बाद भी बेबस लोग: जम्मू शहर के दो विधानसभा क्षेत्रों में सीवरेज पर करीब 220 करोड़ खर्चने के बाद भी लोग बेबस हैं। सबसे पहले तालाब तिल्लो क्षेत्र में अरबन इंवायरंमेंट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (यूईईडी) ने करीब तीस वर्ष पहले सीवरेज शुरू की थी। तब यहां करीब 32 हजार किलोमीटर सीवरेज की पाइपें डाली गईं। तालाब तिल्लो के क्षेत्र वासियों को काफी राहत मिली लेकिन इसका सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कुछ साल पहले बंद हो गया। अब इन मुहल्लों का मूल-मूत्र भी ईरा और एनबीसीसी द्वारा बाद में बनाए गए एसटीपी में डाला जा रहा है। तालाब तिल्लो क्षेत्र के विभिन्न मुहल्लों में आए दिन सीवरेज चोक होती है और फिर दिक्कतें होने लगती है। जम्मू पश्चिम में दो साल पहले ही सीवरेज का प्रोजेक्ट पूरा किया गया है। यहां भी कई स्थानों पर सीवरेज लीकेज की दिक्कत होती है। अधिकारी इसे लोगों में जागरुकता का अभाव मानते हैं। उनका कहना है कि लोग तरह-तरह का कचरा इनमें डाल देते हैं जिससे यह चोक हो जाती हैं और फिर कर्मचारियों को भेज कर ठीक करवाना पड़ता है। जम्मू पूर्व में अभी प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है। करीब तीन हजार कनेक्शन ही जुड़े होंगे। शेष क्षेत्रों में सीवरेज के लिए कदमताल जारी है।
सीवरेज प्रोजेक्ट की लागत
- जम्मू पश्चिम में ईरा : 154.50 करोड़ रुपये
- जम्मू पूर्व में एनबीसीसी : 130.75 करोड़ रुपये
- तालाब तिल्लो में यूईईडी : 34.77 करोड़ रुपये
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं सीवरेज : सीवरेज जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी के अधीन नहीं लाया गया है। जम्मू स्मार्ट सिटी लिमिटेड के असिस्टेंट चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर डा. हितेश गुप्ता का कहना है कि स्मार्ट सिटी में सीवरेज का प्रोजेक्ट नहीं है। इसे सरकार ही अपने अलग फंड से करवा रही है या फिर करवाएगी। स्मार्ट सिटी में इसके लिए फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। यह काफी बड़े प्रोजेक्ट हैं। इसके लिए अलग से फंडिंग होगी।
जल्द पूरा करेंगे काम : मेयर चंद्र मोहन गुप्ता का कहना है कि 74वें संशोधन के लागू होने से विभिन्न विभाग निगम के अधीन आ गए हैं। सीवरेज यूईईडी की देखरेख में काम कर रहा है। जम्मू वेस्ट में ईरा ने काम पूरा किया था और इसे यूईईडी को सौंप दिया है। अब जम्मू ईस्ट में एनबीसीसी काम कर रही है। हम पूरी मॉनिट्रिंग कर रहे हैं ताकि प्रोजेक्ट पूरा हो और लोगों को राहत मिल सके। वर्ष 2012-13 में काम शुरू हुआ था। फिर फंडस के अभाव में काम रुक गया था। अब दोबारा काम शुरू कर दिया गया है। हम सीवरेज प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि फंड्स का अभाव न हो और पूरा शहर सीवरेज से जुड़ सके।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मेनटेंस डिवीजन नहीं होने से हांफेंगी सीवरेज : सीवरेज किसी भी शहर के लिए महत्वपूर्ण है। यह बहुत अच्छा रहा है कि जम्मू शहर के पूर्व अौर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू हो पाया। मुश्किल यह है कि प्रोजेक्ट की मरम्मत व रखरखाव के लिए जो प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए वो अभी तक नहीं उठाए गए हैं। मेनटेंस डिवीजन बनाई जानी चाहिए थी जो आज तक नहीं बनी है। इसका प्रस्ताव भी कुछ साल पहले बनाया गया था लेकिन अधिकारियों के तबादलों के साथ यह प्रस्ताव भी फाइलों में ही रहे। सबसे जरूरी यही है क्योंकि प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद रूटीन में मरम्मत व रखरखाव चाहिए। ऐसा नहीं होने का ही नतीजा है कि 90 के दशक में तालाब तिल्लो में डाली गई सीवरेज आज दिक्कत कर रही है। ईरा के प्रोजेक्ट में भी यही दिक्कतें होने वाली हैं क्योंकि रखरखाव का अभाव है।
जम्मू की भौगोलिक परिस्थितियां अच्छी हैं। अधिकतर क्षेत्र ढलान में हैं तो सीवरेज में ज्यादा दिक्कत नहीं रहती। जम्मू में 150 डाया से लेकर 450 डाया तक की सीवरेज की पाइपें डाली गई हैं। आबादी और सीवरेज की आउटपुट को देखते हुए बेहतरीन डिजाइन किया गया है। रख-रखाव व मरम्मत की दिशा में प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। पूरे शहर को ही सीवरेज से जोड़ा जाना चाहिए। जम्मू पश्चिम के कई मुहल्ले आज भी सीवरेज से अछूते हैं। यहां के लिए अलग से 32 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट प्रस्तावित किया गया था। अभी इस पर काम शुरू नहीं हो सका। गांधीनगर समेत शहर में जोड़े गए अन्य क्षेत्रों के लिए भी भविष्य को मद्देनजर रखते हुए सीवरेज बहुत जरूरी है। पुराने शहर का भी अधिकतर हिस्सा सीवरेज से नहीं जुड़ा सका है। सीवरेज के लिए विशेष पैकेज सरकार को देना चाहिए तभी जम्मू स्मार्ट सिटी बन पाएगा।