Jammu Kashmir: करोड़ों की लागत से एमए स्टेडियम तैयार होने का खिलाड़ी करते रहे इंतजार और अब हाथ लगी निराशा
एमए स्टेडिम करोड़ों की लागत से तैयार तो हो गया है लेकिन खिलाड़ियों को उसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इससे जम्मू के खिलाड़ियों में निराशा है। क्रिकेट स्टेडियम बन जाने के बाद अन्य खेल तो दूर मैदान में दौड़ने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है।
जम्मू, अशोक शर्मा: शहर का एक मात्र मौलाना आजाद स्टेडियम करोड़ों की लागत से बन कर तैयार है। इस मैदान का मरम्मत कार्य पूरा होने का खिलाड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन जब काम पूरा हुआ तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जिस मैदान पर वे वर्षों से अभ्यास करते रहे, वहां अब अभ्यास करना तो दूर मैदान देखने के लिए भी आसानी से नहीं मिलता। अंदर जाने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अनुमति मिलती है। अभ्यास करने या दौड़ लगाने की किसी खिलाड़ी को अनुमति नहीं है।
तीन वर्ष पहले तक इस स्टेडियम के अंदर क्रिकेट और दूसरे सभी खेलों का अभ्यास होता था। अब हालत यह है कि जूडो, जिम्नास्टिक, टेबल टेनिस, वालीबाल, लॉन टेनिस, बेडमिंटन, बास्केटबाल, फेंसिंग, वुशू, क्रिकेट, एथलेटिक्स, बाक्सिंग, वेटलिफ्टिंग आदि खेलों के हजारों खिलाड़ियों के पास दौड़ लगाने तक के लिए कोई जगह नहीं है। हर खेल में पहले रनिंग कर वार्मअप होना हाेता है। यह बात जम्मू-कश्मीर खेल परिषद की समझ में नहीं आ रही है।परिषद के अधिकारियों का कहना है कि स्टेडियम मात्र क्रिकेट के लिए है, लेकिन हकीकत यह है कि क्रिकेट खिलाड़ियों को भी स्टेडियम में नहीं जाने दिया जाता। क्रिकेट के स्टेडियम में सेंट्रल पिच के अलावा एक भी अभ्यास पिच नहीं है।
खिलाड़ियों का कहना है कि इंटरनेशनल मैच तो मालूम नहीं कि होगा या नहीं, लेकिन दूसरे खेलों के हजारों खिलाड़ी जो मौलान आजाद स्टेडियम में अभ्यास करते थे, उनके खेल पर अंकुश लग गया है। विभिन्न खेलों के प्रशिक्षकों का कहना है कि अभ्यास करने के लिए नए इंडोर स्टेडियम तो जरूर बने हैं, लेकिन खिलाड़ियों के पास दौड़ने के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्हें वार्मअप के लिए स्टेडयम की बाहरी सड़क पर ही दौड़ना पड़ता है। पक्की सड़क पर दौड़ना खिलाड़ियों के लिए ठीक नहीं है। जो स्ट्रैंथ मैदान पर दौड़ने से मिलती है। कहीं और संभव नहीं है।
इंटरनेशनल मैच मिलने तक खिलाड़ियों का अभ्यास जारी रहना चाहिए : आशुतोष
जम्मू-कश्मीर ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि वर्ष 1960 से बना एमए स्टेडियम शुरू से ही बहुउद्देश्य स्टेडियम रहा है। लगभग सभी खेलों का अभ्यास वर्षो से यहां होता रहा है। अचानक इसे पूरी तरह से क्रिकेट स्टेडियम बना दिया गया, लेकिन दूसरे खेलों का क्या होगा, इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अगर इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम ही बनाना था तो कहीं और भी बनाया जा सकता था। फिलहाल इस स्टेडियम को तो इंटरनेशनल स्टेडियम भी नहीं कहा जा सकता। जब तक जम्मू को कोई इंटरनेशनल मैच नहीं मिल जाता, तब तक कम से कम दूसरे खेलों के खिलाड़ियों को दौड़ लगाने की छूट मिलनी चाहिए। क्रिकेट स्टेडियम के दायरे के बाहर तो अभ्यास करने की अनुमति देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। एक क्रिकेट मैच के लिए हजारों खिलाड़ियों के भविष्य से खेलना ठीक नहीं है।
खेलों का अभ्यास ही नहीं तो मैदान का क्या मतलब : पूर्व अंतरराष्ट्रीय स्केटर एवं वेट्रन एथलीट आर्यवीर सिंह का कहना है कि जब करोड़ों की लागत से क्रिकेट स्टेडियम बन रहा था तो इस बात का ध्यान तो रखा ही जाना चाहिए था कि दूसरे खेलों का क्या होगा। जब गणतंत्र दिवस समारोह इस स्टेडियम में हो सकता है तो कम से एक दिन हर खेल के खिलाड़ियों को तो दौड़ने की अनुमति मिलनी ही चाहिए। ट्रैक के बाहर खिलाड़ियों के दौड़ने के मैदान को कैसे नुकसान होगा समझ के बाहर है। हां, मैदान को सिर्फ प्रदर्शनी मैदान बनाना है तो ठीक है लेकिन खिलाड़ियों के बिना मैदान का क्या महत्व है।
काेशिश रहेगी कि खिलाड़ियों के लिए जल्द कोई रनिंग ट्रैक बनाया जाए : जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के संयुक्त सचिव अशोक सिंह ने कहा कि कोशिश है कि खिलाड़ी मौलाना आजाद स्टेडियम के बाहरी ट्रैक पर रनिंग कर सकें। यह भी कोशिश है कि सभी खेलों के लिए अलग से एक रनिंग ट्रैक बना दिया जाए। उन्होंने माना कि खिलाड़ियों के लिए रनिंग के लिए फील्ड होना चाहिए। वह कोशिश कर रहे हैं कि जल्द कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।