Jal Jeevan Mission: अमेरिका जो नहीं कर पाया, जल जीवन मिशन ने लेह में कर दिखाया, माइनस 30 तापमान में घर-घर पहुंचा पानी
भारत में बर्फीले रेगिस्तान कहे वाले लद्दाख में सर्दियों में न्यूनतम तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे माइनस में चला जाता है और जल संसाधन जम जाते हैं। ऐसे में पाइप से पेयजल आपूर्ति संभव नहीं थी पर हमारे इंजीनियरों ने यह संभव कर दिखाया। जाने कैसे-
नवीन नवाज, लेह : दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के टेक्सास (Texas) में कुछ दिन पहले हिमपात के दौरान करीब 34 लाख लोगों का जीवन प्रभावित रहा। कई हफ्तों तक जलापूर्ति भी ठप रही। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुदरत किसी भी विकसित मुल्क को प्रभावित कर सकती है।
वहीं भारत में भी बर्फीले रेगिस्तान कहे वाले लद्दाख में तो सर्दियों में न्यूनतम तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे माइनस में चला जाता है। समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में पानी के पाइप जम जाने से आबादी का एक बड़ा हिस्सा जलापूर्ति ठप हो जाने से प्रभावित हो जाता था। लेकिन जल जीवन मिशन ने कुदरत की रुकावटों को पार कर नल के जरिए लोगों के घर में नियमित पेयजल सुनिश्चित कर जीवन को सरल बना दिया है। लद्दाख के लेह जिले का स्टोक गांव जल जीवन मिशन की कामयाबी की कहानी सुना रहा है।
बिखरी आबादी वाले लेह में ज्यादातर घरों के आसपास कृषि योग्य जमीन होने, पशुधन रखने (जिन्हें भारी बर्फबारी व सर्दी में घर के बाहर चराने नहीं ले जाते) के कारण जल की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। सर्दियों में पूरे लद्दाख में पेयजल की आपूर्ति लगभग ठप रहती थी। 348 परिवारों पर आधारित स्टोक गांव (Stoke village Leh) के लोग भी यह समस्या सालों से झेल रहे थे। गांव में पेयजल के लिए 35 नलकूप थे, लेकिन सर्दी में नदी-नालों में पानी कम हो जाने और पाइप जम जाने से जलापूर्ति बाधित रहती थी। स्टोक में जलापूर्ति को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी। जल जीवन मिशन लेह के अधिकारियों ने इस चुनौती से निपटने का बीड़ा उठाया और तस्वीर बदल गई।
अपनाई गई इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक :
जल जीवन मिशन के अधिकारियों ने बताया कि स्टोक के ग्रामीणों के साथ बातचीत के बाद हमारी टीम गांव में पहुंची। गांव की भौगोलिक परिस्थितियों, भूमिगत जल की उपलब्धता, नदी-नालों से जलापूर्ति समेत सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति को सदाबहार बनाने के विभिन्न उपायों पर चर्चा हुई। अंत में तय हुआ कि इस इलाके में नियमित जलापूर्ति के लिए इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक ही सही है।
ऐसे बदली तस्वीर
- पाइप जमने से बचाने के लिए जमीन के नीचे गहराई में दबाए गए
- जमी बर्फ के नीचे का पानी (सब-सरफेस वाटर) ओवरहेड टैंक में जमा किया गया
- सौर ऊर्जा की मदद से ओवरहेड टैंक में गर्म रखा गया पानी
- निर्धारित समय पर ओवरहेड टैंक से पानी की सप्लाई की गई, ताकि पानी जमने से बच जाए
समझें इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक और ऐसे पहुंचाया पानी :
इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक में सब-सरफेस वाटर (जमी बर्फ के नीचे का पानी) को एक निश्चित जगह तक पानी को लाया जाता है। इसी में फिल्टर के लिए सिस्टम लगा होता है। इसके तहत जलाशय या नदी के निचले हिस्से से यह पाइप जोड़ा जाता है और पानी साफ करके आपूर्ति स्थल तक पहुंचाया जाता है।
जलजीवन मिशन के इंजीनियरों ने गांव में देखा कि सर्दियों में झीलों, नदी और नालों में सतह के ऊपर का पानी जम जाता है, इसलिए उन्होंने सब-सरफेस वाटर (जमी बर्फ के नीचे का पानी) ओवरहेड टैंक में जमा किया। नदी-नालों के भूमिगत जल को सौर ऊर्जा की मदद से ओवरहेड टैंक में पहुंचाया गया। सौर ऊर्जा की मदद से पानी गर्म रखा जाता है। इसके अलावा गांव में सप्लाई वाले पानी के पाइप को ठंड में जमने व फटने से बचाने के लिए जमीन के तीन से चार फुट नीचे पाइप बिछाए गए। विशेष तौर पर इंसुलेटेड पाइप इस्तेमाल किए गए। इससे पाइप जल्दी ठंडे नहीं होते। इसके बाद निर्धारित समय पर ओवरहेड टैंक में जमा पानी की गांव में सप्लाई की गई, ताकि ठंड में पानी पाइप में चलता रहे और जमने से बच जाए। स्टोक, नंग और फ्यांग गांवों में इसी तरह से जलापूर्ति की जा रही है।
- लद्दाख में जल जीवन मिशन की पूरी परियोजना 362 करोड़ की है। हमारा लक्ष्य वर्ष 2022 तक लद्दाख के हर गांव में नल से जल पहुंचाने का है। -शेरिंग आंगचुक, इंजीनियर, जल जीवन मिशन लद्दाख