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Kashmir: अलगाववादी गिलानी ने पाकिस्तान-भारत के बीच संघर्ष विराम समझौते पर सवालिया निशान लगाया

गिलानी की तरफ से पाक में उनके प्रतिनिधि सैयद अब्दुल्ला गिलानी ने पत्र लिखकर जंगबंदी की बहाली पर सवाल उठाया था। उन्होंने हैरानी जताई थी कि पाक ने पाच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की स्वायतत्ता को समाप्त करने को जिक्र नहीं किया है।

By Edited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 06:13 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 08:08 AM (IST)
Kashmir: अलगाववादी गिलानी ने पाकिस्तान-भारत के बीच संघर्ष विराम समझौते पर सवालिया निशान लगाया
लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ आनी चाहिए कि कश्मीर और कश्मीरियों से पाकिस्तान को कोई हमदर्दी नहीं है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: आतंकवाद का समर्थन करने वाले वयोवृद्ध कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान ने अब ठेंगा दिखा दिया है। गिलानी ने पाकिस्तान-भारत के बीच संघर्ष विराम समझौते पर सवालिया निशान लगाते हैरानजनक बताया।

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पाकिस्तानी संसद की कश्मीर मामलों की विशेष समिति ने गिलानी को शात रहने की नसीहत देते हुए कहा कि संघर्ष विराम समझौते पर सवाल करने का मतलब सिर्फ हिंदुवादी ताकतों और उनके एजेंडे का मजबूत करना है। गौरतलब है कि बीते सप्ताह भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) स्तर पर बातचीत हुई। दोनों मुल्क एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शाति बनाए रखने व नवंबर 2003 के संघर्ष विराम के समझौते को फिर बहाल करने पर सहमत हुए हैं।

गिलानी की तरफ से पाक में उनके प्रतिनिधि सैयद अब्दुल्ला गिलानी ने पत्र लिखकर जंगबंदी की बहाली पर सवाल उठाया था। उन्होंने हैरानी जताई थी कि पाक ने पाच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर की स्वायतत्ता को समाप्त करने को जिक्र नहीं किया है। हम लगातार पाकिस्तान से आश्वासन सुनते आ रहे हैं कि पाच अगस्त 2019 से पहले की जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति बहाल होने तक हिंदोस्तान से बातचीत, कोई सुलह नहीं होगी। अचानक ऐसा क्या हो गया।

कोई यह तो बताए कि आखिर घोषित नीति और इस कार्रवाई में इतना अंतर क्यों? भारत-पाक के बीच यह शाति समझौता खून खराबा नहीं रोक पाएगा। यह समझौता किसी तरह से कश्मीरियों के हक में नहीं है। गिलानी का पत्र इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। पाकिस्तानी संसद की कश्मीर समिति ने इसका नोटिस लिया और उसने अपने ट्विटर पर जवाब दिया है। कश्मीर समिति के अध्यक्ष शहरयार अफरीदी ने ट्विटर पर लिखा है किसी ने कश्मीर मिशन के साथ कोई समझौता या धोखा नहीं किया है।

संघर्ष विराम का फैसला सिर्फ एलओसी के दोनों तरफ बसे कश्मीरियों की मदद के लिए किया है। जो कोई समझौते को कश्मीर मिशन के साथ सौदेबाजी या समझौता बता रहा है, वह हिंदुवादी ताकतों के एजेंडे का साथ दे रहा है।

पाकिस्तान को कोई हमदर्दी नहीं : कश्मीर मामलों के जानकार मुख्तार अहमद ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि सैयद अली शाह गिलानी या फिर उन जैसे अन्य लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ आनी चाहिए कि कश्मीर और कश्मीरियों से पाकिस्तान को कोई हमदर्दी नहीं है। उसने हिंदुस्तान के खिलाफ कश्मीर और कश्मीरियों को एक हथियार की तरह इस्लाम के नाम पर इस्तेमाल किया है। उसने जंगबंदी अपने हित में की है। इसका अगर कोई विरोध करेगा तो वह उसे हिंदुस्तानी एजेंट या हिंदुवादी ताकतों का समर्थक ही कहेगा। मतलब साफ है कि पाक पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आतंकवाद को छोड़ मुख्यधारा में शामिल हुए पूर्व आतंकी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि कहाकि शुक्र करो कि पाकिस्तान ने गिलानी को मोदी का एजेंट नहीं कहा। अगर कह देता तो फिर गिलानी या उनके साथी कहा मुंह छिपाते।


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