Jammu Kashmir: संघर्ष विराम ने क्रास एलओसी ट्रेड की उम्मीद जगाई, व्यापारी बोले-बार्टर ट्रेड नहीं, नकद लेन-देन चाहिए
एलओसी पर बहाल हुई इस शांति ने एक बार फिर केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश व गुलाम कश्मीर के बीच क्रास एलओसी व्यापार के पुन बहाल होने की उम्मीद जगी है। व्यापार बंद होने से कश्मीर के करीब 180 व्यापारियों को जहां लाखों रुपये का नुक्सान हुआ है।
जम्मू, नवीन नवाज। अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर बीते 48 घंटों से पूरी तरह खामोशी व्याप्त है। पाकिस्तानी सेना की तरफ से एक भी गोली या तोप का गाेला भारतीय इलाके पर नहीं दागा गया है। एलओसी पर बहाल हुई इस शांति ने एक बार फिर केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश व गुलाम कश्मीर के बीच क्रास एलओसी व्यापार के पुन: बहाल होने की उम्मीद जगी है। व्यापार बंद होने से कश्मीर के करीब 180 व्यापारियों को जहां लाखों रुपये का नुक्सान हुआ है, वहीं सलामाबाद उड़ी स्थित व्यापारिक केंद्र में काम करने वाले 300 श्रमिक भी बेरोजगार हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश अब अपनी रोजी रोटी के लिए अन्य काराेबारी गतिविधियों में लिप्त हैं।
वर्ष 2008 में शुरू हुआ था क्रास एलओसी ट्रेड
भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौते के तहत अक्टूबर 2008 में जम्मू कश्मीर और गुलाम कश्मीर के बीच ड्यूटी फ्री क्रास एलओसी ट्रेड की अनुमति दी गई थी। इस व्यापार में सिर्फ जमू कश्मीर और गुलाम कश्मीर के व्यापारी ही हिस्सा ले सकते थे। दोनों तरफ से 21 वस्तुओं का ही आयात-निर्यात हो सकता था। यह पूरी तरह से बार्टर ट्रेड था। कश्मीर के व्यापारी उड़ी सेक्टर में सलामाबाद के रास्ते अमन कमान सेतु के पार गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के लिए अपना माल भेजते थे और माल मंगवाते थे। जम्मू प्रांत के व्यापारी पुंछ में चक्कां दा बाग के रास्ते रावलकोट गुलाम कश्मीर में अपना माल भेजते थे। यह व्यापार सप्ताह में चार दिन होता था।
हवाला, हथियारों और नशीले पदार्थाें की तस्करी भी हुई व्यापार की आड़
क्रास एलओसी व्यापार का आतंकियों और अलगाववादियों ने पूरा लाभ उठाया। उन्होंन गुलाम कश्मीर में और जम्मू कश्मीर मे कई जगह अपने लोगाें को व्यापारी का चोला पहना इस व्यापार में शामिल कराया। इसके बाद सामान के आयात-निर्यात के मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा जम्मू कश्मीर मेें आतंकी व अलगाववादी संगठनों तक पहुंचाया जाने लगा। कई बार गुलाम कश्मीर से आए फलों और कपड़ों की पेटियां में हथियार व नशीले पदार्थ भी पकड़े गए। क्रास एलओसी व्यापार की आड़ में टेरर फंडिंग के सिलसिले में छह व्यापारी भी पकड़े जा चुके हैं।
18 अप्रैल 2019 को बंद हुआ था कारोबार
14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बड़े सैन्य तनाव और क्रास एलओसी व्यापार की आड़ में टेरर फंडिंग की पूरी तरह पुष्टि होने के बाद भारत सरकार ने 18 अप्रैल 2019 को पूरी तरह बंद कर दिया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के कई व्यापारियों के लाखों रुपये गुलाम कश्मीर क व्यापारियों के पास फंस गए। इसके अलावा कई व्यापारियों ने गुलाम कश्मीर में निर्यात के लिए लाखों रुपये के मसाले, कपड़े, फल व अन्य सामान खरीदा था जो निर्यात नहीं हुआ । यह सामान खराब हो गया या फिर संबधित व्यापारियों को बाद मे औने पौने दाम में बेचना पड़ा।
संघर्ष विराम ने जगाई कारवान तिजारत की बहाली की उम्मीद
एलओसी पर संघर्ष विराम की बहाली पर सहमति से क्रास एलओसी व्यापारियो में एक नई उम्मीद पैदा हुई है। उड़ी निवासी तौसीफ जफर ने कहा कि जब क्रास एलओसी ट्रेड शुरू हुआ तो हमें बताया कि यह हम लोगों की तकदीर बदल देगा। सही कहा था, आज हम लोग सड़क पर हैं। मैंने 70 लाख का माल अप्रैल 2019 की शुरुआत में भेजा था बदले में चकोटी मुजफ्फराबाद के व्यापारियों ने मुझे सामान भेजना था। वह सामान भेजते उससे पहले ही केंद्र ने आतंकवाद व हवाला का जिक्र करते हुए क्रॉस एलओसी व्यापार पर रोक लगा दी। आप समझ सकते हैं कि मेरा कितना नुक्सान हुआ है। आज मैं कर्जदार हूं। अब संघर्ष विराम होने से मुझे जल्द ही क्रास एलओसी व्यापार क शुरू होने की आस बंधी है। एक बार व्यापार शुरु हो तो शायद मेरा डूबा हुआ पैसा वापस आ जाए।
श्रीनगर के व्यापारी जहूर अहमद ने कहा कि मैं मसालों का आयात-निर्यात करता था। व्यापार बंद होने के बाद मुझे नए सिरे से अपना कारोबार शुरु करना पड़ा। अब एक बार फिर इस व्यापार के बहाल होने की उम्मीद पैदा हुई है। दुआ करते हैं कि जल्द फैसला हो जाए। सलामाबाद चकौटी क्रास एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन हिलाल तुर्की ने कहा कि जब से संघर्ष विराम की बात हुई है, यहां बहुत से हमारे साथी गुलाम कश्मीर क साथ व्यापार शुरु होने के संदर्भ में पूछ रहे हैं। जंगबंदी का फायदा हम जम्मू कश्मीर के लोगां को ही होगा। हमें अभी तक प्रशासन की तरफ से या गुलाम कश्मीर के व्यापारियों से तिजारत बहाली की कोई सूचना नहीं है लेकिन सभी को उम्मीद हकि यह अब देर सवेर बहाल हो जाएगी।
बार्टर नहीं नकद लेन-देन और ट्रक स्कैनर चाहिए
लामाबाद चकौटी क्रास एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन हिलाल तुर्की ने कहा कि यह कोई छुपी हुई बात नहीं है कि क्रास एलओसी व्यापार का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी तत्वों ने किया और उसका खमियाजा हम व्यापारियों ने भुगता है। व्यापार बंद होने से करीब 200 ट्रक मालिकों को नुक्सान हुआ, करीब 300 श्रमिक बेकार हुए। लगभग 180 व्यापारियो को घाटा हुआ और उनमें से कई बर्बाद हो गए हैं। अगर केंद्र सरकार ने हमारी मांग पर कान धरा हाेता तो यह व्यापार राष्ट्रविरोधियों का हथियार नहीं बनता। हमने शुरु से ही बार्टर ट्रेड बंद कर नकद लेन-देन की व्यवस्था करने, ट्रेड फैसिलटेशन सेंटर पर ट्रक स्कैनर उपलब्ध कराने और सभी व्यापारियों की सक्रीनिंग कराने की मांग की है। हमारी मांगों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। अब उम्मीद करते हैं कि जब व्यापार शुरु होगा तो हमारी यह मांगें पूरी हो चुकी होंगी।