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Gojri Folk Music Festival : गोजरी लोक संगीत ने मोह लिया मन, जम्मू में दो दिवसीय गोजरी लाेक संगीत महोत्सव शुरू

दो दिवसीय गोजरी लोक संगीत कार्यक्रम का आगाज शुक्रवार को केएल सहगल हाल में हुआ। लोक संगीत समारोह के पहले दिन पूरे केंद्र शासित प्रदेश से गुज्जर लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से दर्शकों का मन मोह लिया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 06:05 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 06:05 PM (IST)
Gojri Folk Music Festival : गोजरी लोक संगीत ने मोह लिया मन, जम्मू में दो दिवसीय गोजरी लाेक संगीत महोत्सव शुरू
दो दिवसीय गोजरी लोक संगीत कार्यक्रम का आगाज शुक्रवार को केएल सहगल हाल में हुआ।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय गोजरी लोक संगीत कार्यक्रम का आगाज शुक्रवार को केएल सहगल हाल में हुआ। लोक संगीत समारोह के पहले दिन पूरे केंद्र शासित प्रदेश से गुज्जर लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से दर्शकों का मन मोह लिया। समारोह में भाग लेने वाले कलाकारों में रेडियो के मान्यता प्राप्त कलाकारों के अलावा गैरमान्यता प्राप्त कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला। कार्यक्रम में सौ के करीब कलाकारों ने भाग लिया। हर प्रस्तुति से गोजरी संगीत की गूंज मंत्रमुग्ध करने वाली थी।

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स्वागत भाषण में अकादमी के सचिव मुनीर-उल-इस्लाम ने कहा कि अकादमी गोजरी सहित सभी स्थानीय भाषाओं, संस्कृतियों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि गोजरी की लोक और पारंपरिक संस्कृति भी है। इसकी मौखिक परंपरा हमारी विरासत को मजबूत करती है। गोजरी भाषा आज लंबी उड़ान भरने की स्थित में हैं। इसका श्रेय इसके लेखकों, कवियों गीतकारों की कड़ी मेहनत एवं लगन को जाता है। गोजरी की मजबूती और अगल पहचान के लिए सभी को एक जुट होकर कार्य करना होगा। अपनी युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखना होगा। वैश्वीकरण के इस दौर में हर भाषा, बोली का अपना महत्व है।

उन्होंने कहा कि गोजरी के उत्थान एवं मजबूती के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक अनुवाद कार्य हो। गोजरी से दूसरी भाषाओं में और दूसरी भाषाओं से गोजरी में अधिक से अधिक अनुवाद की जरूरत है। अकादमी इस दिशा में पहले ही लगातार कार्य करवा रही है। इस लोक संगीत कार्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी है कि अधिक से अधिक लोग गुज्जर संस्कृति को समझ सकें। जिन कलाकारों एवं लोक कलाकार पार्टियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, उनमें शाह फिरदोस, शबनम चतरगुल एवं साथी, बशीर मस्ताना, सफीर अहमद, मोहम्मद रफी, एजाज अहमद बजरन, सफीर अहमद सवाति, गुलाम हुसैन तबसूम, अल्लाह रक्खा चेची, जुनेद अहमद दिल दार, शबनम अख्तर नाज मुख्य थे। बांसुरी पर राकेश आनंद, तबले पर नीरज वर्मा, कृष्ण कुमार ने संगत की। मंच संचालन डा. शाह नवाज ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हारूण रशीद ने इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए अकादमी की सराहना करते हुए कहा कि आगे भी इस तरह के कार्यक्रम होते रहें तो भाषा मजबूती के साथ उभरेगी। पूर्व एमएलसी विवोध गुप्ता, प्राे. शालिनी रैना गेस्ट ऑफ ऑनर थे। पद्मश्री डा. जितेंद्र ऊधमपुरी, प्रो. राज कुमार, हरबंस सिंह विश्वनागरिक, डा. मनोजीत, यश पाल यश, हरिश कैला आदि कई गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन सीनियर ड्रामा इंस्ट्रक्टर डा. सुधीर महाजन की देखरेख में किया गया।


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