Move to Jagran APP

Snowfall in Kashmir: ...तभी तो पहला हिमपात होने पर कश्मीरी मुस्कुराकर एक-दूसरे को कहते हैं, 'शीन मुबारक'

Snowfall in Kashmir कश्मीर में सर्दियों में सबसे ठंडा कहे जाने वाला दौर होता है चिल्लेकलां। 40 दिन का यह दौर 21 दिसंबर को शुरू होता है। कहते है इन्हीं 40 दिनों में कश्मीर में सबसे ज्यादा बर्फ व ठंड पड़ती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 01:36 PM (IST)
Snowfall in Kashmir: ...तभी तो पहला हिमपात होने पर कश्मीरी मुस्कुराकर एक-दूसरे को कहते हैं, 'शीन मुबारक'
विशेषकर चिल्लेकलां के दौरान इन दुकानों पर तड़के ग्राहकों का जमावड़ा लगा रहता है।

श्रीनगर, रजिया नूर: पहलगाम न्यूनतम तापमान : माइनस 11.1 डिग्री, गुलमर्ग : माइनस 7.0 डिग्री, श्रीनगर : माइनस 8.4 डिग्री सेल्सियस। चारों तरफ बर्फ और खून जमा देने वाली ठंड। सर्दी इतनी कि पानी के पाइप तक जम जाते हैं। कई इलाकों में पांच-पांच फुट बर्फ जमा होने से संपर्क मार्ग जिला मुख्यालयों से कटे रहते हैं। रसद पहुंचाने से लेकर राशन, बिजली, स्वास्थ्य और संचार सेवा को सुचारू बनाए रखने के लिए प्रशासन को एक महीना पहले से तैयारी करनी पड़ती है और लोगों को कड़ी जद्दोजेहद।

loksabha election banner

....ऐसी है कश्मीर की जिदंगी। जो सुबह देर से रफ्तार पकड़ती है और शाम ढलने से पहले ही घरों में सिमट जाती है। इन चुनौतीपूर्ण हालात में भी कश्मीर के लोग बाखूबी खुद को ढाल कर जीने का अंदाज जानते हैं। ...तभी तो कश्मीरी पहला हिमपात होने पर मुस्कुराकर एक-दूसरे को कहते हैं, 'शीन (बर्फबारी) मुबारक।'

कश्मीर में सर्दियों में सबसे ठंडा कहे जाने वाला दौर होता है चिल्लेकलां। 40 दिन का यह दौर 21 दिसंबर को शुरू होता है। कहते है, इन्हीं 40 दिनों में कश्मीर में सबसे ज्यादा बर्फ व ठंड पड़ती है। इन दिनों में कश्मीर में लोग अपने खान-पान से लेकर रहन-सहन और दिनचर्या को मौसम के मिजाज के मुताबिक ढाल लेते हैं। वादी के वरिष्ठ साहित्यकार व कवि 72 वर्षीय जरीफ अहमद जरीफ ने कहा कि बेशक अब सर्दी से बचने के आधुनिक तरीके हैं, लेकिन जो पारंपरिक तरीके 40-45 साल पहले कारगर थे, उनकी अहमियत अब भी है और वही ज्यादा इस्तेमाल होते हैं।

...ऐसी है कश्मीर की जिदंगी

  • जम जाते हैं पानी के पाइप, नल के नीचे जलानी पड़ती है आग
  • पहाड़ी इलाकों में सड़कों पर होती है पांच-पांच फुट बर्फ
  • कई दिनों तक जिला मुख्यालयों से कट जाते हैं दूरदराज इलाके
  • प्रशासन व लोग एक महीना पहले ही सर्दियों की तैयारी में जुट जाते हैं

बदल जाती है दिनचर्या : सर्दियों में कश्मीर के लोगों की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है। सुबह और शाम की सैर घर के आंगन व कमरे में सिमट जाती है। खेल-कूद सहित खुले में होने वाली अन्य गतिविधियों व समारोह पर विराम सा लग जाता है। घरों के अंदर पूरे फर्श को कालीन या गद्दे डालकर ढक दिया जाता है, ताकि नंगे पांव जमीन पर न पड़ें। कमरों को गर्म रखने के लिए हीटर, ब्लोर, कांगडी और गर्म बोतल सेंकी जाती है। घर में आने वालों को सबसे पहले पीने को कावा दिया जाता है।

फिरन और कांगड़ी के बिना गुजारा नहीं : अगर यह कहा जाए कि कश्मीर में सर्दियों में फिरन और कांगड़ी के बिना गुजारा नहीं हो सकता तो गलत नहीं होगा। फिरन कश्मीरी परिधान है। यह मोटे ऊनी कपड़ों के ऊपर पहना जाता है, जो घुटनों तक होता है। इसके अलावा लकड़ी के तिनकों से बुनी कांगड़ी के अंदर मिट्टी के कटोरे नुमा बर्तन को फिट किया होता है, जिसमें कोयले गर्म कर डाले जाते हैं। यह काफी समय तक गर्म रहते हैं। इसे फिरन के अंदर भी पकड़ा जाता है। घर में आने वाले महमानों को इसे बड़े चाव से सेंकेने के लिए दिया जाता है।

कमरे को गर्म रखने के लिए बनाते हैं हमाम : कश्मीर में हमाम का काफी क्रेज है। इसे सर्दी से बचने के लिए सबसे प्रभावशाली माना जाता है। घर में एक कमरे के नीचे एक और अंडरग्राउंड कमरा बनाया जाता है, जिसे हमाम कहते हैं। उस अंडरग्राउंड कमरे के फर्श पर ईंट व पत्थर की सिलें बिछाई जाती हैं। इन ईंट पत्थरों को विशेष प्रकार से जोड़ा जाता है। अंडरग्राउंड कमरे की दीवार में तांबे की पानी की एक टंकी भी फिट की जाती है। इस टंकी के नीचे आग जलाई जाती है। आग की तपिश से कमरे का फर्श गर्म हो जाता है। साथ ही पानी की टंकी में मौजूद पानी भी उबलने लगता है। आग से निकलने वाले धुएं की निकासी चिमनी के जारिए होती है। सर्दियों में स्थानीय लोगों की जिंदगी इसी हमाम वाले कमरे में सिमट जाती है।

बदल जाता है खानपान : स्‍थानीय बुजुर्ग शफी ने बताया कि सर्दियों में खान-पान की भी कश्मीर के लोग पहले से तैयारी करते हैं। ठंड के दौरान सूखी सब्जियों का अधिक सेवन किया जाता है। जैसे कश्मीरी साग, पालक, बेंगन लोकी, सेब नाशपाती आदि को घर की महिलाएं दो महीने पहले ही सुखा कर रख लेती हैं। इसके अलावा सूखी मछलियां भी खूब खाई जाती हैं। लोगों का मानना है कि सॢदयों में ऐसी खुराक न केवल खाने को स्वादिष्ट बनाती है बल्कि यह उनके शरीर को भी गर्म रखती है।

हरीसा की बढ़ जाती है मांग : हरीसा सर्दियों में खाए जाने वाला कश्मीर का खास व्यंजन है। इसे गोश्त व विभिन्न मसालों के मिश्रण से पकाया जाता है। हरीसा कड़ाके की ठंड में सुबह नाश्ते में खाया जाता है, जो शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। कुछ लोग हरीसा को घर पर तो कुछ बाजार से खरीद कर खाते हैं। श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में जमाल लट्टा में हरीसा बेचने वाली कुछ प्राचीन दुकानें हैं। विशेषकर चिल्लेकलां के दौरान इन दुकानों पर तड़के ग्राहकों का जमावड़ा लगा रहता है।

बच्चों को सुबह नहीं रात को नहाते हैं लोग : स्थानीय महिला साइमा ने कहा कि ठंड से बच्चों को बचाने के लिए कश्मीर में अधिकतर लोग उन्हें सुबह के बजाए रात को नहलाते हैं। इसके बाद उन्हें गर्म कपड़े पहनाकर बिस्तर में सुला देते हैं। ऐसा करने से बच्चों को ठंड लगने की आशंका कम हो जाती है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.