बहनों के रक्षासूत्र से अटूट हुआ जवानों का हौसला
हाथ में बंदूक लेकर ड्यूटी कर रहे सैनिकों की कलाइयों पर बंधे रक्षासूत्र ने उनका मनोबल बढ़ाया। जम्मू की गर्मी से सियाचिन की खून जमाने वाली सर्दी में सीमा पर खड़े जवानों के लिए देश के कोने से कोने से राखियां आई।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : रक्षाबंधन के त्योहार पर सरहद पर खड़े जवानों को जब हजारों किलोमीटर दूर बैठी बहनों की राखियां मिलीं तो वतन पर मर मिटने के उनके जज्बे को और बल मिला। हाथ में बंदूक लेकर ड्यूटी कर रहे सैनिकों की कलाइयों पर बंधे रक्षासूत्र ने उनका मनोबल बढ़ाया।
जम्मू की गर्मी से सियाचिन की खून जमाने वाली सर्दी में सीमा पर खड़े जवानों के लिए देश के कोने से कोने से राखियां आई। देश के विभिन्न राज्यों की बहनों ने घरों से दूर चुनौतीपूर्ण हालात में देशसेवा कर रहे भाइयों को राखियां भेजीं, जो पूर्वी लद्दाख में चीन के सामने डटे सेना के जवानों तक भी पहुंची। उत्तरी कमान ने दूरदराज में तैनात जवानों तक इन राखियों को पहुंचाने की व्यवस्था की थी। सोमवार सुबह जम्मू, ऊधमपुर, श्रीनगर, कारगिल व लेह में छोटे-छोटे कार्यक्रमों के दौरान सैनिकों ने एक दूसरों को ये राखियां बांधी।
सेना की उत्तरी कमान के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत ने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार देशवासियों को याद दिलाता है कि दूर सरहद पर भी कोई है, जो हर वक्त देश की सेवा कर रहा है। देशवासियों का प्यार और सम्मान सेना की ताकत है। सैनिक उन्हें याद रखने वाले के सदैव आभारी हैं। कई महिला संगठनों ने डाक से राखियां भेजने की व्यवस्था की थी
रक्षाबंधन पर महिलाओं के कई संगठनों व छात्राओं ने सैनिकों, सीमा प्रहरियों व सुरक्षाकर्मियों के लिए डाक के माध्यम से राखियां भेजने की व्यवस्था की थी। राखियां भेजने वालों में उत्तर पूर्वी राज्यों की बहनें भी शामिल थीं। पहले कई महिला संगठन देश के अन्य हिस्सों से राखियां लेकर सरहद पर जवानों के बीच पहुंचते थे। इस बार कोरोना संक्रमण से उपजे हालात में उनका आना संभव नहीं हुआ। ऐसे में डाक व कोरियर के जरिये राखियां पहुंची। कश्मीरी बहनों ने फौजी भाइयों की कलाई में बांधी राखियां
राज्य ब्यूरो, जम्मू : रक्षाबंधन के त्योहार पर नए कश्मीर की तस्वीर पेश हुई। कश्मीरी बहनों ने फौजी भाइयों की कलाइयों पर राखी बांध कर उनकी लंबी आयु की कामना की। इससे उत्साहित सेना के जवानों ने उन्हें दुआएं देने के साथ उपहार भी भेंट किए।
कुपवाड़ा के लोलाब में कश्मीर की बहनें सेना के चंडीगाम कैंप में राखियां लेकर पहुंची। क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ने के साथ पाकिस्तान की गोलाबारी का सामना करने वाले सैनिकों की कलाइयों पर सोमवार को राखियां बांधकर बहनों ने उनका हौसला बढ़ाया। सैन्य शिविर में आई इन बहनों ने अपने फौजी भाइयों को संदेश दिया कि घरों से दूर सरहद पर तैनात सैनिकों पर उन्हें गर्व है। वे न सिर्फ सरहद की सुरक्षा करते हैं बल्कि मुसीबत आने पर लोगों को बचाने के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं। यह सुनकर सैनिकों का देश की खातिर मर मिटने का जज्बा और बुलंद हुआ।
सेना की चिनार कोर कश्मीर की सुरक्षा के साथ लोगों के सुख दुख की साथी भी है। सेना खासतौर पर नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में रह रहे कश्मीरियों की मुसीबतों को दूर करती है। ऐसे में सीमांतवासी सेना के जवानों को अपना हमदर्द मानते हैं।