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कौशल विकास होगा, काबिलीयत से होगी विद्यार्थी की पहचान

कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। काबिलीयत से विद्यार्थी की परख की जाएगी। पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा में शिक्षा देने तथा आठवीं और उसके पश्चात उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने का प्रावधान शामिल होना सराहनीय कदम है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:44 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:44 AM (IST)
कौशल विकास होगा, काबिलीयत से होगी विद्यार्थी की पहचान
कौशल विकास होगा, काबिलीयत से होगी विद्यार्थी की पहचान

राज्य ब्यूरो, जम्मू: नई शिक्षा नीति का राज्य के शिक्षाविदें ने स्वागत किया है। वह कहते हैं कि यह शिक्षा नीति बच्चों की प्रतिभा को निखारेगी। कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। काबिलीयत से विद्यार्थी की परख की जाएगी। पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा में शिक्षा देने तथा आठवीं और उसके पश्चात उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने का प्रावधान शामिल होना सराहनीय कदम है।

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जम्मू विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार तलूर ने कहा कि नई शिक्षा नीति अपने देश के केंद्रित होने के साथ-साथ 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षार्थी को वैश्विक नागरिक बनाने की अवधारणा पर आधारित है। पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य रूप से मातृ भाषा में शिक्षा देने तथा यथासंभव आठवीं और उसके पश्चात उच्च शिक्षा तक मातृ भाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने का प्रावधान स्वागत योग्य कदम है। शिक्षा नीति में बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है क्योंकि वैज्ञानिक दृष्टि से मस्तिष्क के बड़े अंश का विकास छह वर्ष की उम्र तक हो जाता है। शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच के लिए जन्म पृष्ठभूमि और लिग के अवसर पर समान अवसर उपलब्ध कराना व्यक्ति और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है इसे शिक्षा नीति ने ठीक प्रकार उठाया गया है।

जम्मू विश्वविद्यालय के प्रो. जसपाल सिंह ने कहा कि शिक्षा को अलग-अलग खंडों में बांटकर देखना उचित नहीं है। अच्छी बात है कि शिक्षा नीति में कला, विज्ञान, शैक्षणिक सह शैक्षणिक, अकादमिक और व्यवसायिक शिक्षा में विभेद समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। गुणवत्तापरक शिक्षक प्रशिक्षण की महत्ता को रेखांकित करते हुए एकीकृत बीएड डिग्री पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है। पारदर्शी आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की व्यवस्था, शिक्षकों की गरिमा को पुन: बहाल करने तथा शैक्षिक प्रशासन में भागीदारी की व्यवस्था सराहनीय है। शिक्षा नीति में भारतीय जीवन मूल्यों, परंपराओं और भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर पाठ्यक्रम में इनका समावेश एक समर्थ, गौरवशाली, आत्मनिर्भर भारत बनाने में निश्चय ही प्रमुख भूमिका निभाएगा। अंकों की होड़ पर अंकुश लगेगा

जम्मू विवि के बाटनी विभाग के प्रो. यशपाल शर्मा का कहना है कि देश में 34 साल के बाद नई शिक्षा नीति अमल में आ रही है। नई शिक्षा नीति से अंकों की होड़ पर अंकुश लगेगा। यह जरूरी नहीं है और पहले भी नहीं था जो 95 प्रतिशत से अधिक अंक लेता है तो वह काबिल होता है। औसतन अंक लेने वालों ने भी देश का नाम ऊंचा किया है। नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन प्रणाली को बढ़ावा देना, क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाना बहुत ही अच्छे कदम हैं। हर चीज का ध्यान रखा

साइंस कॉलेज जम्मू के प्रो. जगजीत सिंह का कहना है कि नई शिक्षा नीति से कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। मौजूदा समय में कौशल विकास की जरूरत है। यह एक ऐसी व्यापक नीति है, जिसमें हर चीज का ध्यान रखा गया है। पांचवीं तक क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने का कदम स्वागत योग्य है।

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