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World No Tobacco Day : लॉकडाउन में जम्मू कश्मीर में सिगरेट पीने वालों में कमी आई, उपराज्यपाल बोले, तंबाकू मुक्त पीढ़ी बनाने के लिए काम करना होगा

जम्मू कश्मीर में सिगरेट पर 513 रुपये और बीड़ी पर 114 रुपये खर्च किए जाते हैं। जम्मू कश्मीर में 26.6 फीसद लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 04:18 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 04:18 PM (IST)
World No Tobacco Day : लॉकडाउन में जम्मू कश्मीर में सिगरेट पीने वालों में कमी आई, उपराज्यपाल बोले, तंबाकू मुक्त पीढ़ी बनाने के लिए काम करना होगा
World No Tobacco Day : लॉकडाउन में जम्मू कश्मीर में सिगरेट पीने वालों में कमी आई, उपराज्यपाल बोले, तंबाकू मुक्त पीढ़ी बनाने के लिए काम करना होगा

जम्मू, रोहित जंडियाल । अगर आप नियमित सिगरेट का धुआं लेते हैं तो कैंसर जैसे रोग से तो घिर ही सकते हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण भी आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, लॉकडाउन में जम्मू कश्मीर में सिगरेट पीने वालों में कमी आई है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि लगातार सिगरेट पीने से फेफड़ों पर असर पड़ता है। इससे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। डॉक्टरों की सलाह यह भी है कि कोरोना काल में लॉकडाउन नशा छोड़ने का एक अच्छा जरिया हो सकता है।

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कुछ वर्ष पहले एक संस्था ने सर्वेक्षण किया था कि देश में सबसे अधिक सिगरेट और बीड़ी पीने पर खर्च जम्मू कश्मीर में लोग करते हैं। यहां पर सिगरेट पीने वालों की संख्या काफी है। एक सर्वे के अनुसार 15 साल से अधिक आयु वर्ग के युवा राष्ट्रीय स्तर पर एक महीने में सिगरेट पर 399 रुपये और बीड़ी पर 93.40 रुपये खर्च करते हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर में सिगरेट पर 513 रुपये और बीड़ी पर 114 रुपये खर्च किए जाते हैं। जम्मू कश्मीर में 26.6 फीसद लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों ही शामिल हैं।

करोड़ों का है कारोबार :

जम्मू कश्मीर में सिगरेट का कारोबार कानूनी रूप से हर साल दो सौ से तीन सौ करोड़ के बीच है। गैर कानूनी रूप से भी सिगरेट का धंधा यहां पर करोड़ों रुपयों का है। इस साल लाकडाउन के कारण दो महीने यह व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसी कारोबार से जुड़े एक व्यापारी ने बताया कि दो महीनों में कम से कम पचास करोड़ रुपयों का व्यापार जम्मू कश्मीर में नहीं हुआ है। लाकडाउन से पहले दुकानदारों के पास जो सिगरेट व अन्य तंबाकू जनित पदार्थ थे, उन्होंने वही बेचे होंगे। यह कुल व्यापार का बीस प्रतिशत भी नहीं होगा। अस्सी प्रतिशत व्यापार नहीं हुआ है।

चेतावनी के साथ और बढ़ा गैर कानूनी धंधा जम्मू कश्मीर में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखी होती है। एक व्यपारी का कहना था कि सरकार ने सिगरेट पर चेतावनी लिखकर टैक्स बढ़ा दिया ताकि राजस्व बढ़े, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इससे गैर कानूनी रूप से सिगरेट बेचने का धंधा बढ़ गया। करोड़ों रुपयों के सिगरेट ऐसे आने लगे जिन पर चेतावनी नहीं लिखी होती है। यह सस्ते भी हैं। इससे भी सेवन बढ़ता है। हालांकि लाकडाउन में इस व्यापार में भी कमी आई है।

स्वस्थ जीवन के लिए डॉक्टरों की बेशकीमती सलाह

जम्मू कश्मीर में सिगरेट का व्यापार करोड़ों में है। लॉकडाउन के कारण इसमें कमी आई है। हालांकि, कितनी कमी आई है, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। - आरके भट, कमिश्नर, राज्य कर विभाग

तंबाकू से बचाने के लिए युवाओं को करना होगा जागरूक

उपराज्यपाल जीसी मुमरू ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस इस बार युवाओं को तंबाकू सेवन से बचाने पर मनाया जा जा रहा है। युवाओं को तंबाकू उद्योग से बचाने के लिए उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना होगा। उन्हें सशक्त बनाना होगा। तंबाकू का सेवन करने वालों को कोविड 19 के संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। क्योंकि तंबाकू फेफड़ों को क्षति पहुंचाती है। इससे सांस संबंधी रोग भी होते हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि तंबाकू से हर साल भारत में कई लोगों की जान चली जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आह्वान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि तंबाकू मुक्त पीढ़ी बनाने के लिए काम करना होगा। उन्होंने सिगरेट को बढ़ावा देने से रोकने के लिए सभी कानून व नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा।

नशा छोड़ने के लिए लॉकडाउन अच्छा मौका

चेस्ट डिजीज अस्पताल जम्मू में क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव ने कहा कि इससे सांस संबंधी रोग होते हैं। फेफड़ा कमजोर होता है। संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। लॉकडाउन सिगरेट छोड़ने का एक मौका था। कुछ लोगों ने सिगरेट छोड़ी भी है लेकिन अभी भी जम्मू और कश्मीर दोनों जगहों पर लोग सिगरेट बहुत पीते हैं।

दृढ़ इच्छाशक्ति से सब संभव

मेडिकल अनकालोजिस्ट डॉ. नदीम शौकत ने कहा कि सिगरेट पीने के कारण कैंसर की आशंका बहुत बढ़ती है। अगर लोग सिगरेट पीना छोड़ दें तो कैंसर के मामले आधे भी न रहें। सिगरेट छोड़ने के लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए। इसका इलाज भी है, लेकिन व्यक्ति को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

तंबाकू मुंह कैंसर का कारक

इंदिरा गांधी डेंटल कॉलेज में एचओडी डॉ. प्रवीण लोन ने कहा कि मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण खैनी, चुटकी जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करना है। तंबाकू से निकलने वाले निकोटीन, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रोजन व कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत के लिए बहुत खतरनाक है।


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