चमक रहा देश का ताज, नए युग का आगाज; जम्मू-कश्मीर में अब आतंकवाद पर नहीं, विकास की बात होती है
वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि पांच अगस्त के बाद जिस तरह से उम्मीद थीउसी के अनुरूप जम्मू कश्मीर के सियासी मंच पर कई नए चेहरे देखने को मिले हैं।
जम्मू, नवीन नवाज: भले ही कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते जम्मू कश्मीर में इस समय कई तरह की पाबंदियां हैं, लेकिन यह प्रदेश नये युग में कदम रख चुका है। अब यहां आतंकवाद पर नहीं, विकास की बात होती है। सियासत लगभग बदल चुकी है। कोई भी स्वायत्तता, स्वशासन या आजादी के नारे की सियासत नहीं कर रहा है। आवाम तरक्की, आर्थिक-सामाजिक हितों की रक्षा को सर्वोपरि मानती है। यह बड़ा बदलाव मोदी-टू में हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार सत्ता संभाली तो किसी को आभास नहीं था कि जम्मू कश्मीर की सियासत, व्यवस्था और भूगोल हमेशा के लिए बदल जाएगा। गत वर्ष जुलाई के अंतिम सप्ताह से शुरू सुगबुगाहट पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर में नई सुबह लेकर आई। गत वर्ष 30 मई को मोदी 2.0 सरकार का दूसरा कार्यकाल जब शुरू हुआ तो उस समय प्रदेश में पुलवामा हमले की गूंज सुनाई दे रही थी। स्थानीय सियासी हल्कों में फिर निर्वाचित सरकार के गठन सुगबुगाहट चल रही थी। विधानसभा को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नवंबर 2018 में भंग कर दिया था। लोग विधानसभा चुनाव की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने मास्टर स्ट्रोक देते हुए जम्मू कश्मीर का पूरा भूगोल बदल दिया।
केंद्र ने अनुच्छेद 370 के वह सभी प्रावधान समाप्त कर दिए, जो जम्मू कश्मीर को भारत के भीतर अलग राष्ट्र का संकेत देते थे। 70 साल से बड़ा सियासी मुद्दा अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया। देश का हर नागरिक जम्मू कश्मीर पर उतना ही हक रखता है जितना जम्मू कश्मीर में पैदा होने वाला। सिर्फ अनुच्छेद 370 ही समाप्त नहीं हुआ, पुनर्गठन के जरिए लद्दाख के लोगों की कश्मीरी दास्तां से मुक्ति की ख्वाहिश पूरी हुई। लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। जम्मू कश्मीर को अलग केंद्र शासित प्रदेशन का दर्जा मिला। जो लोग कहते थे कि जम्मू कश्मीर की तत्कालीन संवैधानिक स्थिति के साथ खिलवाड़ पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक आग लग जाएगी, झूठे साबित हुए। अतीत के अनुभवों के आधार पर प्रदेश में शरारती तत्वों से लेकर सियासत के लिए लोगों को भड़काने वाले तत्वों पर केंद्र सरकार व प्रदेश प्रशासन ने कोई नर्मी नहीं बरती। वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया और हालात काबू में रहे।
एक साल अहम रहा : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ सलीम रेशी ने कहा कि एक साल अहम रहा है। जम्मू कश्मीर की पूरी व्यवस्था बदल चुकी है। अगर आज आतंकियों के जनाजों पर भीड़ नहीं हैं तो यह पांच अगस्त का पाजिटिव इफेक्ट है। लखनपुर से टंगडार तक आप बदलाव महसूस कर सकते हैं। आप किसी से बात करें, वह छूटते ही कहेगा नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी या इन जैसे दलों की मौकापरस्त और भ्रष्ट सियासत से आजादी मिल गई है। पांच अगस्त के बाद से यहां भ्रष्टाचार के मामले रोज सामने आ रहे हैं, पहले इनकी उम्मीद नहीं थी। बदलाव के दौर की शुरुआत के दौरान जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन देश-विदेश के 40 बड़े व्यापारिक घरानों ने करोड़ों के निवेश की जम्मू कश्मीर में इच्छा जताते हुए अपनी परियोजनाओं के प्रस्ताव भी जमा कराए। मतलब अर्थव्यवस्था को जो अल्पकालिक चोट पहुंची उसे दीर्घकालिक फायदे में बदलने का रोडमैप भी तैयार रखा।
...नई आर्थिक क्रांति के गवाह बने होते : आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. गोपाल पार्थासारथी ने कहा कि अगर कोविड-19 का लॉकडाउन नहीं होता तो आप जम्मू कश्मीर में नई आर्थिक क्रांति के गवाह बने होते। 30 वर्षों में आतंकवाद ने जो जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचाया है, उसकी क्षतिपूर्ति का व्यावहारिक दौर शुरू हो चुका होता। आप लॉकडाउन खुलनें दें उसके बाद आप खुद यहां आर्थिक खुशहाली को देखेंगे। जम्मू कश्मीर में रोजगार की संभावनाएं आने वाले दिनों में बढ़ेंगी।
राजनीति में आए नए चेहरे : वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि पांच अगस्त के बाद जिस तरह से उम्मीद थी,उसी के अनुरूप जम्मू कश्मीर के सियासी मंच पर कई नए चेहरे देखने को मिले हैं। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी बनी है, इसके अधिकांश नेता कश्मीर से ही हैं। बावजूद वह उन मुद्दों की बात नहीं कर रहे हैं, जिन पर नेकां, पीडीपी या अप्न्य दलों ने लोगों से वोट लेकर जम्मू कश्मीर में हुकूमत की है। वह डोमिसाइल की बात करते हैं,वह स्थानीय हितों की बात करते हैं।
यहां सबकुछ बदल गया : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरि ओम ने कहा कि एक साल पहले तक जम्मू कश्मीर में जिहादी तत्वों के खिलाफ खुलकर नहीं बोल सकते थे, अल्पसंख्यक समुदाय जिनमें हिंदू भी है और सिख भी, अपने साथ होने वाले अन्याय की बात करने से डरता था,आज खु़लकर बोलता है। रोशनी घोटाला सामने आना जिसे इकजुट संगठन के अंकुर शर्मा ने बेनकाब करते हुए बताया कि कैसे यहां जमीन जिहाद चलाया जा रहा है, उसके बारे में पांच अगस्त से पहले कोई बात कर सकता था। ब्यूरोक्रेसी इन मामलों को दबाने का प्रयास करती थी। एक साल में जम्मू कश्मीर ने उज्ज्वल भविष्य की राह पकड़ी है। बदलाव की जो बयार शुरू हुई है,उसे आप आने वाले दिनों यहां हर जगह महसूस करेंगे।
रिफ्यूजियों को मिला इंसाफ: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में डोमिसाइल प्रमाणपत्र लागू होने के साथ ही पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजी और वाल्मिकी समाज की सालों पुरानी जद्दोजहद खत्म हो गई। मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों, वाल्मिकी समाज को न्याय मिला। यह एक एतिहासिक फैसला था। देश के दो प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और इंद्र कुमार गुजराल भी पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजी थे, लेकिन साल 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से आए जो रिफ्यूजी जम्मू कश्मीर में बस गए, उनको नागरिकता का अधिकार नहीं दिया गया। वहीं जो लोग देश के अन्य भागों में बस गए वह नागरिक तो बने ही और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। जम्मू कश्मीर की कश्मीर केंद्रित सरकारों ने पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को हक दिलाने के लिए कभी प्रयास नहीं किए। इतना ही नहीं, रोड़े भी अटकाए गए। मोदी सरकार के समय में जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही रिफ्यूजियों को इंसाफ की उम्मीद
मोदी सरकार की उपलब्धियां :
- प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कोरोना से जंग, अनुच्छेद 370 को हटाना, नागरिकता संशोधन बिल व तीन तलाक बिल मोदी सरकार की उपलब्धियां हैं। उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को चेतावनी दी कि वह सार्वजनिक तौर पर घोषणा करें कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो पांच व छह अगस्त को जम्मू कश्मीर को लेकर किए गए संवैधानिक बदलाव को वापस करेंगे।
कोरोना से जंग, अनुच्छेद 370 को हटाना, नागरिकता संशोधन बिल, तीन तलाक बिल मोदी सरकार की उपलब्धियां हैं। उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को चेतावनी दी कि वे सार्वजनिक तौर पर घोषणा करें कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो पांच और छह अगस्त को जम्मू कश्मीर को लेकर किए संवैधानिक बदलाव को वापस करेंगे। - डॉ. जितेंद्र सिंह, पीएमओ में राज्यमंत्री
जम्मू कश्मीर के लोगों का समग्र विकास, सबका साथ और सबका विकास इसी लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है। पिछले एक साल में प्रदेश में विकास की बयार जिस तरह से बही है लोग अब जान चुके हैं कि भाजपा ही जम्मू कश्मीर में उन्नति के द्वार खोल सकती है। हर संसदीय क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। -जुगल किशोर, सांसद जम्मू पुंछ लोकसभा क्षेत्र