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Jammu Kashmir:अब जम्मू में हल होंगे केंद्रीय कर्मियों के मसले, यहां स्थापित होगा कैट का 18वां बेंच

कैट का 18वां बेंच जम्मू में स्थापित होगा जम्मू-कश्मीर व लद्दाख इसके क्षेत्राधिकार में होंगे। जम्मू में कैट बेंच स्थापित करने की अधिसूचना भारतीय राजपत्र में में प्रकाशित की गई।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 08:54 AM (IST)
Jammu Kashmir:अब जम्मू में हल होंगे केंद्रीय कर्मियों के मसले, यहां स्थापित होगा कैट का 18वां बेंच
Jammu Kashmir:अब जम्मू में हल होंगे केंद्रीय कर्मियों के मसले, यहां स्थापित होगा कैट का 18वां बेंच

जम्मू, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा केंद्र शासित लद्दाख में सर्विस मैटर्स की सुनवाई के लिए जम्मू में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) का बेंच स्थापित करने की घोषणा की है। देश में कैट का यह 18वां बेंच होगा, जो दोनों प्रदेशों के सरकारी अधिकारियों व यहां कार्यरत केंद्रीय कर्मचारियों के मसलों पर सुनवाई करेगा।

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जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेश बनने से पूर्व ऐसे मामलों पर जम्मू- कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करता था। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई चंडीगढ़ बेंच के पास चली गई। अब जम्मू में बेंच बनने से दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी अधिकारियों व यहां कार्यरत केंद्रीय कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

जम्मू में कैट बेंच स्थापित करने की अधिसूचना वीरवार को भारतीय राजपत्र में प्रकाशित की गई। अधिसूचना में कहा गया है कि कैट का 18वां बेंच जम्मू में स्थापित होगा और केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर व लद्दाख इसके क्षेत्राधिकार में होंगे।

राकेश सागर जैन पहले न्यायिक सदस्य नियुक्त :

सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) के इलाहबाद बेंच के न्यायिक सदस्य राकेश सागर जैन का तबादला कर उन्हें जम्मू कैट बेंच का पहला न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया है। कैट के प्रिंसपल रजिस्ट्रार गौतम मोंडाल की ओर से वीरवार को जारी आदेश में जैन को आठ जून 2020 तक अपना पद ग्रहण करने को कहा गया है। आदेश में कैट इलाहबाद को उन्हें जल्द रिलीव करने का भी निर्देश दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नागरिक राकेश सागर जैन वर्ष 1987 में मुनसिफ नियुक्त हुए थे और वर्ष 2004 में जिला जज के पद पर पदोन्नत हुए। जैन 31 मार्च 2017 को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए और पांच जुलाई 2018 को उन्होंने कैट के इलाहबाद बेंच में न्यायिक सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला था।

29 अप्रैल को शुरू हुआ था विवाद :

केंद्र सरकार की ओर से 29 अप्रैल 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सभी सर्विस मैटर चंडीगढ़ कैट बेंच के अधीन लाए गए। इसे लेकर राजनीति भी गरमाई और चंद दिनों में ही केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ा कि सरकार जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के लिए अलग से बेंच स्थापित करेगी। हालांकि जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने श्रीनगर, जम्मू व लेह में अलग-अलग बेंच स्थापित करने की मांग भी रखी थी, लेकिन फिलहाल तीनों क्षेत्रों के लिए एक ही बेंच स्थापित हुआ है।

हाईकोर्ट ने बंद कर दी थी सुनवाई :

जम्मू के वकील आदित्य शर्मा ने एडवोकेट गगन बसोत्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के सर्विस मैटर की सुनवाई चंडीगढ़ में करवाने के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने इस आदेश को खारिज करने की मांग की थी, जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में उचित फैसला करने का निर्देश देते हुए सभी सर्विस मैटर पर सुनवाई बंद कर दी थी। इसके उपरांत गत दिनों चंडीगढ़ बेंच ने जम्मू-कश्मीर के दो सर्विस मैटर पर सुनवाई की।

वकीलों व याचियों को मिलेगी राहत :

31 दिसंबर 2018 तक देश में कैट के 17 बेंच के पास 50053 लंबित केस थे। कैट के इन 17 बेंच के मंजूर 65 पदों में से 28 अभी भी खाली पड़े हैं। चंडीगढ़ बेंच में तीन मंजूर पद हैं, लेकिन मौजूदा समय में केवल एक ही सदस्य है और बेंच के पास करीब 1100 केस लंबित पड़े हैं। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में सर्विस मैटर के 40 हजार केस लंबित थे। ऐसे में कहीं न कहीं चंडीगढ़ बेंच के लिए इतने केसों का निपटारा बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के सरकारी अधिकारियों-पेंशनर्स व वकीलों के लिए भी चंडीगढ़ जाकर केस पर बहस करना आसान नहीं था। ऐसे में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी स्थानीय बेंच होने की मांग रखी थी। इस बेंच के बनने से वकीलों के साथ याचियों को भी राहत मिलेगी और स्थानीय स्तर पर उनके केसों की सुनवाई हो सकेगी। 


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