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Jammu Kashmir: कोरोना ने दिलाई प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आंवले की याद, इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद

जम्मू क्षेत्र में कंडी इलाकों में आंवला की अच्छी पैदावार होती है। 1670 हैक्टेयर भूमि में 2958 टन की पैदावार मिलती है। इसकी खपत स्थानीय क्षेत्र में ही हो जाती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 12:32 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 12:32 PM (IST)
Jammu Kashmir: कोरोना ने दिलाई प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आंवले की याद, इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद
Jammu Kashmir: कोरोना ने दिलाई प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आंवले की याद, इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद

जम्मू, जागरण संवाददाता : आंवला के गुणों से कुछ लोग परिचित तो हैं ही लेकिन जो नहीं हैं, इस कोरोना काल में हो गए हैं। लोगों ने जाना कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आंवला रामबाण साबित हो रहा है। कैल्शियम व विटामिन सी की प्रचुर मात्र के इस फल की ओर लोगों का आकर्षण बढ़ा है। यही कारण है कि किसानों को इस सीजन में उम्मीद है कि आंवले की फसल अच्छी कमाई कराएगी। इस समय जम्मू क्षेत्र में आंवले के पेड़ों पर फूल लगना शुरू हो गए हैं। मध्य अक्टूबर के बाद आंवला तैयार होने लगेगा। सब ठीक रहा तो यही आंवला किसानों की आमदनी के द्वार खोलेगा।

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जम्मू क्षेत्र में कंडी इलाकों में आंवला की अच्छी पैदावार होती है। 1670 हैक्टेयर भूमि में 2958 टन की पैदावार मिलती है। इसकी खपत स्थानीय क्षेत्र में ही हो जाती है। किसानों को मलाल इस बात का है कि आंवला से अचार, मुरब्बा, जूस बनाने की जम्मू क्षेत्र में पर्याप्त औद्योगिक इकाइयां नहीं होने से उनका माल नहीं उठ पाता। बाजार में भी उचित दाम नहीं मिल पाते। लेकिन कोरोना काल में काफी कुछ बदला है। लोगों का रुझान आंवला की ओर बनने लगा है। इससे किसानों में अच्छे दाम की उम्मीदें बनी हैं। इन दिनों स्थानीय आंवला नहीं है। ऐसे में लोग आंवला का बना मुरब्बा इस्तेमाल कर रहे हैं। आंवला स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होने के कारण इसको अलग-अलग तरीके से लोग इस्तेमाल करते हैं। अचार, मुरब्बा बनाने के अलावा कुछ लोग भोजन के साथ नियमित रूप से इसकी चटनी का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेद की कई औषधियों में इसका प्रमुखता से इस्तेमाल होता है।

तीन क्षेत्रों में होता है आंवला: जम्मू क्षेत्र की कंडी बेल्ट के भलवाल, अखनूर, खौड़, सांबा, पुरमंडल, कठुआ में भरपूर आंवला होता है। जम्मू जिले में सबसे अधिक 1230 मीट्रिक टन की पैदावार मिलती है। सांबा और कठुआ जिले में 1828 मीट्रिक टन की पैदावार होती है। चूंकि कम पानी वाले क्षेत्रों में आंवला आसानी से हो जाता है। ऐसे में किसान इसे आसानी से लगा लेता है।

देसी आंवले की बात निराली: वैसे तो अधिकांश पेड़ पुराने जमाने के लगे हुए हैं जिस पर देसी आंवला लगता है। साइज में छोटा मगर इसका स्वाद निराला होता है। आचार के लिए इस आंवले का आज भी खूब इस्तेमाल होता है। लेकिन अब बागवानी विभाग ने हाइब्रिड एनए-7 व बनारसी आंवला के बाग भी लगवाए हैं। ऐसे में बड़े साइज के आंवले की पैदावार भी खूब प्राप्त हो रही है। हर साल सर्दी में जम्मू का आंवला बाजार में पहुंचता है और लोगों की जरूरत को पूरा करता है।

  • जम्मू बेल्ट आंवला के लिए जाना जाता है। कंडी में बेशुमार पेड़ हैं, लेकिन जब पैदावार निकलती है तो मार्केट नहीं मिलती। किसानों को प्रति किलो पांच-छह रुपये भी नहीं मिल पाते। इसलिए मेरी केंद्र सरकार से गुजारिश है कि आंवला से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए कुछ बड़े उद्योग जम्मू क्षेत्र में लगने चाहिए ताकि आंवला की खपत हो सके। - ओम प्रकाश, विजयपुर के किसान  
  • सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करना चाहिए। लोगों को आंवले के गुणों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि इसका सेवन बढ़ाएं और किसानों को अच्छे दाम मिल सकें। बहरहाल अब लोगों में जो जागृति आई है। इससे जरूर आवंला की मांग बढ़ेगी। - गौतम सिंह, वीरपुर के किसान 
  • लॉकडाउन के कारण इस समय मंडी में बाहर का आंवला नहीं आ रहा। गर्मी बाद जम्मू का आंवला मार्केट में में छा जाता है। उस समय जम्मू में अच्छी पैदावार होने से दूसरे राज्यों से आंवला नहीं आ। आंवले की खपत बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। - राज कुमार राजा, व्यापारी, नरवाल सब्जी मंडी
  • किसानों को मार्केट दिलाने में विभाग पीछे नहीं है। हार्टीकल्चर फूड प्रोसेसिंग एंड केनिंग यूनिट किसानों की सहायता करता है। किसानों को आंवला समेत दूसरे फलों से आचार, मुरब्बे, जूस बनाना व डिब्बे में बंद करना सिखाता है। न्यूनतम दाम पर आंवला का मुरब्बा, जूस तैयार कर भी उपलब्ध कराता है। जम्मू में कुछ इंडस्ट्रीज भी हैं जहां आंवला की खपत हो रही हैं। - संजीव कुमार, बागवानी अधिकारी, जम्मू

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