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कश्मीरी पंडित घर में ही माता क्षीर भवानी को लगाएंगे भोग

ज्येष्ठ अष्टमी पर 30 मई को जम्मू में भवानी नगर स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर में जाकर कश्मीरी पंडित पूजा अर्चना नहीं करेंगे। इसके बजाय इस बार वह अपने घरों में ही रहकर माता क्षीर भवानी (माता राघेन्या) की आराधना करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:45 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 08:45 AM (IST)
कश्मीरी पंडित घर में ही माता क्षीर भवानी को लगाएंगे भोग
कश्मीरी पंडित घर में ही माता क्षीर भवानी को लगाएंगे भोग

जागरण संवाददाता, जम्मू : ज्येष्ठ अष्टमी पर 30 मई को जम्मू में भवानी नगर स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर में जाकर कश्मीरी पंडित पूजा अर्चना नहीं करेंगे। इसके बजाय इस बार वह अपने घरों में ही रहकर माता क्षीर भवानी (माता राघेन्या) की आराधना करेंगे। इस दिन मेला भी नहीं लगेगा। यह कोरोना वायरस और लॉकडाउन के मद्देनजर हुआ है। हालांकि, माता राघेन्या के स्थापना दिवस पर अ‌र्द्धरात्रि महाराघेन्य सेवा संस्थान (क्षीर भवानी मंदिर) के तीन सदस्य ही मंदिर में दीप जलाकर पूजा-अर्चना करेंगे। सिर्फ यही लोग मंदिर के जलकुंड में दूध, खीर व फूल अर्पित करेंगे।

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मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुला में स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर की तर्ज पर जम्मू में भी माता का मंदिर बनाया गया है। आतंकवाद के दौरान 1990 में कश्मीरी पंडितों की बड़ी आबादी कश्मीर से पलायन कर जम्मू में आ गई थी। इन लोगों को घाटी के तुलमुला स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर (राघेन्या माता मंदिर) से विमुख होना पड़ा था। जम्मू आए इन पंडितों ने तब तुलमुला में स्थित ऐतिहासिक मंदिर की तर्ज पर ही जम्मू के भवानी नगर में माता क्षीर भवानी का मंदिर बनाया। तब से यहां भी कश्मीर की तरह हर साल ज्येष्ठ अष्टमी पर मेला लगता है। हर वर्ष इसमें हजारों कश्मीरी पंडित भाग लेते हैं, लेकिन इस बार यह मेला नहीं लगेगा।

अ‌र्द्धरात्रि महाराघेन्य सेवा संस्थान (क्षीर भवानी मंदिर) के उप प्रधान अनिल रैणा का कहना है कि भवानी नगर स्थित माता मंदिर परिसर में कोई भीड़ नहीं होगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत लोगों के जमघट की मनाही है। ज्येष्ठ अष्टमी पर महज संस्थान के चंद लोग ही मंदिर में उपस्थित रहेंगे। पनुन कश्मीर के प्रधान वीरेंद्र रैणा ने भी कश्मीरी पंडितों से कहा है कि वे ज्येष्ठ अष्टमी पर अपने घर में ही रहकर मां राघेन्या की पूजा करें। श्रीलंका से तुलमुला पहुंची थीं माता राघेन्या

कश्मीरी पंडितों का मानना है कि माता राघेन्या को श्रीराम के भक्त हनुमान जी श्रीलंका से कश्मीर के तुलमुला में आए थे। तुलमुला में ज्येष्ठ अष्टमी पर ही माता स्थापित हुई थीं। तब लोगों ने खुशी में खीर बनाई व माता को भोग लगाया। जगटी टेनमेंट कमेटी व सोन कश्मीर के प्रधान शादीलाल पंडिता का कहना है कि कश्मीरी पंडित तुलमुला मंदिर में ही माता की पूजा करते आए हैं। हर साल खीर बनाकर माता को भोग लगाया जाता है। इसलिए इनको माता क्षीर भवानी भी कहा जाता है। ज्येष्ठ अष्टमी पर कश्मीरी पंडित मंदिर परिसर में बने कुंड में खीर, दूध व फूल का अर्पित करते हैं। दीप जलाकर पूजा करते हैं।

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