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वर्ष 2018 में शहर में कोई भी प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया

जागरण संवाददाता, जम्मू : वर्ष 2018 शहर को कोई सौगात नहीं दे पाया। न तो कृत्रिम झील पूरी हु

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 04:25 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 04:25 AM (IST)
वर्ष 2018 में शहर में कोई भी प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया
वर्ष 2018 में शहर में कोई भी प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया

जागरण संवाददाता, जम्मू : वर्ष 2018 शहर को कोई सौगात नहीं दे पाया। न तो कृत्रिम झील पूरी हुई, न ही ट्रैफिक समस्या से निजात दिलाने को जम्मू के मुख्य बस स्टैंड में मल्टीटियर पार्किंग का निर्माण किया जा सका। पर्यटकों को जम्मू में लुभाने के लिए तवी नदी के किनारों को साबरमती की तर्ज पर विकसित करने के दावे भी फाइलों से जमीन पर नहीं आ सके। हद तो यहां हुई कि बिक्रम चौक में बनाया गया सब-वे तैयार होने के बावजूद उद्घाटन को तरसता ही रह गया।

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राजनीतिक उठा-पठक के साथ शुरू हुआ वर्ष 2018 का सफर जम्मू शहर को कोई खास राहत नहीं दे पाया। जम्मू विकास प्राधिकरण का शहर की जीवनदायिनी सूर्य पुत्री तवी नदी के किनारों को गुजरात की साबरमती की तर्ज पर विकसित करने का प्रोजेक्ट फाइलों से जमीन तक नहीं पहुंच सका। साल भर में दो बार टेंडर आमंत्रित करने के बाद काम शुरू नहीं हो सका। जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने इसके लिए साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ एमओयू भी साइन किया है। एमओयू के तहत ढाई किलोमीटर क्षेत्र में तवी किनारों का सौंदर्यीकरण किया जाना है। तवी के दोनों ओर ढाई-ढाई किलोमीटर क्षेत्र में पाथ-वे बनाए जाने हैं। ये पाथ-वे तरह-तरह की लाइटों, हरियाली और उपकरणों से सुसज्जित होंगे। इस प्रोजेक्ट पर करीब 220 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इतना ही नहीं जेडीए ने इस वर्ष वेयर हाउस को सांबा में शिफ्ट कर हेबिटेट सेंटर बनाने का जो प्रस्ताव तैयार किया था, वह भी राजनीतिक दबाव के बीच फिलहाल ठंडे बस्ते में जा चुका है। इसके अलावा जेडीए का महत्वपूर्ण मल्टीटियर पार्किंग बनाकर जम्मू के मुख्य बस स्टैंड में बस टर्मिनल से राहत देने का प्रोजेक्ट भी इस साल पूरा नहीं हो सका। शहर में कृत्रिम झील बनाकर पर्यटकों को लुभाने तथा केबल कार शुरू करने की योजना इस साल भी पूरी नहीं हुई। अब इन दोनों परियोजनाओं की 2019 में शुरू होने की उम्मीद है। निकाय चुनावों से बढ़ा भरोसा

जम्मू : 13 वर्ष बाद स्थानीय निकाय चुनाव होना इस वर्ष की उपलब्धि रहा। जम्मू नगर निगम समेत म्यूनिसिपल काउंसिलों व म्यूनिसिपल कमेटियों के सदस्य चुने गए। मुहल्ला स्तर पर लोगों को प्रतिनिधित्व मिला। इसके अलावा पंचों-सरपंचों के चुनाव भी हुए। इस पहल से लोगों का विश्वास बढ़ा। जम्मू शहर का दायरा बढ़ाया गया। पहले 71 वार्ड थे, उन्हें 75 कर दिया गया। चार नए वार्ड बनने से 36 गांव शहर में शामिल हो गए। शहर से 75 कॉरपोरेटर चुने गए। इससे शहर के विभिन्न प्रोजेक्ट शुरू होने की आशा बंधी है। मुहल्ले की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान शुरू हुआ। निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी वर्चस्व दिखाने में सफल रही। स्थानीय निकायों की मार्फत अब केंद्र सरकार से शहरों, कस्बों, मुहल्लों के विकास को अधिक फंड मिल पाएंगे। स्मार्ट सिटी के लिए कदमताल

जम्मू : केंद्र सरकार के प्रयासों से जम्मू और श्रीनगर शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल तो कर लिया गया, लेकिन सालभर में कंपनी बनाने और इसके चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बनाने से आगे काम नहीं हो सका। हालत यह रही है कि श्रीनगर के अलावा जम्मू में सीईओ तैनात कर दिया गया। कंपनी भी बनाई गई। अप्रैल माह में स्मार्ट सिटी कंपनी बनाकर इसमें विभिन्न पदों को भरने के लिए साक्षात्कार हुए। साल गुजर गया, लेकिन किसी भी कर्मी की नियुक्ति नहीं हो सकी। अलबत्ता स्मार्ट सिटी बनाकर जम्मू व श्रीनगर के सौंदर्यीकरण के दावे बदस्तूर जारी रहे। राजनेताओं ने ही नहीं, नौकरशाहों ने भी बैठकें कर स्मार्ट सिटी को टेबलों पर बैठ चाय की खूब चुस्कियां लगाईं। फिलहाल श्रीनगर व जम्मू में स्मार्ट सिटी कंपनी बना दी गई हैं। तवी नदी पर कृत्रिम झील बनी रही मुद्दा

जम्मू : तवी नदी पर बैराज बनाकर कृत्रिम झील बनाने का प्रोजेक्ट इस साल भी धक्के खाता रहा। शुरुआत में भाजपा के मंत्रियों ने इसमें सक्रियता दिखाई। फिर प्रोजेक्ट को गलत करार देते हुए दरकिनार करना शुरू कर दिया। पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद राज्यपाल शासन शुरू हुआ तो फिर अधिकारियों ने फाइलें निकाल लीं। काम में तेजी लाने के निर्देश जारी होने लगे। अलबत्ता वर्ष गुजर गया। जम्मू में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2002 में तवी नदी में कृत्रिम झील बनाने का सपना दिखाया गया था। झील के निर्माण के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए, लेकिन दो बार बाढ़ के कारण बैराज क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कृत्रिम झील के लिए कुल 31 पिलर बनाए गए हैं। अंत में दोनों तरफ गाइड वॉल बनी है। इनमें से 20 पिलर निक्की तवी की तरफ हैं, जबकि 11 पिलर भगवती नगर की तरफ। यह निर्माण कार्य जीवीआर इंफ्रास्ट्रक्चर हैदराबाद को दिया गया है। केबल कार के हुए ट्रॉयल, राहत फिर भी नहीं

जम्मू : वर्ष 2017 से केबल कार शुरू करने की घोषणाएं इस वर्ष भी हवाई ही साबित हुई। दिसंबर अंत तक भी बाहुफोर्ट-महामाया-पीरखोह केबल कार प्रोजेक्ट ट्रॉयल करने से आगे नहीं बढ़ पाया। नए साल में इसे शुरू करने की घोषणा होने की उम्मीद जरूर है। वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मूवासियों को पीरखोह से महामाया व महामाया से बाहुफोर्ट तक केबल कार चलाने का हसीन सपना दिखाया था। कई अड़चनों को पार करने के करीब एक दशक बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के 24 फरवरी 2014 को इसका नींव पत्थर रखा। सरकार ने कोलकाता की दामोदर रोप-वे एंड इंफ्रा लिमिटेड कंपनी को टेंडर अलाट किया, जिसने अनंतनाग की फैच कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण का जिम्मा सौंपा। करीब 1.6 किलोमीटर लंबी इस केबल कार प्रोजेक्ट में तीन टर्मिनल होंगे। पहला टर्मिनल पीरखोह, दूसरा महामाया पार्क और तीसरा बाहुफोर्ट में होगा। सैलानी बाहुफोर्ट या पीरखोह से गंडोले में बैठ कर बावे वाली माता, एतिहासिक पीरखोह गुफा, महामाया मंदिर सहित अन्य स्थलों का नजारा ले सकेंगे। पीरखोह से महामाया पार्क तक केबल कार की लंबाई 1137 मीटर और इसमें आठ केबिन लगेंगे व महामाया पार्क से बाहुफोर्ट की लंबाई 453 मीटर है और इसमें दस केबिन लगेंगे। प्रत्येक केबिन में छह लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इस केबल कार से प्रति घंटा 400 लोगों को पहुंचाया जा सकेगा। यहां आने वाले सैलानियों के लिए 122 वाहनों को खड़ा करने की क्षमता वाला पार्किंग स्थल भी बनाया गया है। केबल कार की सैर करने के लिए एक व्यक्ति को 300 रुपये की टिकट लेनी पड़ेगी। बस स्टैंड मल्टीटियर पार्किंग अभी दूर की कौड़ी

जम्मू : मुख्य बस स्टैंड में नवंबर 2018 तक मल्टीटियर पार्किंग बनाने के दावे भी खोखले साबित हुए। यह प्रोजेक्ट अभी 70 प्रतिशत के करीब ही पूरा हो पाया है। निर्माण एजेंसी शाहपूर्जी पल्लौजी कंपनी इसे बना रही है। मल्टीटियर पार्किंग का नींव पत्थर दो बार रखा जा चुका है। 15 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इसका नींव पत्थर रखा था, जबकि इससे पूर्व दो सितंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नींव पत्थर रख काम शुरू करवाया था। इस मल्टीटियर पार्किंग प्रोजेक्ट में पांच मंजिलें होंगी। पहली तीन मंजिलों पर वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था रखी जाएगी। दो मंजिला शॉ¨पग कांप्लेक्स के लिए निर्धारित कर दी गई है। ग्राउंड फ्लोर पर बसों के लिए टर्मिनल रहेगा, जहां से सवारियां भरकर गाड़ियां आगे चली जाएंगी। ग्राउंड फ्लोर के तीन तरफ 80 बसों के खड़ा होने की व्यवस्था रहेगी। तीनों फ्लोर पर कुल 1312 कारें व 177 दो पहिया वाहन भी पार्क हो सकेंगे। इस प्रोजेक्ट पर 213 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अलावा ग्राउंड फ्लोर पर 160 दुकानों को भी बनाए जाने का प्रावधान प्रोजेक्ट में रखा गया है। अब अप्रैल 2019 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के दावे किए जा रहे हैं।


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