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Jammu Kashmir:जम्मू कश्मीर में वाट्सएप वीडियो कॉल से पुलवामा हमले की सुनवाई

टाडा अदालत ने आरोपितों को 15 दिनों की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजा किश्तवाड़ आतंकी हमले में तीन आरोपितों को सशर्त जमानत दी गई

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 09:58 AM (IST)
Jammu Kashmir:जम्मू कश्मीर में वाट्सएप वीडियो कॉल से पुलवामा हमले की सुनवाई
Jammu Kashmir:जम्मू कश्मीर में वाट्सएप वीडियो कॉल से पुलवामा हमले की सुनवाई

जम्मू, जेएनएफ। पुलवामा आतंकी हमले पर सोमवार को टाडा अदालत में वाट्सएप वीडियो कॉल के जरिये सुनवाई की। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोर्ट परिसर में लोगों की आवाजाही कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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पोटा-टाडा अदालत के विशेष जज सुभाष चंद्र गुप्ता ने सुनवाई के दौरान पुलवामा आतंकी हमले के आरोपितों शकीर बशीर, पीर तारिक अहमद, इंशा जान, मोहम्मद अब्बास, वाजी उल इस्लाम को 15 दिनों की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया।

एनआइए ने इन सभी आरोपितों को पुलवामा हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के चालीस जवान शहीद हो गए थे। एक अन्य मामले में इसी अदालत ने किश्तवाड़ आतंकी हमले के तीन आरोपितों मसूद अहमद, मोहम्मद जफर, लियाकत अली और कौसर हुसैन को सशर्त जमानत दे दी है।

आरोपितों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सभी की गिरफ्तारी का 180 दिनों का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक पुलिस इस मामले की चार्जशीट पेश नहीं कर पाई है। इसलिए सभी को जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने वकीलों के तर्क को सही मानते हुए जेल अधीक्षक को सभी आरोपितों को एक लाख रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से जमानत राशि के साथ रिहा करने का निर्देश दिया। साथ ही आरोपितों को निर्देश दिए हैं कि वे जांच अधिकारी को सहयोग देंगे और सुबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

कश्मीर में 14 लोगों पर लगा पीएसए हटाया, सेंट्रल जेल से हुए रिहा

केंद्रीय गृह विभाग ने श्रीनगर में पीएसए के तहत जेलों में बंद 14 लोगों को आज रिहा कर दिया गया। ये लोग 5 अगस्त 2019 या उसके बाद कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए एहतियातन जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाए गए थे। हालांकि इससे पहले भी इसी साल 10 जनवरी को केंद्र सरकार ने 26 लोगों पर लगाए गए पीएसए को हटाते हुए उन्हें रिहा कर दिया था। ये लोग सेंट्रल जेल श्रीनगर व देश के दूसरे राज्यों में रखे गए थे।

आज रिहा किए गए लोगों में मुदस्सर मीर उर्फ ​​अकीब पुत्र फैयाज अहमद मीर निवासी करालपोरा चढूरा बडगाम, फैयाज अहमद बक्तु पुत्र असदुल्ला बक्तु निवासी त्राल बाला पुलवामा, आबिद हुसैन शेख पुत्र गुलाम मोहिउद्दीन शेख निवासी बांडीपोरा, परवेज अहमद भट पुत्र अली मोहम्मद भट निवासी बिजबेहाड़ा अनंतनाग, इश्फाक अहमद डार पुत्र गुलाम मोहिउद्दीन डार निवासी बांडीपोरा, दाऊद अहमद खान पुत्र मोहम्मद अकबर खान निवासी पुलवामा, जुनैद अहमद खान पुत्र हसमतुल्ला खान निवासी अनंतनाग, महराजुद्दीन देंटू पुत्र गुलाम मोहिउद्दीन देंटू निवासी कुपवाड़ा, मोहम्मद मुसाहिब कंवलू पुत्र मोहम्मद कंवलू निवासी बारामुला, मोहम्मद इकबाल गोरसी पुत्र कीमा गोरसी निवासी पुलवामा, शाहिद सोफी पुत्र फारूक सोफी निवासी पुलवामा, शाहिद सोफी पुत्र फारूक अहमद सोफी जिला बारामुला, गुलाम मोहिउद्दीन पंडित पुत्र मोहम्मद अस्सदुल्ला पंडित निवासी बांडीपोरा, नजरफ हुसैन खताना पुत्र बशीर अहमद खताना निवासी पुलवामा, सुहैल अहमद शागू पुत्र हब्बीबुल्ला शागू निवासी लंगेट कुपवाड़ा शामिल हैं।

सनद रहे कि कश्मीर में सामान्य होते हालात और कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में 13 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला और उसके बाद 24 मार्च को उनके बेटे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर लगाए गए पीएसए को निरस्त करते हुए रिहा कर दिया था।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार अभी भी 380 से अधिक लोग हैं, जो पीएसए के तहत विभिन्न जेलों में नजरबंद हैं। इनमें बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम और व्यापारी अध्यक्ष यासीन खान भी शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती, पीडीपी नेताओं नईम अख्तर, सरताज मदनी, पीर मंसूर, नेकां नेता अली मोहम्मद सागर, हिलाल लोन और पूर्व आईएएस अधिकारी व पीपुल्स मूवमेंट के प्रधान डॉ शाह फैसल सहित अन्य राजनीतिज्ञ शामिल हैं।


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