Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों को नहीं भाया गृह जिलों में बसाने का सुझाव, कहा- एक जगह बसाया जाए
दिल्ली में गत मंगलवार को कश्मीरी पंडित संगठनों की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बैठक के दौरान पंडितों को घाटी में उनके पुराने जिलों में बसाने का जिक्र आया था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों को घाटी के दस जिलों में बसाने का सुझाव रखा है, लेकिन कश्मीरी पंडित इससे खुश नहीं हैं। उन्हें केंद्र का सुझाव रास नहीं आ रहा है। पंडितों का कहना है कि उन्हें घाटी में एक जगह पर बसाया जाए। इस मांग को लेकर वह जल्द बैठक कर रणनीति बनाने वाले हैं।
तीन दशक पहले कश्मीर से पलायन कर आए पंडित घाटी वापसी के तहत अपने-अपने जिलों में बसाने का सुझाव किसी भी शर्त पर मंजूर नहीं करेंगे। केंद्र का सुझाव सामने आने के बाद पनुन कश्मीर व समान विचारधारा वाले दलों ने होमलैंड की मांग बुलंद करने की मुहिम तेज करने के संकेत दिए हैं। इस दौरान प्रयास किया जाएगा कि केंद्र सरकार घाटी वापसी की योजना का स्वरूप तय करने से पहले पंडित समुदाय के प्रतिनिधियों को भी विश्वास में ले।
पनुन कश्मीर के चेयरमैन डॉ. अग्निशेखर का कहना है कि पंडितों के बिना कश्मीर के अधूरा होने, उन्हें वहां पुश्तैनी मकान में आकर बसाने की बातें सिर्फ दिखावा हैं। नब्बे के दशक में कश्मीर से निर्वासन, एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था के बीच धर्म के आधार पर हुआ। जब ऐसा हो रहा था तब कश्मीर में इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंडितों को यह यकीन दिलाया कि कश्मीर में उनके लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे में उनकी घाटी वापसी तभी संभव है तब वहां पर उन्हें अलग होमलैंड दिया जाए।
सतर्क हुए पंडित, पनुन कश्मीर की बैठक जल्द : दिल्ली में गत मंगलवार को कश्मीरी पंडित संगठनों की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बैठक के दौरान पंडितों को घाटी में उनके पुराने जिलों में बसाने का जिक्र आया था। इससे कश्मीर में होमलैंड की मांग करने वाले कश्मीरी पंडित दल सचेत हो गए हैं। ऐसे में कश्मीरी पंडित संगठनों ने आगे की रणनीति बनाने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है। होमलैंड की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा पनुन कश्मीर जल्द बैठक कर इस सिलसिले में आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। पनुन कश्मीर देश विदेश में अपनी मुहिम में कई बार स्पष्ट कर चुका है कि पंडितों को कश्मीर वापसी नहीं, वहां पर पुनर्वास चाहिए। यह तभी संभव होगा जब पंडितों को अलग-अलग नहीं, एक जगह पर साथ बसाया जाएगा।
दूसरी बार पलायन का जोखिम नहीं उठा सकते
डॉ. अग्निशेखर ने बताया कि घाटी वापसी पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए होमलैंड की मांग का समर्थन करने वाले कश्मीरी पंडितों के दल को विश्वास में लेकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। यह तय है कि कश्मीर पंडितों की वापसी तभी संभव होगी जब उन्हें कश्मीर में एक अलग जगह पर बसाया जाएगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। कश्मीर पंडित समुदाय कश्मीर से दूसरी बार पलायन करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।