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Kashmir Situation: तेजी से बदल रहा है उत्तरी कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ सोपोर

आफिया ने कहा मैं कभी कभार स्कूल में या फिर अपने घर के आंगन में बर्फ की आकृतियां बनाती थी। पहली बार मैंने ऐसी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 11:43 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 02:22 PM (IST)
Kashmir Situation: तेजी से बदल रहा है उत्तरी कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ सोपोर
Kashmir Situation: तेजी से बदल रहा है उत्तरी कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ सोपोर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। उत्तरी कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ सोपोर अब तेजी से बदल रहा है। यहां युवाओं की अब वह भीड़ नहीं दिखती जो कभी अलगाववादियों और आतंकियों के समर्थन में रैलियां निकाली थी या फिर सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकती थी। बदलाव के बीच अब ये युवा सेना द्वारा आयोजित स्नो गेम्स में नजर आते हैं। बर्फ के बीच ये अपना दमखम दिखा ही रहे हैं साथ ही अपने भीतर छिपी प्रतिभा को भी निखार रहे हैं। हालांकि, जीत की खुशी से कहीं ज्यादा इन युवाओं के चेहरे पर जिहादियों के दुष्प्रचार में अपनी प्रतिभा और आगे बढ़ने के मौकों को गंवाने का मलाल नजर आता है। मैदान में खड़े बुजुर्ग जब किसी नौजवान को यूं मायूस देखते हैं तो उसका मनोबल बढ़ाते हुए कहते हैं कि अच्छा हुआ, दिन ढलने से पहले ही तुम्हें घर का रास्ता मिल गया।

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स्थानीय युवाओं को जिहादी तत्वों से दूर रखने और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक गतिविधियों में लगाने के लिए ही सेना की किलो फोर्स के अंतर्गत परिबल टेकरी राष्ट्रीय राइफल बटालयिन ने सोपोर, राजपोरा, रामपोरा और साथ सटे अन्य इलाकों के नौजवानों के लिए स्नो गेम्स फेस्टिवल आयोजित किया। स्नो गेम्स के साथ साथ स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया। स्नो गेम्स में करीब 170 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। रोप स्नो टैग, स्नो मैन बिल्डिंग रेस, स्नो मैन हैटट्रिक, फुट ङ्क्षप्रट टैग रेस और स्नो रग्बी में स्थानीय खिलाड़ियों ने अपना दमखम दिखाया। स्नो गेम्स फेस्टिवल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत भी किया गया।

कभी आंगन में बनाती थी बर्फ की आकृतियां

आफिया ने कहा मैं कभी कभार स्कूल में या फिर अपने घर के आंगन में बर्फ की आकृतियां बनाती थी। पहली बार मैंने ऐसी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है। मेरी जैसी और भी कई लड़कियां थी, जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया। मैंने एक स्नो मैन और स्नो साइकिल बनाई। रस्साकशी में उपविजेता रही टीम के सदस्य इरशाद ने कहा कि सवाल हार जीत का नहीं है, सवाल है हमने कुछ किया। आजकल स्नो गेम्स खूब लोकप्रिय हैं। हमें लगता है कि हम इनमें अपना कैरियर बना सकते हैं। मैंने स्नो शू रेस में भी हिस्सा लिया है, उसमें दूसरे नंबर पर रहा हूं।

हमारे ब'चे वतनपरस्त, उन्हें सही राह मिले

कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि बीते दिनों पत्थरबाजी के सिलसिले में पकड़े गए कुछ युवकों से बातचीत और स्थानीय लोगों के आग्रह पर ही हमने इन खेलों का आयोजन किया है। लोगों में स्नो गेम्स को लेकर काफी जोश है। हम तो यहां मौजूद भीड़ से हैरान हैं। बुजुर्ग अख्तर रशीद ने कहा कि हमारे ब'चों को इस तरह के मौके नहीं मिलते थे, इसलिए वह आपको नारे लगाते नजर आते थे। हमारे बच्चे वतनपरस्त हैं, यह समाज और मुल्क का सरमाया हैं, बस इन्हें सही राह और मौका चाहिए।


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