निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों को एकजुट होने की जरूरत
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जागरण संवाददाता, जम्मू: केन्द्रीय सरकार भारतीय रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। इससे ना केवल रेल कर्मी बल्कि रेल अधिकारियों को खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब तक रेल कर्मी एकजुट नहीं होंगे तक तब वे सरकार के इस कर्मचारी विरोधी फैसला का विरोध नहीं कर पाएंगे। यह कहना है नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) जम्मू शाखा के अध्यक्ष एसबी दास का।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर रेल कर्मियों ने 19 सितंबर को पठानकोट में होने वाली शहीदी दिवस की तैयारियों को लेकर न्यू सिक लाइन में गेट मीटिग की गई।
इस दौरान कर्मचारियों को संबोधित करते हुए शाखा सचिव शैंबर सिंह ने कहाकि रेल मंत्रालय ने जो सौ दिन के कार्य योजना पेश की है उसमें उन्होंने इंडियन रेलवे रोलिग स्टाफ कंपनी बनाने के प्रस्ताव दिया है। इस प्रकार की कंपनी के बनने से रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। रेलवे में निजीकरण एक अभिशाप की तहत है इससे बचने के लिए सभी रेलकर्मियों को ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन व नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन जैसे संस्थाओं से जुड़ना चाहिए जो वर्ष 1924 से कर्मचारियों के हक के लिए लड़ रही है। 19 सितम्बर को पठानकोट में मनाए जाने वाले शहीदी दिवस को लेकर उन्होंने कहाकि शहीद कर्मियों की बदौलत हीं रेलवे में कर्मचारियों के काम करने के आठ घंटे निर्धारित है और उन्हें सरकार से बोनस मिलता है। पठानकोट के शहीद उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने कहाकि नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन की 71 वां वार्षिक अधिवेशन भी पठानकोट में होने वाली है। इसलिए सभी साथी तैयार रहे। इस दौरान केके शर्मा, कामरेट गार्ड रामपाल, कामरेट रंजीत पासवान, मीडिया सचिव प्रकाश चंद्र ने भी कर्मचारियों को संबोधित किया। उन्होंने रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।