J&K: सत्यपाल मलिक न माने तो नृपेंद्र मिश्रा बन सकते हैं केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल
पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने एक बड़ा एतिहासिक फैसला लेते जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित कर एकीकृत जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर लददाख में बांट दिया है।
श्रीनगर, नवीन नवाज। एकीकृृत जम्मू कश्मीर के 31 अक्तूबर 2019 को दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर व लददाख में बदल जाएगा। राज्यपाल का पद समाप्त हो जाएगा और उसके स्थान पर उप राज्यपाल का पद सृजित होगा। मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक ही दो नए केंद्रित शासित राज्यों के उपराज्यपाल की जिम्मेदारी संभालेंगे या फिर अलग-अलग उप राज्यपाल नियुक्त होंगे। इसे लेकर केंद्र सरकार की तरफ से स्थिति को पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को भी जम्मू-कश्मीर के प्रशासन की बागडोर सौंपे जाने की चर्चा है। उनके अलावा राज्यपाल के मौजूदा सलाहकार के विजय कुमार और फारुक अहमद खान के अलावा एक पूर्व खुफिया अधिकारी को भी लद्दाख या जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा है।
पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने एक बड़ा एतिहासिक फैसला लेते जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित कर एकीकृत जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर लददाख में बांट दिया है। इसके साथ ही जम्मू ककश्मीर में अलग निशान-अलग विधान के संवैधानिक प्रावधान भी समाप्त हो गए हैं। 31 अक्तूबर को दोनों केंद्र शासित राज्य कानूनी और संवैधानिक रुप से पूरी तरह अस्तित्व में आने के साथ ही क्रियाशील हाे जाएंगे। पूरी प्रशासनिक व्यवस्था भी बदल जाएगी। इसके साथ ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक मौजूदापांच सलाहकारों का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
हालांकि केंद्र सरकार ने शुरु में एकीकृत जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को ही दोनो नए केंद्र शासित राज्यों का उपराज्यपाल बनाने का संकेत दिया था,लेकिन मलिक कथित तौर पर जम्मू कश्मीर से बाहर किसी अन्य राज्य में अपने स्थानांतरण के इच्छ़ुक हैं। कहा जा रहा है कि वह गत सोमवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान इस मुददे पर भी चर्चा की है। अलबत्ता, प्रधानमंत्री ने उन्हें क्या यकीन दिलाया है, यह वही जानते हैं।
संबधित अधिकारियों की मानें तो दोनों नए केंद्र शासिित राज्यों के लिए केंद्र सरकार एक ही उपराज्यपाल को नियुक्त करने की इच्छ़क है। उन्होंने बताया कि इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए कई वरिष्ठ पूर्व सैन्याधिकारी, पूर्व नौकरशाह व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मौजूदा सलाहकार परिषद के कई सदस्य भी इस दौड़ में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक के ना मानने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को उपराज्यपाल बनाया जा सकता है। उनके अलावा राज्यपाल सत्यपाल मलिक दो सलाहकार के विजय कुमार और फारुक अहमद खान, सेना की उत्तरी कमान और सेना की चिनार कोर में अपनी सेवाएं दे चुके एक थलसेना के सैन्याधिकारी के अलावा केंद्रीय वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा का नाम भी लिया जा रहा है।
उन्हाेंने बताया कि राज्यपाल के दोनों मौजूदा राज्यपाल के विजय कुमार और फारुक अहमद खान दोनों ही पूर्व पुलिस अधिकारी हैं। के विजय कुमार दक्षिण भारत में चंदन तस्कर वीरप्पन को मार गिराने के अभियान से लेकर नक्सल प्रभावित इलाकों में भी अपनी योग्यता का परिचय दे चुके हैं। वह कश्मीर में भी बतौर बीएसएफ अधिकारी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। फारुक अहमद खान जम्ू के ही रहने वाले हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को कुचलने में अहम भूमिका निभाने वाले स्पेशल आप्रेशन ग्रुप के गठन में अहमद भूमिका निभायी है। वह वर्ष 2014 में ही भाजपा में शामिल हुए हैं और राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार बनने से पूर्व वह लक्षद्वीप में प्रशासक थे।
सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक अगर जम्मू कश्मीर में नहीं रुकना चाहेंगे तो उनके उत्तराधिकारी के रुप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री की पहली पंसद प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा हैं। उन्होंने गत माह ही अपने पद से इस्तीफा दिया है। वर्ष 1967 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस नृपेंद्र मिश्रा मई 2014 से अगस्त 2019 तक प्रधानमंत्री के प्रमुश्ख सचिव रह हैं। वर्ष 2005 में आईएएस से सेवानिवृत्त होने के बाद वह टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथारिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं। वह वाशिंगटन डीसी में वर्ष 1985-88 तक भारतीय दूतावास में आर्थिक मामलों के मंत्री भी रहे हैं।