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कश्‍मीर से अलग हुए लद्दाख में उठ रही अब ये मांग, क्‍या मोदी सरकार करेगी पूरी?

लद्दाखी अपने लिए जनजातीय क्षेत्र का दर्जा इसलिए पाना चाहते हैं ताकि देश के दूसरे हिस्सों से लोग आकर वहां बस नहीं पाएं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 08:55 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 03:19 PM (IST)
कश्‍मीर से अलग हुए लद्दाख में उठ रही अब ये मांग, क्‍या मोदी सरकार करेगी पूरी?
कश्‍मीर से अलग हुए लद्दाख में उठ रही अब ये मांग, क्‍या मोदी सरकार करेगी पूरी?

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लद्दाख को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की केंद्र सरकार से सिफारिश की है। लेकिन उसने यह सिफारिश पांचवीं नहीं, बल्कि छठी अनुसूची के तहत की है। पांचवीं अनुसूची के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को जनजातीय क्षेत्र घोषित किया गया है। ये राज्य जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधीन आते हैं। वहीं, छठी अनुसूची के तहत उत्तर पूर्व के चार राज्यों को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा हासिल है। ये राज्य गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं।

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लद्दाखी अपने लिए जनजातीय क्षेत्र का दर्जा इसलिए पाना चाहते हैं ताकि देश के दूसरे हिस्सों से लोग आकर वहां बस नहीं पाएं। ऐसे में उन्हें लद्दाख की जनसांख्यिकी बदलने का खतरा नहीं रहेगा। साथ ही, वहां की जमीन पर उनके विशेषाधिकार भी सुरक्षित रहेंगे। दरअसल, लद्दाख 31 अक्टूबर से आधिकारिक तौर पर केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा, इसलिए देश के अन्य हिस्से में लागू कानून भी वहां लागू हो जाएंगे। ऐसे में लद्दाख में भी जमीन खरीदने का हक भी देशवासियों को मिल जाएगा। इसी से बचने के लिए लद्दाख ने खुद के लिए आदिवासी क्षेत्र दर्जे की मांग की है।

आर्थिक रूप से होगा फायदा
जनजातीय क्षेत्र घोषित होने के बाद लद्दाख को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित होने वाले केंद्रीय फंड का बड़ा हिस्सा मिलने लगेगा। राज्यों को आवंटित फंड सामान्य केंद्रीय सहायता (एनसीए) कहलाती है और इसका अनुपात 30:70 का होता है। एनसीए का 30 फीसद हिस्सा 11 विशेष राज्यों को जाता है, जबकि बाकी के राज्यों में शेष बचा 70 फीसद फंड बांट दिया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्यों में केंद्र सरकार की योजनाओं की 90 फीसद फंडिंग भी केंद्र ही करता है, जबकि शेष 10 फीसद रकम राज्यों को बिना ब्याज के लोन के रूप में दी जाती है।

स्थानीय निकाय होंगे मजबूत
छठी अनुसूची जनजातीय समुदायों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती है। इसके तहत जिला परिषद और क्षेत्रीय परिषद के पास कानून बनाने की वास्तविक शक्ति होती है। ये निकाय विकास, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सड़क और नियामक शक्तियों के लिए योजनाओं की लागतों को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से सहायता राशि स्वीकृत कर सकते हैं।

50 फीसद आबादी आदिवासी
जनगणना 2011 के अनुसार, लेह और कारगिल की 80 फीसद आबादी और लद्दाख की 90 फीसद आबादी आदिवासियों की है। ऐसे में 50 फीसद से अधिक आबादी आदिवासियों की होने के कारण केंद्र शासित इस प्रदेश को जनजातीय क्षेत्र पाने का हक मिलता है। चूंकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है, इसलिए यहां विधानसभा सीटों पर आदिवासी समुदायों को मिलने वाले आरक्षण का प्रावधान यहां लागू नहीं हो सकता है।


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