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सीबीआइ ने जम्मू में गन विक्रेताओं की दुकानों पर दी दबिश

फर्जी गन लाइसेंस मामले में सीबीआई ने गन विक्रेताओं की दुकानों में दी दबिश

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 06:55 AM (IST)
सीबीआइ ने जम्मू में गन विक्रेताओं की दुकानों पर दी दबिश
सीबीआइ ने जम्मू में गन विक्रेताओं की दुकानों पर दी दबिश

जागरण संवाददाता, जम्मू : राज्य में बड़े पैमाने पर बने फर्जी गन लाइसेंस मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने मंगलवार को शहर के सात गन विक्रेताओं की दुकान पर दबिश दी। इस दौरान उन्होंने गन विक्रेताओं के हथियार बेचने के रिकॉर्ड की जांच की। सीबीआइ के अधिकारी कुछ रिकार्ड अपने साथ भी ले गए।

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राजस्थान के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने फर्जी गन लाइसेंस का पर्दाफाश किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर में तैनात कुछ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारियों की मिलीभगत होने की बात भी सामने आई थी। एटीएस ने जम्मू कश्मीर में तैनात एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी के भाई को भी गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने राजस्थान में गन विक्रेताओं से चालीस लाख रुपये लेकर जम्मू कश्मीर से लाइसेंस बनवाए थे। राजस्थान पुलिस के आग्रह पर जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले की जांच पिछले वर्ष सितंबर में सीबीआइ को सौंप दी थी। सीबीआइ की चंडीगढ़ शाखा ने मामले में एफआइआर दर्ज की थी।

सीबीआइ की टीम मंगलवार को सतवारी, रेलवे स्टेशन के बाहर मंगल मार्केट, शिव मार्केट में गन विक्रेताओं की दुकान पर पहुंची। करीब छह घंटे तक चली इस कार्रवाई में उन्होंने हथियार बेचने के रिकॉर्ड को खंगाला। दरअसल, गन विक्रेताओं को हथियार बेचने के दौरान गन लाइसेंस की कापी रिकॉर्ड के तौर पर रखनी होती है, जिसके आधार पर वह हथियार बेचते हैं। गन लाइसेंस के आधार पर जो हथियार बेचे गए हैं, उसका रिकॉर्ड सीबीआइ अधिकारी अपने साथ ले गए। ऊधमपुर और कुपवाड़ा में बने गन लाइसेंस की जांच की :

सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक की उनकी जांच के दौरान पाया गया कि वर्ष 2014 से 2018 तक जम्मू कश्मीर के सात जिलों डोडा, राजौरी, पुंछ, रियासी, रामबन, ऊधमपुर और कुपवाड़ा में फर्जी गन लाइसेंस बने हैं, जिनमें वरिष्ठ अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है। मंगलवार को दुकानों में मारे गए छापे के दौरान ऊधमपुर और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में बने गन लाइसेंस से जुडे़ रिकॉर्ड जब्त कर जांच की गई। इन दोनों जिलों से बने गन लाइसेंस पर गन विक्रेताओं ने हथियार बेचे थे। गन लाइसेंस की पूरी जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि हथियार असली लाइसेंस पर बेचे गए हैं या फर्जी लाइसेंस के आधार पर। आने वाले दिनों में अन्य चार जिलों में बने गन लाइसेंस की भी जांच की जाएगी। गन विक्रेता सीबीआइ को कर रहे पूरा सहयोग :

ऑल जेएंडके आ‌र्म्स डीलर एसोसिएशन के प्रधान मक्खन लाल ने बताया कि गन विक्रेता सीबीआइ को मामले की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। जब किसी भी जिले का कोई ग्राहक उनके पास गन लाइसेंस लेकर आता है तो लाइसेंस के आधार पर ही उन्हें हथियार बेचते हैं। हथियार बेचने की जानकारी गृह विभाग को भी दी जाती है। मामले को ऑपरेशन जुबेदा का दिया गया था नाम :

पिछले वर्ष सितंबर में राजस्थान की एटीएस ने फर्जी गन लाइसेंस का पर्दाफाश करते हुए इसे ऑपरेशन जुबेदा का नाम दिया था। इस ऑपरेशन में एटीएस ने 52 लोगों को भी गिरफ्तार किया था। राजस्थान एटीएस ने जांच में पाया कि आतंकग्रस्त जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों से अधिकारियों की ओर से गन लाइसेंस जारी किए थे। एटीएस के अनुसार, जम्मू संभाग से पिछले एक दशक में जारी 1,43,013 में से 1,32,321 लाइसेंस डोडा, रामबन और ऊधमपुर जिलों से जारी हुए थे। इस मामले में यह भी सामने आया था कि कुछ लाइसेंस सैनिकों व जवानों के नाम पर फर्जी भी बने हैं। फर्जी गन लाइसेंस मामले में अर्धसैनिक बलों, बीएसएफ, सेना, आरपीएफ आदि से भी उन जवानों का ब्योरा मांगा गया था, जिनके नाम पर लाइसेंस बने हैं।


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