जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस खेमे में बदलाव की अटकलों पर विराम Jammu News
विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कोई रणनीति नहीं बनी। उधर कई नेता कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने की तैयारी में थे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से राज्य के वरिष्ठ नेताओं की मुलाकात के बाद प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की अटकलों पर विराम लग गया है। लोकसभा चुनाव में बुरी गत बनने के बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव की अटकलें चल रही थीं और राज्य के तीनों संभागों के अलग-अलग कार्यकारी प्रधान का फामरूला भी सामने आया था, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाया। लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी गतिविधियां भी ठप थीं। अब दिल्ली दौरे के बाद प्रदेश कांग्रेसी फिर से आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में हैं। शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने उन्हें विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने के आदेश दिए हैं।
लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में कांग्रेस खाता खोलने में नाकाम रही थी। इसके बाद से नेताओं व कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त हो गए थे। पिछले डेढ़ माह से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की कोई गतिविधियां नहीं हुई। मात्र एक बैठक श्रीनगर में पिछले महीने हुई थी, जिसमें गुलाम नबी आजाद ने भाग लिया था। बैठक में जम्मू कश्मीर के हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने के लिए जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए कार्यवाहक प्रधान बनाने का फामरूला सामने आया था, लेकिन बाद में उसे भी खारिज कर दिया गया।
विधानसभा चुनाव को लेकर कोई नीति नहीं
विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कोई रणनीति नहीं बनी। उधर, कई नेता कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने की तैयारी में थे। इस बीच प्रदेश प्रधान जीए मीर के नेतृत्व में वरिष्ठ नेताओं ने गत दिवस सोमवार को नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। करीब 55 मिनट तक बैठक चली। इसमें गुलाम नबी आजाद और पार्टी की जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी अंबिका सोनी ने भाग लिया। राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। भाजपा की नाकामियों को उजागर करके पूरा अभियान चलाएं। अब कांग्रेस नेताओं ने नए जोश के साथ आक्रामक रुख अपने का निर्णय लिया है। इसमें भाजपा को निशाने पर लेना होगा।
राज्य के तीनों हिस्सों में सदस्यता अभियान चलाएगी कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा का कहना है कि राहुल के साथ बैठक बहुत ही अच्छी रही। चूंकि इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। हमारे पास चार-पांच माह हैं। हम राज्य के तीनों क्षेत्रों में सदस्यता अभियान चलाएंगे। सम्मेलन, जनसभाएं होंगी। मोदी सरकार और पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की नाकामियों को लोगों के बीच तक ले जाएंगे। जम्मू कश्मीर और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों की पहचान करके कांग्रेस आक्रमक रुख अपनाएगी। इसके लिए जल्द बैठक होगी।
पूर्व मंत्री कैसे कर रहे प्रोजेक्टों का उद्घाटन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों की तरफ से प्रोजेक्टों के शिलान्यास और उद्घाटन करने को नियमों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन में यह कैसे हो रहा है। कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा ने कहा कि कानून में ऐसा कौन सा प्रावधान है जो पूर्व विधायकों या पूर्व मंत्रियों को सरकारी प्रोजेक्टों के शिलान्यास करने की इजाजत देता है। उन्होंने कहा कि एक ही राजनीतिक पार्टी के नेता ऐसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और राष्ट्रपति शासन की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। राज्यपाल प्रशासन को जल्द ही मामले पर गौर करना चाहिए। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
आजाद को रियासत का इतिहास पता नहीं: भीम
पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो. भीम सिंह ने गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा में एक घंटे के भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्षी नेता को बयान देने से पहले जम्मू-कश्मीर के संबंध में राजनीतिक इतिहास का अध्ययन कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद का जन्म 1949 में हुआ था और उन्हें 27 अक्टूबर 1947 के महाराजा हरि सिंह के भारत संघ के साथ विलयपत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले का इतिहास का पता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि 1947 से पहले पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया, जिसका मुकाबला जम्मू कश्मीर की सेना ने किया, जिसके जनरल स्वयं महाराजा हरि सिंह थे और यह पूरी सेना आक्रमणकारियों के साथ लड़ाई में शहीद हो गई। महाराजा ने 26 अक्टूबर 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू से मदद के लिए कहा।