जम्मू-कश्मीर में मलेरिया के मरीजों में कमी तो आई है पर डेंगू के डंक को नहीं भूल पाए लोग
राज्य में कुछ वर्षो में मलेरिया के मरीजों में कमी तो आई है डेंगू ने स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग की चिंता को बढ़ाया है। डेंगू मच्छर पूरे जम्मू संभाग में तांडव मचा मचा चुका है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। राज्य में कुछ वर्षो में मलेरिया के मरीजों में कमी तो आई है, लेकिन डेंगू ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की चिंता को बढ़ाया है। डेंगू मच्छर पूरे जम्मू संभाग में तांडव मचा चुका है। छह साल पहले स्वास्थ्य विभाग को बाबा अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर यात्री निवास को अस्पताल में बदलना पड़ा था। इस बार अभी से डेंगू से निपटने की तैयारी चल रही है।
जम्मू कश्मीर में एक दशक पहले तक डेंगू का इक्का-दुक्का मामला ही दर्ज होता था, लेकिन वर्ष 2011 में डेंगू के संदिग्ध मामले सामने आना शुरू हुए और चार लोगों में इसकी पुष्टि हुई। उस समय लोगों में डेंगू को लेकर कोई डर नहीं था। स्वास्थ्य विभाग ने भी विशेष तौर पर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया था। वर्ष 2015 में पहली बार जम्मू संभाग में डेंगू का आतंक देखने को मिला।
जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों में सैकड़ों लोग डेंगू के लक्षण लेकर अस्पतालों में पहुंचाना शुरू हो गए। समय पर जांच की रिपोर्ट न आने से लोगों में दहशत फैल गया। सैकड़ों संदिग्ध मरीज इलाज के लिए पंजाब व अन्य राज्यों में पहुंच गए। सिर्फ जम्मू संभाग के सरकारी अस्पतालों में ही करीब छह हजार लोग जांच करवाने के लिए पहुंचे। 1800 से अधिक मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। तीन लोगों की जान भी चली गई। उस समय हालात यह थे कि अस्पतालों में प्लेटलेट्स की कमी हो गई थी। उसके बाद लगातार चलाए गए अभियानों में डेंगू के मामलों में कमी तो आई, लेकिन अभी भी लोगों में दहशत देखने को मिलती है। दो साल पहले जम्मू के एमएलसी रमेश अरोड़ा के बेटे की भी डेंगू से मौत हुई थी।
तीन महीने रहता हैं आतंक
जम्मू संभाग में जुलाई से सितंबर तक डेंगू का आतंक रहता है। जम्मू में हुए एक सर्वे के अनुसार इन तीन महीनों में ही 90 फीसद से अधिक मामले दर्ज होते हैं। जम्मू, सांबा और कठुआ जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।डेंगू से बचाव के लिए चलाया गया अभियान हेल्थ ऑफिसर डॉ. मुहम्मद सलीम का कहना है कि जम्मू शहर में डेंगू से बचाव के लिए लगातार अभियान चलाया हुआ है। इस महीने के अंत तक सभी वार्डो में फा¨गग अभियान पूरा कर दिया जाएगा। इससे डेंगू फैलने की आशंका नहीं रहेगी।
स्वास्थ्य विभाग जम्मू ने भी जागरूकता अभियान जारी रखा है।वर्ष कुल मामले2011 04 2012 07 2013 1838 2014 01 2015 153 2016 79 2017 4882018 62डेंगू के लक्षण-अचानक तेज बुखार होना-सिर में आगे की ओर तेज दर्द होना-मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द-जी घबराना, चक्कर आना-त्वचा में लाल निशान होनाडेंगू से निपटने के लिए 'गंबुजिया' मछलीस्वास्थ्य विभाग डेंगू से निपटने के लिए हर साल 'गंबुजिया' मछली का सहारा लेता है। जम्मू संभाग में वर्तमान में 340 तालाब हैं। इनमें से 130 सांबा और 95 जम्मू जिले में हैं।
इन सबमें 'गंबुजिया' मछली को डाला जाता है। यह मच्छर को नहीं पनपने देती। इसके अलावा लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। डॉक्टरों के अनुसार जब तापमान कम होने लगता है तो यह मच्छर खत्म हो जाता है। दिन और रात का तापमान मिलाकर जब 20 डिग्री सेल्सियस से कम होगा तो डेंगू मच्छर खत्म हो जाएगा, लेकिन इस मौसम में यह बीमारी फैलने की सबसे अधिक आशंका रहती है। मनाया गया डेंगू दिवसराष्ट्रीय डेंगू दिवस वीरवार को पूरे जम्मू संभाग में मनाया गया।
इसमें डॉक्टरों ने लोगों को रोग के बारे में जागरूक किया। वहीं, मेडिकल कॉलेज कठुआ में डेंगू से निपटने के प्रिंसपल डॉ. शशि सूदन की अध्यक्षता में बैठक हुई। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने डेंगू से निपटने के प्रबंधों पर जानकारी दी। यही नहीं पैरामेडिकल स्टाफ के लिए वर्कशाप आयोजित की गई। इस मौके पर डॉ. गुरमीत, डॉ. नताशा कपाही, डॉ. सौरभ, डॉ. रिशभ गुप्ता, डॉ. रंजीत सिंह और डॉ. वीरेंद्र भी मौजूद थे। वहीं अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसीन विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप आयोजित किया। इसमें डॉ. अनूज कपूर ने लोगों को इस रोग के बारे में विस्तार से बताया। जिला अस्पताल रामबन में डॉ. जेपी सिंह ने कार्यक्रम आयोजित किया।
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