खुशी मनाएं या करें मलाल: पदक अधिक आए तो युवा सेवा एवं खेल विभाग ने कम कर दी प्रोत्साहन राशि
विभाग का कहना है कि इस बार खिलाड़ी राज्य के लिए मैडल अधिक ले आए और बजट कम पड़ गया। इसलिए प्रोत्सोहन राशि कम कर दी गई।
जम्मू, अशोक शर्मा। वैसे तो बेहतर प्रदर्शन करने पर इनाम मिलता है और खराब पर फटकार। लेकिन युवा सेवा एवं खेल विभाग के लिए इसके मायने शायद कुछ और हैं। खेलों में राज्य के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को इस बार प्रोत्साहन राशि के रूप में 10 हजार के बजाय चार-चार हजार रुपये थमा दिए गए। विभाग ने प्रोत्साहित राशि पर कैंची चलाने का जो कारण बताया, वह भी हैरान कर देने वाला है। विभाग का कहना है कि इस बार खिलाड़ी राज्य के लिए मैडल अधिक ले आए और बजट कम पड़ गया। इसलिए प्रोत्सोहन राशि कम कर दी गई। अब खिलाडिय़ों को यह समझ नहीं आ रहा है कि पदक लेने की खुशी मनाएं या प्रोत्साहन राशि कम होने पर मलाल।
स्पोर्ट्स काउंसिल की ओर से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने या पदक जीतने पर कोई इनामी राशि नहीं दी जाती। जबकि युवा सेवा एवं खेल विभाग की ओर से स्कूल नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वालों को 10 हजार, रजत पदक पाने वालों को साढ़े सात हजार और कांस्य पदक जीतने वालों को पांच हजार रुपये दिए जाते थे। इसी तरह प्रतिभागियों को 1750 रुपये मिलते थे। पिछले वर्ष पहले ही प्रतिभागियों की राशि कम कर एक हजार कर दी गई। अब इस वर्ष स्वर्ण, रजत व कांस्य सभी पदक विजेताओं को एक ही तराजू में तोलते हुए चार-चार हजार रुपये उनके बैंक खाते में डाल दिए गए।
कब शुरू हुई थी योजना : वर्ष 2014 में तत्कालीन डायरेक्टर जनरल (डीजी) युवा सेवा एवं खेल नवीन अग्रवाल ने खेलों और खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वालों को दस हजार, रजत पदक वालों को साढ़े सात हजार व कांस्य पदक विजेताओं को पांच हजार रुपये देने शुरू किए। इससे ऐसे बच्चे भी खेलने के लिए आगे आ जो पैसा न होने के कारण अभ्यास तक नहीं कर पाते थे। किट तक नहीं खरीद सकते थे। जिस समय यह योजना शुरू हुई जम्मू-कश्मीर के लिए मुश्किल से 50 पदक आया करते थे, लेकिन इनामी राशि से प्रोत्साहित होकर खिलाडिय़ों का प्रदर्शन दिन ब दिन बेहतर होता गया। इस वर्ष राज्य के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में 140 पदक लेने में सफल रहे।
जम्मू-कश्मीर में खिलाड़ियों के लिए नहीं कोई ठोस नीति
टेबल टेनिस के वरिष्ठ खिलाड़ी रहे अजय शर्मा ने कहा कि दूसरे राज्यों में खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए भारी इनामी राशि और कई दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन जम्मू में खिलाडिय़ों के लिए न तो कोई ठोस नीति है और न ही उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। फेंसिंग में पिछले पांच वर्ष से लगतार पदक लेकर राज्य का गौरव बढ़ाने वाले मयंक शर्मा ने कहा कि जो इनामी राशि मिलती थी, उससे कुछ हद तक खिलाड़ी की थोड़ी मदद हो जाती है। लेकिन इस बार इन्होंने इनाम की राशि भी नाममात्र ही दी है। कम से कम स्वर्ण, रजत और कांस्य का अंतर तो होना ही चाहिए था। विधायकों, मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों के वेतन तो लगातार बढ़ते रहते हैं लेकिन खिलाडिय़ों को कुछ देने की बारी आती है तो राज्य पर वित्तीय संकट छा जाता है।
जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल में गंभीरता का अभाव
हैंडबाल के वरिष्ठ खिलाड़ी आशुतोष ने कहा कि एक खिलाड़ी मैदान पर इतनी मेहनत कर पदक जीतता है, उसकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है और पैसा भी बहुत ज्यादा खर्च होता है, लेकिन न तो खेल विभाग और न ही जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल को इसका अहसास है। राशि कम करना निराशाजनक है। भारतीय टीम में पांच वर्ष तक खेल चुके स्केटर आर्यवीर सिंह ने कहा कि खिलाड़ी का इतना ज्यादा खर्चा होता है कि कई बार पैसे की कमी के चलते कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी गेम तक छोड़ देते हैं। युवा सेवा एवं खेल विभाग ने इनामी राशि शुरू कर सराहनीय कार्य किया था, लेकिन इस वर्ष सभी पदक विजेताओं को मात्र चार हजार रुपये देकर खिलाडिय़ों को निराश किया गया है। ऐसे कदमों से जम्मू-कश्मीर का पदक तालिका का ग्राफ फिर गिर सकता है।
दूसरे राज्यों में लाखों रूपये दी जाती है इनामी राशि
अंतरराष्ट्रीय फेंसर रशीद चौधरी ने कहा कि दूसरे राज्यों में लाखों रुपये इनामी राशि दी जाती है। यहां तो खिलाड़ी को पूरे जीवन में एक लाख रुपये नहीं मिलते। जब तक खेलों में पैसा नहीं होगा, खेल आगे नहीं चल सकता। खेल परिषद को भी चाहिए कि पदक विजेताओं के लिए इनामी राशि शुरू की जाए। युवा सेवा एवं खेल विभाग का इनामी राशि कम करना समझ नहीं आया। विभाग ही खिलाडिय़ों के लिए है। अगर यह खिलाडिय़ों के भविष्यसे खेलेंगे तो खेलों का उत्थान कैसे होगा।
अगले वर्ष ध्यान रखा जाएगा कि खिलाड़ियों का नुकसान न हो
डायरेक्टर जनरल युवा सेवा एवं खेल विभाग डॉ. सलीम उल रहमान ने कहा कि करीब दो करोड़ के बजट की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन अंतिम समय में मात्र 80 लाख रुपये ही रिलीज हुए। इस बजट के हिसाब से किसी भी पदक विजेता या प्रतिभागी को कुछ भी देना मुश्किल था। खिलाडिय़ों के साथ अन्याय न हो। इसे देखते हुए सभी पदक विजेताओं को चार-चार हजार रुपये ही दिए जा सके हैं। इस वर्ष तो इसी से गुजारा करना होगा, लेकिन अगले वर्ष इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि खिलाडिय़ों की इनामी राशि बढ़ाई जाए। हो सका तो किसी और तरीक से इस वर्ष जिन बच्चों को नुकसान हुआ है, उसकी पूर्ति की जा सके। इस वर्ष एक तो बजट कम हो गया, उस पर से पदकों की संख्या भी रिकॉर्ड 140 के करीब पंहुच गई। जो पिछले वर्ष सौ के करीब थी।
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