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Jammu & Kashmir: 1700 से 2000 करोड़ की सब्सिडी बंद होने से लघु उद्योग संकट में

जीएसटी लागू होने के बाद केन्द्रीय पैकेज में करीब 400 बड़े उद्योगों को बचाने के लिए तो मदद दी गई लेकिन करीब छह हजार छोटी इकाइयाें को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 05:18 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 05:18 PM (IST)
Jammu & Kashmir: 1700 से 2000 करोड़ की सब्सिडी बंद होने से लघु उद्योग संकट में
Jammu & Kashmir: 1700 से 2000 करोड़ की सब्सिडी बंद होने से लघु उद्योग संकट में

जम्मू, जागरण संवाददाता। जुलाई 2017, जब से राज्य में जीएसटी लागू हुआ है, उस दिन से स्थानीय लघु उद्योग को मिलने वाली सब्सिडी बंद हो गई है। सब्सिडी बंद होने से राज्य का लघु उद्योग संकट में आ चुका है और अगर केन्द्र व राज्य सरकार ने इसे बचाने के लिए समय रहते कदम नहीं उठाए तो पहले से बेरोजगारी की मार झेल रहे जम्मू-कश्मीर में रोजगार के मुख्य स्रोत उद्योग से भी लोग बेरोजगार हो जाएंगे। जीएसटी लागू होने से पहले राज्य के लघु उद्योग को 1700 से 2000 करोड़ रुपये की सालाना सब्सिडी मिलती थी जो अब बंद हो चुकी है। यहीं कारण है कि राज्य में इस अवधि के दौरान कोई नया उद्योग स्थापित नहीं हुआ।

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ऐसा दावा है फेडरेशन आफ इंडस्ट्रीज जम्मू का, जिसने जम्मू-कश्मीर में नया उद्योग लगाने या मौजूदा का विस्तार करने पर पहले की तरह आर्थिक मदद मुहैया करवाने की अपील की है। बुधवार को फेडरेशन की एक बैठक चेयरमैन रतन डोगरा की अध्यक्षता में हुई जिसमें ताजा हालात पर चर्चा की गई। डोगरा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद उद्योग को पुरानी रियायत पूर्ण रूप से बहाल नहीं की गई। नतीजतन नया उद्योग लगना तो दूर, पुरानी कई इकाईयां भी बंद होने लगी है। जिन लोगों ने उद्योग के लिए जमीन खरीदी थी, वो भी वापस दे रहे हैं।

जीएसटी लागू होने के बाद केन्द्रीय पैकेज में करीब 400 बड़े उद्योगों को बचाने के लिए तो मदद दी गई लेकिन करीब छह हजार छोटी इकाइयाें को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। इन इकाइयों में हजारों लोग काम कर रहे है जो बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार करीब 400 बड़ी इकाइयों को माल ढुलाई और दो प्रतिशत वित्तिय सहायता भी दे रही है जबकि छोटी इकाइयों को ऐसी कोई मदद नहीं दी जा रही है। छोटी व लघु इकाइयां राज्य की रीढ़ की हड्डी है जो पिछले तीस सालों से आतंकवाद के कारण पहले ही प्रभावित हैं। राज्य सरकार ने इन इकाइयों को वैट में छूट दी थी।

जीएसटी के पहले इन इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन मिलता रहा है लेकिन जीएसटी के बाद इसे बंद कर दिया गया। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हाल ही में राज्य सरकार की ओर से जो पैकेज घोषित किया गया, उसमें भी केवल उन्हीं को लाभ मिलेगा जो 50 करोड़ या उससे अधिक का निवेश करते हैं। ऐसे में लघु उद्योग इस पैकेज से भी वंचित रह गए। लिहाजा यह जरूरी है कि सरकार छोटे उद्योगों को बचाने के लिए अपने पैकेज में आवश्यक संशोधन करें।

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