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Jammu Kashmir : आपदा प्रबंधन की नीतियां बनाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय ने 18 सदस्यीय वर्किंग ग्रुप गठित किया

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में आपदा प्रबंधन की नीतियां बनाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय ने वर्किंग ग्रुप का गठन किया है। आपदाओं के मामले में जम्मू कश्मीर और लद्दाख संवदेनशील है। हिमालयन क्षेत्र लद्दाख और जम्मू कश्मीर में भूकंप आने की संभावना बनी ही ही रहती है

By VikasEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 11:48 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 11:48 AM (IST)
Jammu Kashmir : आपदा प्रबंधन की नीतियां बनाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय ने 18 सदस्यीय वर्किंग ग्रुप गठित किया
जम्मू कश्मीर और लद्दाख में आपदा प्रबंधन की नीतियां बनाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय ने वर्किंग ग्रुप का गठन किया।

जम्मू, राज्य ब्यूराे । केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में आपदा प्रबंधन की नीतियां बनाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय ने वर्किंग ग्रुप का गठन किया है। आपदाओं के मामले में जम्मू कश्मीर और लद्दाख संवदेनशील है। हिमालयन क्षेत्र लद्दाख और जम्मू कश्मीर में भूकंप आने की संभावना तो बनी ही ही रहती है, साथ में हिमस्खलन, भूस्खलन, बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना भी करना पड़ता है। वर्किंग आपदा प्रबंधन के लिए नीतियां बनाकर सरकार को सहयोग करेगा।

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कश्मीर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. तलत अहमद 18 सदस्यीय वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष बनाए गए हैं। जानमाल का खतरा कम करने के सुझाव समाज और सरकार को दिए जाएंगे। वर्किंग ग्रुप के सदस्यों में इक्नामिक रिक्रस्ट्रक्शन एजेंसी जम्मू कश्मीर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्रीनगर विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग जम्मू कश्मीर सरकार के चीफ इंजीनियर, बार्डर रोड़ आर्गेनाइजेशन के चीफ इंजीनियर, आपदा प्रबंधन विभाग जम्मू कश्मीर के निदेशक आमिर अली, मौसम विभाग श्रीनगर के निदेशक सोनम लौटस, आपदा प्रबंधन इंस्टीट़यूट के निदेशक डा. जीएम डार, निट श्रीनगर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एआर डार, पूर्व आइएएस अधिकारी खुर्शीद अहमद गनई, कश्मीर विश्वविद्यालय के जियोग्राफी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शमीम ए शाह, विश्वविद्यालय के अर्थ साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. गुलाम जिलानी, सोशोलियाजी विभाग के प्रो.पीरजादा अमीन, कश्मीर विवि की डा. सलीमा जान, डीन रिसर्च डा. शकील रोमशू एनएसएस कोआर्डिनेटर डा. मुसाविर अहमद शामिल है जबकि अर्थ साइंस विभाग के डा. राकेश चंद्रा सदस्य सचिव होंगे।

डीन रिसर्च डा. शकील रोमशू ने बताया कि विश्वविद्यालय समय समय पर आपदाओं से निपटने के लिए काम करता रहता है। साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आपदा के बाद विश्वविद्यालय ने आपदा प्रबंधन के लिए काम किया। साल 2014 में जम्मू कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ आई। आपदाओं में जानमाल का काफी नुकसान होता है। विश्वविद्यालय का यह वर्किंग ग्रुप आपदा प्रबंधन की नीति तैयार करके सरकार को देगा ताकि इस पर कदम उठा कर हम लोगों का जीवन सुरक्षित बना सके। आपदाओं में जानमाल का नुकसान कम से कम हो। हम एक तरीकाकार भी सुझाएंगे जिसमें संस्थानों में जमीनी सतह पर काम करने के लिए तरीके बताए जाएंगे। समय रहते आपदा प्रबंधन के लिए काम करने की जरूरत है।


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