प्रधानमंत्री मोदी के जम्मू दौरे को लेकर सुरक्षा कड़ी
प्रधानमंत्री अपने एक दिवसीय दौरे की शुरुआत लेह से करेंगे। लेह के डिप्टी कमिश्नर अवनी लवासा ने प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों का जायजा लिया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को जम्मू दौरे के मद्देनजर प्रशासन व पुलिस ने सारी तैयारियां कर ली हैं। शुक्रवार सुबह दस बजे मॉक ड्रिल होगी। प्रधानमंत्री का जम्मू में दो जगहों पर कार्यक्रम है। वह शेर-ए-कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीक विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम सवा तीन बजे से लेकर करीब चार बजे तक चलेगा।
उसके बाद प्रधानमंत्री जम्मू विवि के जनरल जोरावर सिंह आडिटोरियम जाएंगे। वहां पर प्रधानमंत्री श्री माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर बने ताराकोट मार्ग का उद्घाटन करेंगे। वह पकलडुल पनबिजली परियोजना का नींव पत्थर भी रखेंगे। यह उद्घाटन रिमोट से किए जाएंगे।
शेर-ए-कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह स्थल बाबा जित्तो आडिटोरियम को सजाया संवारा जा रहा है। प्रधानमंत्री के पोस्टर भी लगाए गए हैं। आडिटोरियम में फूलों की सजावट की जा रही है। बाबा जित्तो आडिटोरियम और जनरल जोरावर सिंह आडिटोरियम को एसपीजी पहले ही अपने नियत्रंण में ले चुकी है।
एसपीजी की उच्च स्तरीय टीम ने प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। प्रधानमंत्री अपने एक दिवसीय दौरे की शुरुआत लेह से करेंगे। लेह के डिप्टी कमिश्नर अवनी लवासा ने प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों का जायजा लिया। बैठक में सुरक्षा, वीवीआइपी की पार्किंग, ट्रांसपोर्ट व अन्य तैयारियां पर विचार विमर्श किया गया। डीसी ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रधानमंत्री के दौरे से पहले सारे प्रबंध पूरे करें और आपसी तालमेल से काम करें।
लालचौक चलो का आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के विरोध में अलगाववादी संगठन ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने शनिवार को लालचौक चलो का आह्वान किया है। वहीं,लंगेट क्षेत्र के विधायक इंजीनियर रशीद ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री दौरे पर नाराजगी जताने के लिए काले झंडे दिखाकर उनका स्वागत करेंगे।
विधायक ने कश्मीर बंद का भी आह्वान किया है।वीरवार को इंजीनियर रशीद ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह कश्मीर समस्या के हल के लिए गंभीर नहीं है। प्रधानमंत्री दौरे के विरोध में हड़ताल कर दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि कश्मीरी भारत के साथ नहीं रहना चाहते हैं। रमजान के दौरान युद्धविराम का जिक्र करते हुए इंजीनियर ने कहा कि ऐसा कर दिल्ली ने कुछ सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है, लेकिन वादी में तैनात सुरक्षाबल विशेषकर पुलिस युद्धविराम की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
युद्ध विराम से सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा :
केंद्र सरकार की ओर से रमजान महीने में युद्ध विराम की घोषणा का मुख्यधारा की पार्टियों ने स्वागत किया है। वहीं,अलगाववादी संगठनों का कहना है कि ऐसे प्रयासों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा।अलगाववादी संगठनों के साझा मंच ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशप (जेआरएल) ने वीरवार को राजबाग इलाके में स्थित पार्टी मुख्यालय पर आयोजित सेमिनार में संगठन के नेता मोहम्मद यासीन मलिक व मौलवी उमर फारूक ने युद्धविराम को मात्र ढकोसला करार दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से जमीनी स्तर पर कोई परिवर्तन नहीं आएगा। कश्मीर समस्या के समाधान के लिए जब तक कोई ठोस नीति नहीं अपनाई जाती, तब तक जमीनी स्तर पर कोई परिवर्तन नहीं आएगा। केंद्र को विचार करना चाहिए कि कश्मीर में पढ़े लिखे और अमीर घरानों के युवा बंदूक क्यों उठा रहे हैं। जेआरएल भी हड़ताल के पक्ष में नहीं है। कोई विकल्प नहीं होने के चलते उन्हें मजबूरन हड़ताल करनी पड़ती है। संगठन ने कहा कि वह हड़ताल का विकल्प ढूंढने के प्रयास में हैं।