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16 हजार महिलाओं में बांटा 162 करोड़ का ऋण

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर स्टेट वूमेन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने महिलाओं को स्वर

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 10:53 PM (IST)
16 हजार महिलाओं में बांटा 162 करोड़ का ऋण
16 हजार महिलाओं में बांटा 162 करोड़ का ऋण

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर स्टेट वूमेन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 162 करोड़ रुपये का ऋण आवंटित किया। कॉरपोरेशन ने राज्य की 16 हजार महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत यह ऋण आवंटित किए।

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इसकी जानकारी बुधवार को समाज कल्याण विभाग के सचिव फारूक अहमद लोन की अध्यक्षता में श्रीनगर में हुई कारपोरेशन की बैठक में दी गई। लोन ने कारपोरेशन की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए वोकेशनल ट्रे¨नग प्रोग्राम भी आयोजित करने की सलाह दी। कारपोरेशन के मैने¨जग डायरेक्टर नाहिदा सोन ने इस मौके पर बताया कि कारपोरेशन ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में 2068 जागरूकता शिविर लगाने के साथ बीस मेगा कैंप भी लगाए और 7,13,800 महिलाओं को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।

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आइसीडीएस के तहत खरीददारी का तरीका बदलेगा

जम्मू : समाज कल्याण विभाग ने इंटीग्रेटिड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम(आइसीडीएस) के तहत होने वाली खाद्य सामग्री की खरीद के तरीके में बदलाव करने का फैसला किया है। विभाग ने इसके लिए संबंधित पक्षों से अपने सुझाव पेश करने को भी कहा है। विभाग के वित्तीय निदेशक की ओर से इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार खाद्य सामग्री की समय पर खरीद सुनिश्चित करने व बिचौलियों को बाहर निकालने के उद्देश्य से यह बदलाव किया जा रहा है। अधिसूचना में कहा गया है कि फिलहाल खरीद के किसी नए माडल को अंतिम रूप नहीं दिया गया है लेकिन विभाग के पास कुछ विकल्प है। पहला माडल ओडिशा माडल है जिसमें चावल व गेहूं को छोड़ अन्य सामग्री स्थानीय स्तर पर आंगनबाड़ी वर्कर्स द्वारा खरीदी जाती है। ऐसी स्थिति में चावल, चीनी, व दालें राज्य के खाद्य विभाग से खरीदी जा सकती है और शेष सामग्री आंगनबाड़ी वर्कर्स स्थानीय स्तर पर खरीदेंगे। दूसरा विकल्प यह भी है कि जिला स्तर पर डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया जाए और यह कमेटी खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की निगरानी करें। एक विकल्प यह भी है कि गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर लाभार्थियों तक खाना पहुंचाया जाए।


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