जेके बैंक में 1100 करोड़ का लोन घोटाला, जम्मू, श्रीनगर और दिल्ली में एक साथ 16 ठिकानों पर छापे
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जम्मू-कश्मीर बैंक में 1100 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का पर्दाफाश करते हुए पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद शेख समेत दर्जन भर अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज
जम्मू, जागरण संवाददाता । एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जम्मू-कश्मीर बैंक में 1100 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का पर्दाफाश करते हुए बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद शेख समेत दर्जन भर अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही ब्यूरो की टीमों ने शनिवार को एक साथ दिल्ली, श्रीनगर व जम्मू में 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान ब्यूरो को केस से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। आगे की जांच-पड़ताल के लिए ब्यूरो ने दिल्ली में तीन टीमों का गठन किया है।
एफआइआर दर्ज करने के बाद ब्यूरो ने शनिवार को कश्मीर घाटी में आरोपितों के नौ ठिकानों, जम्मू में चार और नई दिल्ली में तीन ठिकानों पर छापा मारा। दिन भर चली इस कार्रवाई के दौरान ब्यूरो की टीमों ने केस से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं।
महिम मुंबई व अंसल प्लाजा नई दिल्ली शाखा से दिया गया लोन :
ब्यूरो के अनुसार, प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि बैंक की महिम मुंबई व अंसल प्लाजा नई दिल्ली शाखा के अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मैसर्स आरईआइ एग्रो लिमिटेड को वर्ष 2011 से 2013 के बीच 800 करोड़ रुपये का लोन दिया। यह लोन मंजूर करते समय बैंक द्वारा निर्धारित तमाम नियमों की अनदेखी की गई और बैंक खाता वर्ष 2014 में एनपीए हो गया। कंपनी ने अपना मुख्यालय कोलकाता और कॉरपोरेटर आफिस दिल्ली में बताया और लोन के लिए मुंबई महिम शाखा से संपर्क किया, जबकि मुंबई में उसका कोई कार्यालय नहीं था। मिलीभगत से महिम मुंबई शाखा ने 550 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। इसी तरह कंपनी ने बैंक की वसंत विहार अंसल प्लाजा शाखा से 139 करोड़ रुपये का लोन मंजूर करवाया।
किसानों के नाम पर किया गया फर्जीवाड़ा :
ब्यूरो के अनुसार, कंपनी ने कहा था कि उसने किसानों को फसल लगाने के लिए पैसा देना है। बाद में कंपनी किसानों से फसल खरीद कर बाजार में बेचेगी। इससे मिलने वाले पैसे से बैंक की किश्तें दी जाएंगी। ब्यूरो की जांच में खुलासा हुआ कि ऐसा लोन केवल किसानों के किसी ग्रुप को दिया जाता है और इसके लिए नाबार्ड के नियम हैं, लेकिन इसे अनदेखा करते हुए लोन मंजूर हुए। जांच में खुलासा हुआ कि यह घोटाला बैंक के तत्कालीन चेयरमैन मुश्ताक अहमद की सोची समझी साजिश के तहत हुआ। यह लोन केवल मैसर्स आरईआइ एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन संजय झुनझुनवाला, वाइस प्रेजीडेंट संदीप झुनझुनवाला व मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया। इस मामले में जब बैंक खाता एनपीए हो गया तो बैंक ने कंपनी की कुछ मशीनें बेच कर 54 करोड़ रुपये वसूल भी किए। इसके बावजूद बैंक को मूल राशि के रूप में 635 करोड़ व ब्याज के रूप में 489.45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऐसे में बैंक को कुल 1124.45 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
इनके खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर :
-जेके बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद शेख
-वसंत विहार शाखा के तत्कालीन मैनेजर इम्तियाज अहमद
-वसंत विहार शाखा के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर दलीप भान
-वसंत विहार शाखा के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर अशोक कुमार
-वसंत विहार शाखा के तत्कालीन मैनेजर एडवांसेस हर्ष कुमार
-वसंत विहार शाखा के तत्कालीन मैनेजर एडवांसेस राकेश कॉव
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन मैनेजर आदिल बाशीर
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर एसएस संब्याल
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन ब्रांच हैड मोहम्मद युसूफ
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर अब्दुल हामिद
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन ब्रांच हैड बसीर अहमद
-महिम मुंबई शाखा के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर निसार अहमद शाह
-कारपोरेट हैडक्वार्टर श्रीनगर के तत्कालीन क्रेडिट आफिसर शफीक अहमद
-वसंत विहार ब्रांच के तत्कालीन ब्रांच हैड व सेवानिवृत्त वाइस प्रेजीडेंट एके कौल
-मैसर्स आरईआई एग्रो लिमिटेड के चेयरमैन संजय झुनझुनवाला
-मैसर्स आरईआई एग्रो लिमिटेड के वाइस प्रेजीडेंट संदीप झुनझुनवाला
-मैसर्स आरईआई एग्रो लिमिटेड के वाइस प्रेजीडेंट दानिश बेग
-मैसर्स आरईआई एग्रो लिमिटेड के मैनेजर कारपोरेट फाइनेंस राहुल सिंघहानिया