Move to Jagran APP

EXCLUSIVE: सशक्‍त महिला किरदार है प्राथमिकता : पूजा भट्ट

पुरुष ऑडियंस की पूजा भट्ट को लेकर अपनी कल्‍पना थी।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 12:03 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 12:14 AM (IST)
EXCLUSIVE: सशक्‍त महिला किरदार है प्राथमिकता : पूजा भट्ट
EXCLUSIVE: सशक्‍त महिला किरदार है प्राथमिकता : पूजा भट्ट

नई दिल्ली [जेएनएन]। जागरण फिल्‍म फेस्टिवल से पूजा भट्ट का गहरा नाता रहा है। उनका मानना है छोटे शहरों में सिनेमा देखने वालों की सोच भी बड़ी शहरों के समकक्ष होती हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए पूजा बताती हैं, ‘मैं पहली बार सातवें जागरण फिल्‍म फेस्टिवल में शिरकत करने रांची गई थी। उस समय मेरी फिल्‍म जिस्‍म वहां दिखाई जा रही थी।'

पूजा आगे बताती हैं- 'मैं डर रही थी कि रांची में विवादित फिल्‍म जिस्‍म क्‍यों दिखा रहे हैं। पुरुष ऑडियंस की पूजा भट्ट को लेकर अपनी कल्‍पना थी। वहां पहुंच कर मुझे य‍ह देखकर खुश हुई कि वहां ज्‍यादतर दर्शक महिलाएं थीं। वह मेरी हमउम्र थी। वे पारंपरिक परिधानों में थीं। स्‍क्रीनिंग के बाद उनके द्वारा पूछे गए सवाल काफी फारवर्ड थे। मसलन वे पूछ रही थीं कि अगर हम आलिया भट्ट को शाह रुख खान के साथ देख सकते हैं तो पूजा भट्ट को वरुण धवन के साथ क्‍यों नहीं? हम युवा कलाकार और उसमें उम्र में कड़ी अभिनेत्री को साथ देखने में सहज महससू नहीं करते हैं। जबकि उनकी सोच वैसी नहीं है।
 

loksabha election banner

हमारी धरणा है कि फॉरवर्ड सवाल बड़े मेट्रो शहर से आएंगे वह वहां पर धूमिल हो गया। हाल ही में मैं रांची अपने प्‍ले डैडी का मंचन करने गई थी। वह मेरी फिल्‍म डैडी का ही नाट्य रुपांतर है। महेश भट्ट और मैं अपनी शराब की आदतों के बारे में बात कर रहे थे। बहुत साीरे लोग मेरे पिता की आदतों से वाकिफ हैं लेकिन यह नहीं जानते कि फिल्‍म डैडी में अपने पिता की शराब छुड़ाने वाली लड़की ही इसकी गिरफ्त में आ गई। वहां मौजूद लोगों ने हमारी बात दिल से स्‍वीकार की। वहां से जाना कि सुदूर इलाकों के लोगों के पास आपकी बात सुनने का समय होता हे। मेट्रो शहरों के लोगों के लिए आप आइटम होते हैं। वे सब सोशल मीडिया पर अपनी पसंद-नापसंद व्‍यक्‍त करते रहते हैं। जागरण फिल्‍म फेस्टिवल की खासियत यह है कि छोटे शहरों के दर्शकों तक पहुंच रहा है।

पूजा ने शराब छोड़ने की अपनी दास्‍तान को किताब में बयां किया है। किताब जल्‍द ही प्रकाशित होगी। उन्‍होंने पिछले डेढ़ साल से शराब को हाथ भी नहीं लगाया है। वह मानती हैं कि शराब लाइफस्‍टाइल का हिस्‍सा बन गई है। इस बात को पूजा स्‍व्‍ीकारती हैं।


वह कहती हैं,’ मौजूदा लाइफस्‍टाइल में सब पर प्रेशर है। शराब सामाजिक रूप से स्‍वीकार्य ‘ड्रग’ है। मैं ड्रग इसलिए इसे कह रही हूं कि यह ड्रग है। जब भी आप छोड़ते हैं तो आपको ज्‍यादा स्‍पष्‍टीकरण देने पड़ते हैं। अगर आप पीते हैं तो स्‍पष्‍टीकरण नहीं पड़ते। लोग कहेंगे आपने शराब आप क्‍यों नहीं पी रहे हैं। आज तो शादी है पी लो। आज जन्‍मदिन है तो पीना बनता है। कहीं न कहीं आप उनको याद दिलाते हैं तो आप शराब छोड़ नहीं सकते हैं। झूठ के माहौल में आप सच डाल देते हैंं तो लोग उसे हटाने की बात करते हैं। इस प्रक्रिया में मेरे कई दोस्‍त छूट गए कुछ नए दोस्‍त बने भी। लेकिन इस फेज में मैंने खुद से रिश्‍ता बनाया हैं पहली बार जिंदगी में। 

पूजा का मानना है कि महिला प्रधान फिल्‍मों को वह लगातार तवज्‍जो देती आई हैं। वह कहती हैं, ‘ मैंने महिलाओं पर आधारित फिल्‍में ही बनाई है। मेरी पहली फिल्‍म तमन्‍ना कन्‍या भ्रूणहत्‍या पर आधारित थी। इसके बाद काजोल साथ दुश्‍मन और जख्‍म बनाई। फिर सुर और जिस्‍म बनाई। वे सब महिला प्रधान फिल्‍में थी। मैं खुद महिला फिल्‍ममेकर हूं। मैं यह सुनिश्चिवत करना चाहूंगी कि मेरे महिला किरदार सशक्‍त हों।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.