Move to Jagran APP

सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं आईवीएफ से जन्मे बच्चे

IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक विज्ञान का एक चमत्कार ही है, जिसने नि:संतान महिलाओं को मातृत्व का तोहफ़ा दिया है। आज के दौर में महिलाएं IVF को समझ रही हैं और अपना रही हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:22 AM (IST)
सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं आईवीएफ से जन्मे बच्चे
सामान्य बच्चों जैसे ही होते हैं आईवीएफ से जन्मे बच्चे

आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन तकनीक विज्ञान का एक चमत्कार ही है, जिसने पिछले कुछ दशकों में ही अनगिनत नि:संतान महिलाओं को मातृत्व का तोहफ़ा दिया है। आज के आधुनिक दौर में महिलाएं आईवीएफ के महत्त्व को समझ रही हैं और अपना रही हैं। आईवीएफ तकनीक से जन्म लेने वाली संतानों को ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ भी कहा जाता है। कई महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पातीं ऐसे में आईवीएफ तकनीक के ज़रिये महिलाओं के शरीर से अंडाणु को निकाला जाता है और लैब में इसका मिलन पुरुष के शुक्राणुओं से कराया जाता है, जिससे निषेचन की प्रक्रिया पूरी होती है और भ्रूण बनता है जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भधारण से अलग है क्योंकि इसमें भ्रूण बनने का काम शरीर के बाहर लैब में होता है, लेकिन इसके बाद सारी प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भधारण जैसी ही है लेकिन आईवीएफ तकनीक अपनाने वाले दंपत्तियों के मन में कई बार यह संशय रहता है कि क्या उनकी संतान सामान्य बच्चों की तरह ही स्वस्थ रहेगी? आइये ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जानते हैं :

loksabha election banner

अध्ययनों के अनुसार, आईवीएफ से जन्मी संताने होती हैं सामान्य

इन्दिरा आईवीएफ अहमदाबाद की फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. मेखला गोयल बताती हैं कि आईवीएफ तकनीक पर देश-विदेश में कई तरह की रिसर्च की गईं है। कुछ रिसर्च आईवीएफ की सफलता पर की गई जबकि कुछ रिसर्च इससे पैदा हुई संतानों पर की गयी। आईवीएफ की सफलता पर चल रही रिसर्च से हमेशा से ही सकारात्मक नतीजे सामने आते रहे हैं। हालांकि, समय-समय पर हुए अध्ययनों से आईवीएफ की तकनीक में कई बड़े नवाचार भी किए गए हैं। आईवीएफ से जन्म लेने वाली संतानों पर चलने वाली रिसर्च में भी ये स्पष्ट तौर पर प्रमाणित हो चुका है कि आईवीएफ तकनीक से जन्म लेने वाली संतानें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सामान्य होती हैं। इनका विकास भी प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने वाली महिलाओ की संतान की तरह ही होता है और आईवीएफ संतानों की शारीरिक और मानसिक क्षमता भी सामान्य संतानों के बराबर ही होती है। देश-विदेश के ऐसे कई आईवीएफ संस्थान हैं जहां सालाना कई संतानें इस तकनीक से जन्म ले रही हैं, लेकिन इन संस्थानों में जन्म लेने वाली संतानों में किसी भी तरह की असामान्यता नहीं देखी गई। देश का ऐसा ही एक प्रख्यात आईवीएफ संस्थान है ‘’इंदिरा आईवीएफ’’। जहां पिछले साढ़े सात सालों में लगभग 35 हज़ार महिलाओं को संतान सुख मिला है लेकिन अब तक जन्मी संतानों में किसी भी तरह की परेशानी दर्ज नहीं की गई। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि नि:संतान दंपत्तियों के लिए संतान सुख पाने का सबसे कारगर तरीका आईवीएफ ही है और इस तकनीक से गुज़रने वाले दंपत्तियों को पूरी तरह बेफिक्र हो जाना चाहिए। इन्दिरा आईवीएफ जयपुर की फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. उर्मिला शर्मा का कहना है कि कुछ समय पहले आस्ट्रेलिया के मडरेक चिल्ड्रंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमसीआरआई) ने अपने अध्ययन में कहा था कि आईवीएफ से जन्मी संताने स्कूल जाने की आयु तक अन्य संतानों की तरह ही शारीरिक, मानसिक और भावात्मक रूप से स्वस्थ होती हैं और उसके बाद भी वो सामान्य संतानों की तरह ही विकास करती हैं। मुख्य शोधार्थी डेविड एमॉर ने कहा था कि यह अध्ययन आईवीएफ संतानों के माता-पिता को सुकून प्रदान करने वाला है।

जो भी नि: संतान दम्पती आईवीएफ उपचार की ओर रुख करना चाहते हैं लेकिन मन में किसी तरह का भ्रम है तो फर्टिलिटी एक्सपर्ट से कंसल्ट करना चाहिए |

निःसंतानता से जुड़ा आपका कोई भी सवाल है तो इन्दिरा आईवीएफ कि वेबसाइट विजिट करे, अपनी समस्या लिखें। अधिक जानकारी के लिए इस नंबर 07230062729 पर कॉल करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.