करियर का सबसे कठिन दौर था टीम से बाहर रहना : रुपिंदर
छह महीने से हॉकी टीम से बाहर रहने के बाद टीम में वापसी करने वाले ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह ने कहा कि यह दौर उनके करियर का सबसे मुश्किल था।
नई दिल्ली। पिछले छह महीने से हॉकी टीम से बाहर रहने के बाद टीम में वापसी करने वाले ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह ने कहा कि यह दौर उनके करियर का सबसे मुश्किल था। इस साल अप्रैल मई में अजलन शाह कप खेलने के बाद से रुपिंदर मांसपेशी की चोट के कारण टीम से बाहर चल रहे थे।
रुपिंदर ने कहा, 'यह मुश्किल था (टीम से बाहर रहना)। यह काफी निराशाजनक था, क्योंकि चोट ठीक नहीं हो रही थी। मैं कह सकता हूं यह मेरे करियर का सबसे कठिन दौर था। पर मुझे विश्वास था कि मैं ठीक होकर जल्द टीम में वापसी करूंगा। मुझे परिजनों, दोस्तों और टीम के साथियों का पूरा सहयोग मिला। पंजाब के फरीदकोट के इस डै्रग फ्लिकर ने कहा कि यह उनके करियर की नई शुरुआत है। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, शायद भगवान की यही मर्जी थी। मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है और पहले मेरा लक्ष्य एशिया कप के जरिए लौटना था लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं चाहता था। मैंने अपना मनोबल बनाए रखने के लिए दिल्ली और बेंगलुरु में साई सेंटर पर मनोवैज्ञानिक की सलाह भी ली।
रुपिंदर ने यह भी कहा कि उनके लिए इस बार चुनौती आसान नहीं होगी क्योंकि टीम में जूनियर विश्व कप स्टार हरमनप्रीत जैसे ड्रैग फ्लिकर के रहते प्रतिस्पर्धा कड़ी है। उन्होंने कहा कि जूनियर खिलाड़ी हमें अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं। यह सच है कि इस बार प्रतिस्पर्धा बहुत कठिन है लेकिन यह भारतीय हॉकी के लिए अच्छा है। जितनी कठिन चुनौतियां होंगी, उतना ही हमारा खेल निखरेगा। हमें एक-दूसरे की कामयाबी में खुश होकर टीम की जीत में योगदान देना है। रुपिंदर की पहचान उम्दा ड्रैग फ्लिकर के रूप में भले ही हो लेकिन उनकी प्राथमिकता बतौर डिफेंडर अपने खेल पर ध्यान देना है। उन्होंने कहा कि पेनाल्टी कॉर्नर अहम है लेकिन यह मेरी प्राथमिकता नहीं है। मेरा फोकस बतौर डिफेंडर अपने स्वाभाविक खेल पर ध्यान देना है।