Move to Jagran APP

Rani Rampal Interview: मेरे दिल को हमेशा कचोटता रहेगा पदक न जीतने का गम

Rani Rampal Interview टोक्यो में शानदार प्रदर्शन करने के बाद भारत लौटीं महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा है कि ओलिंपिक खेलों में उनका कोई भी पदक नहीं जीतने का गम उन्हें हमेशा कचोटता रहेगा।

By Vikash GaurEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 07:52 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 04:59 PM (IST)
Rani Rampal Interview: मेरे दिल को हमेशा कचोटता रहेगा पदक न जीतने का गम
Rani Rampal ने दैनिक जागरण को Interview दिया है

भारतीय पुरुष हाकी टीम ने जहां टोक्यो ओलिंपिक में 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए कांस्य पदक जीता। वहीं महिला हाकी टीम ने भी चौथे स्थान पर रहते हुए सभी देशवासियों का दिल जीता। हालांकि महिला हाकी कप्तान रानी रामपाल का दिल इस बात से खुश नहीं है कि वह चौथे स्थान पर रही बल्कि उनका मानना है कि उनके दिल में हमेशा यह बात कचोटती रहेगी कि हम पदक के इतने करीब आकर उससे वंचित रह गए। टोक्यो से लौटने पर रानी रामपाल से शुभम पांडेय ने खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश :

loksabha election banner

-टोक्यो ओलिंपिक में पदक के इतने करीब आकर चूक जाना। ऐसे में कौन सा अहसास ज्यादा बड़ा है आपके लिए? चौथे स्थान पर आना या पदक से चूक जाना?

-देखिए इस बात का दर्द हमारे अंदर हमेशा बना रहेगा कि पदक के हम काफी करीब थे। 2016 रियो में हमारे पास ओलिंपिक खेलों के अनुभव की कमी थी इसलिए ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए थे लेकिन हां, टोक्यो में हमें पहले से ही ओलिंपिक में खेलने के अनुभव का फायदा हुआ। बाकी अहसास की बात करें तो पदक का ना जीतना काफी कचोट रहा है क्योंकि हम बहुत ही करीब थे। इसके अलावा एक खिलाड़ी के जीवन में ऐसे पल आते रहते हैं और उसे बहुत जल्द सबकुछ भुलाकर आगे बढ़ना होता है। यह ठीक उसी तरह से है जैसे कि आप एक मैच की हार को भुलाकर अगले मैच में उतरते हैं। हम भी इसे जल्द ही भुलाकर आगे बढ़ना चाहेंगे।

-ओलिंपिक में जाने से पहले भी रानी आपसे बात हुई थी और आपने कहा था कि हमारी टीम का फिटनेस स्तर अब यूरोपियन टीमों को हराने के लिए सक्षम है। क्या यही कारण है कि सेमीफाइनल तक का सफर तय कर सके?

जी हां, जैसा की आपने कहा कि हमारी टीम की फिटनेस का स्तर काफी शानदार हो चुका है और पिछले पांच सालों में हमने इस चीज के ऊपर काफी काम किया। हमारी टीम का प्रदर्शन काफी उच्च स्तर का रहा है। क्योंकि शुरू के तीन मैच हारना और उसके बाद वापसी करते हुए सेमीफाइनल तक जाना। अंतिम के भी जो दो मैच हम हारे हैं। उसमें भी टीम ने ज्यादा गलतियां नहीं की हैं। मेरे विचार से हमारा दिन नहीं था और पदक जीतने से चूक गए।

-ओलिंपिक में शुरू के तीन मैच हारने के बाद भी सेमीफाइनल तक का सफर तय करना। ऐसा क्या हुआ था उस समय की तीन हार के बावजूद टीम में एक नया जोश और उत्साह देखने को मिला?

-पहले तीन मैच हारने के बाद माहौल काफी गमगीन हो गया था। टीम के खिलाड़ियों से लेकर सपोर्ट स्टाफ तक सभी काफी निराश थे और कोच शोर्ड मारिन ने भी कहा कि आप किस तरह हाकी खेल रहे हैं। मैं आपके साथ काफी सालों से काम कर रहा हूं। इस तरह की हाकी खेलने का आपका अंदाज नहीं है। खासतौर पर ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ टीम ने जिस तरह मैच छोड़ दिया था। उस चीज से सब काफी निराश थे। हालंकि इसके बाद उन्होंने प्रेरित भी किया और मैंने भी अपनी टीम से कहा था कि जो हो गया उसे भुला दीजिए और हमें अच्छी हाकी खेलनी है। नतीजे की परवाह नहीं करनी है।

-कोच ने शुरू की तीन हार के बाद एक फिल्म दिखाकर टीम को प्रेरित किया था। उसका नाम क्या आपको मालूम है। किस तरह की मूवी थी, जिससे प्रेरित होकर टीम ओलिंपिक में पदक के इतने करीब पहुंच सकी?

-सच बात तो यह है कि मुझे भी उस फिल्म का नाम नहीं पता है। उस मूवी में बस यही दिखा रहे थे कि एक एथलीट होता है, वह खुद को वर्तमान की स्थिति में रखने के लिए एक कमरे में बंद कर लेता है। इस तरह की वह फिल्म थी, मुझे बस उस मूवी से यही समझ आया कि कोच मरीन हमसे वर्तमान में रहने की बात कर रहे हैं और पिछली तीन हार को भुलाने के लिए उन्होंने यह सब कुछ किया। इस मूवी के बाद वाकई टीम प्रेरित हुई और हम सबने आगे अच्छी हाकी खेली।

-ओलिंपिक से पहले आपके कोच मरीन ने कहा था कि उनका लक्ष्य इस टीम को क्वार्टर फाइनल तक लेकर जाना है लेकिन आप लोग सेमीफाइनल तक खेलें और अब वह टीम को छोड़कर भी जा रहे हैं। उनके लिए आप क्या कहना चाहेंगी?

-देखिए ओलिंपिक में कोई भी टीम जब खेलने जाती है न तो उसका प्रमुख लक्ष्य क्वार्टरफाइनल ही होता है। क्योंकि उसके बाद खेल पूरी तरह से खुल चुका होता है और सबको एक-दूसरे के खेल की पूरी तरह से जानकारी हो चुकी होती है। अब वह जा रहे हैं तो हमें उनकी काफी याद आएगी लेकिन उन्होंने एक साल पहले ही बता दिया था कि वह ओलिंपिक के बाद नहीं रुकेंगे। अगर कोरोना न होता तो वह पिछले साल ही चले गए होते। हम उनके फैसले का सम्मान भी करते हैं। अपने परिवार से दूर रहकर दूसरे देश में काम करना इतना आसान नहीं होता है। उनके सानिध्य में टीम ने काफी कुछ सीखा है, जिसे हम आगे भी जारी रखना चाहेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.