Lalit Upadhyay exclusive interview: मैच से पहले टोटका करता हूं : ललित उपाध्याय
टीम के साथी मुझे पंडित बुलाते हैं। मुझे तो यह इतना पसंद है कि मैं इसी नाम की टी-र्शट पहनकर खेलना चाहता हूं। हालांकि नियम की वजह से यह संभव नहीं है। कप्तान मनप्रीत का निक नेम कोरियन और हरमनप्रीत का हैनी है।
साक्षात्कार। बर्मिघम कामनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीतने वाली भारतीय हकी टीम के सदस्य और ललित उपाध्याय ने बताया कि मैच से पहले टीम के कई खिलाड़ी टोटका करते हैं और वह भी ऐसा करते हैं। उनका कहना है कि हर किसी की अपनी आस्था होती है। विभिन्न मुद्दों को लेकर देवेंद्र नाथ सिंह ने ललित उपाध्याय से की खास बातचीत, पेश हैं मुख्य अंश: -
आमतौर पर खिलाड़ी एक-दूसरे का निक नेम रखते हैं। आपको किस नाम से बुलाते हैं?
टीम के साथी मुझे पंडित बुलाते हैं। मुझे तो यह इतना पसंद है कि मैं इसी नाम की टी-र्शट पहनकर खेलना चाहता हूं। हालांकि नियम की वजह से यह संभव नहीं है। कप्तान मनप्रीत का निक नेम कोरियन और हरमनप्रीत का हैनी है। ये नाम मैच के दौरान बहुत काम आते हैं। मैदान में लंबे-लंबे नामों से एक-दूसरे को पुकारना संभव नहीं होता।
मैच के बाद स्वयं को आराम देने के लिए क्या करते हैं?
मैं आइस बाथ लेता हूं। मौसम चाहे कितना भी ठंडा हो, पांच से सात मिनट का आइस बाथ जरूर लेता हूं। बर्मिंघम में भी मैंने हर मैच के बाद ऐसा किया। कई बार तो ऐसा हुआ कि तापमान एक या दो डिग्री सेल्सियस रहा, तब भी आइस बाथ लिया। यह मुझे आराम देता है।
कई खिलाड़ी मैच से पहले टोटका करते हैं। क्या आप भी ऐसा कुछ करते हैं?
यह व्यक्तिगत सवाल है, लेकिन इसका जवाब हां है। मैं टोटका क्या करता हूं, यह नहीं बता सकता, क्योंकि टोटका बताया नहीं जाता। मैं ही नहीं, कई साथी खिलाड़ी भी ऐसा करते हैं। हर किसी की अपनी आस्था और सोच है। इस बारे में कोई किसी को कुछ बताता नहीं और न कोई पूछता है।
कोई महत्वपूर्ण मैच हारने के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल कैसा रहता है?
मैच के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल बेहद दोस्ताना होता है। ग्राउंड पर हुई गलतियां किसी पर थोपी नहीं जाती। उन गलतियों से सीखकर आगे उसमें सुधार कैसे किया जा सकता है, इस पर चर्चा ज्यादा होती है। हर कोई एक-दूसरे का हौसला बढ़ाता है। मैच में आपसी तालमेल बहुत जरूरी होता है। इसकी शुरुआत ड्रेसिंग रूम से ही होती है।
आपने तो दुनिया के कई देशों की यात्रा कर ली, सबसे अच्छा देश कौन सा लगा?
बचपन में घर की छत से हवाई जहाज को देखते थे। अब हवाई यात्रा बहुत ज्यादा करते हैं। खेल के चलते दुनिया के कई देशों में जाने का मौका मिला। प्रकृति से प्रेम है, इसलिए मुझे सबसे ज्यादा न्यूजीलैंड पसंद है। उस देश में टूर्नामेंट हो तो मैच के बाद झील के किनारे बैठ जाता हूं। बहुत सुकून मिलता है और खेल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।-
विदेश में मैच खेलने के दौरान खाने को लेकर कितनी परेशानी होती है?
कोई खास परेशानी तो नहीं होती है, लेकिन दाल, रोटी, चावल आदि घर जैसा खाना मिल जाए तो मजा आ जाता है। कई बार होता है कि विदेश में भारतीय मिल जाते हैं। वो हमें अपने घर खाने पर ले जाते हैं तो हम लोग भरपेट मनपसंद का खाना खाते हैं।