हॉकी वर्ल्डकप: ऑस्ट्रेलिया को चुनौती देने उतरेगी नीदरलैंड्स की टीम
ऑस्ट्रेलिया के पास 2010 और 2014 में चैंपियन बनने के बाद यहां खिताबी हैटिक पूरा करने का मौका होगा।
(अशोक ध्यानचंद, 1975 वर्ल्डकप की विजेता भारतीय टीम के सदस्य)
भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में 14वें हॉकी विश्व कप के सेमीफाइनल में पिछले दो बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया की टीम नीदरलैंड्स के खिलाफ शनिवार को उतरेगी। दोनों टीमें अब तक तीन-तीन बार विश्व चैंपियन बन चुकी हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के पास 2010 और 2014 में चैंपियन बनने के बाद यहां खिताबी हैटिक पूरा करने का मौका होगा।
हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि दो-तीन साल पहले जो ऑस्ट्रेलियाई टीम नजर आती थी, अब यह टीम वैसी नहीं रही। पहले की ऑस्ट्रेलियाई टीम में तेजी थी और उसे जवाबी हमले का मास्टर माना जाता था, लेकिन अब उसका वैसा खेल देखने को नहीं मिल रहा है। 2014 के विश्व कप के खिताबी मुकाबले में नीदरलैंड्स को हराने वाल ऑस्ट्रेलियाई टीम से कई नाम गायब हैं।
इस टीम में ना तो जेमी डायर हैं, ना मार्क नोवेल्स और ना ही ग्लेन टर्नर। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया का जो खेलने का जो तरीका है, वह अभी भी बरकरार है। इसके खिलाड़ी विरोधी टीम के डी के आस-पास मधुमक्खियों के झुंड की तरह मंडराते रहते हैं और यह आज भी बरकरार है। इससे उसे आज भी गोल करने के ज्यादा मौके मिलते हैं। यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू है। डिफेंस भी इनका बढ़िया है। इनका गोलकीपर अच्छा है। ऐसे में यह एक संतुलित टीम नजर आ रही है।
क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड्स ने मेजबान भारत को 2-1 हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई है, जिसका थोड़ा सा उसको मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा। भारत के खिलाफ नीदरलैंड्स को एक मुश्किल चुनौती मिली थी। एक मेजबान टीम को एक कड़े मुकाबले में हराने से नीदरलैंड्स को मनोवैज्ञानिक रूप से फायदा पहुंचेगा। ऐसे में नीदरलैंड्स से भी खेल की गुणवत्ता में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और दिलचस्प मुकाबला होगा। इन दोनों देशों के बीच पिछले कुछ वर्षो में कई नजदीकी मुकाबले देखने को मिले हैं।
2013 के बाद इन दोनों देशों के बीच कुल 11 मुकाबले हुए हैं जिसमें पांच में ऑस्ट्रेलिया विजयी रहा है, जबकि चार नीदरलैंड्स के नाम रहे हैं और दो मुकाबले ड्रॉ रहे। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया पर नीदरलैंड्स का पलड़ा थोड़ा भारी नजर आ रहा है। नीदरलैंड्स के पास कुछ अच्छे खिलाड़ी हैं और उसके कप्तान भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस टीम में अभी तक कोई कमी नजर नहीं आई है। नीदरलैंड्स ने पिछली बार 1998 में विश्व कप जीता था। ऐसे में उसकी नजर 20 साल के सूखे को खत्म करने पर होगी।