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गौरी शंकर सिंह के जज्बे को सलाम, पीएफ के पैसों से बना दिया खेल का मैदान, कहानी जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

2001 में यूपी कॉलेज से जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद से अवकाश प्राप्त करने पर उन्हें पीएफ के 12.50 लाख रुपये मिले।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 12:12 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 10:49 AM (IST)
गौरी शंकर सिंह के जज्बे को सलाम, पीएफ के पैसों से बना दिया खेल का मैदान, कहानी जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे
गौरी शंकर सिंह के जज्बे को सलाम, पीएफ के पैसों से बना दिया खेल का मैदान, कहानी जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

वाराणसी, कृष्ण बहादुर रावत। जीव विज्ञान के प्रवक्ता रहे 76 साल के गौरी शंकर सिंह ने सेवानिवृत्त होने के बाद वह राह चुनी, जो खेल में युवाओं का भविष्य गढ़ रही है। पीएफ (भविष्य निधि) की राशि से उन्होंने पौने छह बीघा जमीन में खेल मैदान तैयार कराया, जहां करीब 150 बच्चे आज हॉकी के गुर सीखते हैं। वह प्रतिदिन 20 किलोमीटर दूरी तय कर खेल मैदान पर जाते हैं।

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2001 में यूपी कॉलेज से जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद से अवकाश प्राप्त करने पर उन्हें पीएफ के 12.50 लाख रुपये मिले। उन्होंने उससे हरहुआ के पास करोमा में करीब छह बीघा जमीन खरीद कर खेल मैदान तैयार कराया।गौरी शंकर बताते हैं कि नौकरी के दौरान उन्होंने 1971 से यूपी कॉलेज में बच्चों को हॉकी का प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया। इनसे प्रशिक्षित युवाओं में आज 20 अंतरराष्ट्रीय और 100 से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं।

खास यह कि इसके लिए सरकारी मदद नहीं ली। खेल में योगदान को लेकर 2011 में इनके ऊपर ‘एंड वी प्ले ऑन’ नाम से बनी गैर फीचर फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

बेटों को बनाया खिलाड़ी 

गौरी शंकर और उनकी पत्नी पद्मा सिंह (राष्ट्रीय स्तर की एथलीट) ने अपने बच्चों से पूछा कि आगे क्या करना है। सभी ने उत्तर दिया खेलना है। दो बेटे स्वर्गीय विवेक सिंह और राहुल सिंह हॉकी में ओलंपिक तक पहुंचे। प्रशांत सिंह ने हॉकी में व राजन सिंह ने बैडमिंटन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कौशल दिखाया। अनन्य सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर बैडमिंटन में और सीमांत सिंह ने रणजी ट्रॉफी में नाम कमाया।

संजोई बेटे विवेक की याद 

बेटे ओलंपियन विवेक सिंह के मात्र 33 वर्ष की आयु में निधन होने के बाद उनकी स्मृति हमेशा जिंदा रखने के उद्देश्य से गौरी शंकर ने करोमा में खरीदी गई जमीन पर खेल मैदान तैयार कर 2005 में विवेक सिंह हॉकी अकादमी खोलकर बच्चों को मुफ्त प्रशिक्षण देने की शुरुआत की। जिस बेटे के नाम पर गौरी शंकर सिंह अकादमी चलते हैं उनकी मृत्यु कैंसर से हुई थी।

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