पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह विश्व कप में जर्मनी को करेंगे सपोर्ट
संदीप सिंह को भारतीय हॉकी टीम के बेहतरीन पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता था।
साक्षात्कार :
हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले संदीप सिंह को भारतीय हॉकी टीम के बेहतरीन पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता था। जनवरी 2004 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, लेकिन 2006 में राजधानी एक्सप्रेस में एक हादसे के दौरान उन्हें गोली लग गई। दो साल उन्होंने व्हील चेयर पर बिताए। अपने बुलंद हौसले और जज्बे के चलते वह न सिर्फ पूरी तरह ठीक हुए, बल्कि भारतीय टीम में लौटे और 2009 में कप्तान भी बने। अब उन पर हिंदी और पंजाबी भाषा में सूरमा नाम की फिल्म बन रही है, जिसमें उनकी भूमिका दिलजीत दोसांझ निभा रहे हैं। पेश है संदीप सिंह से उमेश राजपूत की खास बातचीत के प्रमुख अंश :-
-नीदरलैंड्स में 23 जून से शुरू होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए सरदार सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा और रमनदीप सिंह की वापसी हुई। भारतीय टीम के चयन पर क्या कहेंगे?
-जब भी कोई नई टीम बनती है या कोई नया टूर्नामेंट आता है तो उसमें एक-दो बदलाव तो होते ही हैं। ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि यदि हर खिलाड़ी यह सोचने लगे कि उसकी जगह पक्की है तो टीम के प्रदर्शन में निश्चित ही गिरावट आएगी। आप अच्छा खेल रहे हैं तो ठीक है, नहीं तो खराब खेलने पर खिलाड़ी को इस बारे में बताना जरूरी होता है।
-कॉमनवेल्थ गेम्स में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब भारतीय टीम के लिए कितनी बड़ी चुनौती है?
-हमें चैंपियंस ट्रॉफी में बिना किसी तनाव के खेलना चाहिए, क्योंकि हमें जितने भी प्रयोग करने हैं, हम यहां कर सकते हैं। यदि हम एशियन गेम्स और विश्व कप में प्रयोग करेंगे तो हमें उसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है।
-क्या पुरुष और महिला टीमों के कोचों को आपस में बदलकर हॉकी इंडिया ने अपनी गलती सुधारी है?
-यह फेडरेशन का फैसला है। इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन हरेंद्र सिंह काफी अनुभवी कोच हैं। वह पहले भी सीनियर पुरुष टीम के साथ काम कर चुके हैं। उन्हें पता है कि खिलाड़ी से कैसे प्रदर्शन लेना है। उनके अंदर टीम को चैंपियन बनाने की क्षमता है।
-पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ की भूमिका में अब भारतीय खिलाड़ी कमजोर नजर आते हैं?
-यह भूमिका हमेशा ही बहुत अहम होती है, चाहे वह किसी भी टीम में हो। आज जितने भी खिलाड़ी इस भूमिका को निभाते हैं उन्हें काफी मेहनत करने और सीखने की जरूरत है, क्योंकि अब सारा खेल तकनीक का है। हर गोलकीपर आपके वीडियो देखता है और उसके हिसाब से अपनी रणनीति तैयार करता है। ऐसे में आपको भी अपने में विविधता लानी होगी।
-आपके ऊपर फिल्म बनाना कितनी खुशी की बात है?
-मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है। बहुत अच्छा लगता है जब इस तरह के पल जीवन में आते हैं। इस फिल्म में मेरे पूरे करियर का संघर्ष दिखाया जाएगा, जिससे नए खिलाड़ी प्रेरणा ले सकेंगे।
-भविष्य में हॉकी में आप अपनी क्या भूमिका देखते हैं?
-मैं जरूर राष्ट्रीय टीम के साथ जमीनी स्तर पर काम करूंगा, ताकि मैं आने वाली पीढ़ी को कुछ ऐसा दे सकूं जिसका वे फायदा उठा सकें और उसे आगे ले जा सकें।
-फीफा विश्व कप के लिए आपकी पसंदीदा टीम कौन सी है?
-फीफा विश्व कप एक ऐसा टूर्नामेंट है जिसे हर देश के लोग और खिलाड़ी पसंद करते हैं। हर भारतीय किसी दूसरी टीम को ऐसे सपोर्ट करता है जैसे कि वह उसका दूसरा देश हो। मेरे लिए फीफा विश्व कप में मेरी दूसरा देश जर्मनी है। जर्मनी के खिलाड़ी काफी युवा हैं। उनका खेलने का तरीका और कोच की रणनीति अलग होती है। मैं चाहूंगा कि जर्मनी विश्व कप जीते।