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अब इंटरनेशल मैचों में नहीं दिखेगा भारत के इस पूर्व कप्तान का जलवा, लिया संन्यास

सरदार के करियर की उपलब्धियां सरदार सिंह ने भारत के लिए सीनियर टीम में पदार्पण पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 08:16 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:39 AM (IST)
अब इंटरनेशल मैचों में नहीं दिखेगा भारत के इस पूर्व कप्तान का जलवा, लिया संन्यास
अब इंटरनेशल मैचों में नहीं दिखेगा भारत के इस पूर्व कप्तान का जलवा, लिया संन्यास

नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान सरदार सिंह ने बुधवार को अपने चमकदार करियर को अलविदा कहने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पिछले 12 साल में वह काफी हॉकी खेल चुके हैं और अब युवाओं के जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है।

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सरदार ने कहा कि उन्होंने एशियन गेम्स में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह फैसला किया, जिसमें भारत अपने खिताब का बचाव करने में असफल रहा और उसे कांस्य पदक के साथ संतोष करना पड़ा। सरदार की उम्र भी बढ़ रही है और अब उनके खेल में पहले जैसी फुर्ती देखने को नहीं मिलती, जिससे एशियन गेम्स के दौरान उनके प्रदर्शन की काफी आलोचना हुई।

पूर्व कप्तान ने कहा, 'हां, मैंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने का फैसला किया है। मैंने अपने करियर में काफी हॉकी खेली है। 12 साल का समय बहुत लंबा होता है। अब भविष्य की पीढ़ी के लिए जिम्मेदारी संभालने का समय आ गया है। मैंने चंडीगढ़ में अपने परिवार, हॉकी इंडिया और अपने दोस्तों से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला किया है।

मुझे लगता है कि अब हॉकी से आगे के बारे में सोचने का सही समय आ गया है।' दिलचस्प बात है कि जकार्ता में एशियन गेम्स के दौरान सरदार ने कहा था कि उनके अंदर काफी हॉकी बची है और उन्होंने 2020 में टोक्यो में अपना अंतिम ओलंपिक खेलने की इच्छा जताई थी।

शुक्रवार को करेंगे आधिकारिक घोषणा 

हॉकी इंडिया ने बुधवार को राष्ट्रीय शिविर के लिए 25 सदस्यीय मजबूत कोर ग्रुप की घोषणा की, जिसमें सरदार का नाम शामिल नहीं था, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें संन्यास लेने के लिए बाध्य किया गया, लेकिन इस दौरान ही उन्होंने यह फैसला किया। शिविर की टीम से बाहर किए जाने के बारे में पूछने पर सरदार ने इस सवाल को टालते हुए कहा कि वह शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रेस वार्ता के दौरान अपने संन्यास की आधिकारिक घोषणा करेंगे।

फिटनेस कारण नहीं 

उम्र के साथ वह थोड़े धीमे जरूर हुए, लेकिन सरदार अब भी भारतीय टीम के सबसे फिट खिलाडि़यों में से एक हैं। उन्होंने कहा, 'इस फैसले के पीछे फिटनेस कारण नहीं है। मैं कुछ और साल तक हॉकी खेलने के लिए पूरी तरह फिट हूं, लेकिन हर चीज का समय होता है और मुझे लगता है कि अब मेरे लिए जीवन में आगे बढ़ने का समय आ गया है।' सरदार ने कहा कि उन्होंने अपना फैसला मुख्य कोच हरेंद्र सिंह को बता दिया है और उन्होंने यह भी कहा कि वह घरेलू सर्किट में हॉकी खेलना जारी रखेंगे। 

विवाद से भी रहा नाता 

हरियाणा के सिरसा के इस खिलाड़ी का करियर विवादों से दूर नहीं रहा। उन पर भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला ने दुष्कर्म का आरोप भी लगाया था जिससे उन्होंने हमेशा इनकार किया था। उन्हें इस मामले में लुधियाना पुलिस के विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट मिल गई थी। 

शानदार रहा सफर

सरदार के करियर की उपलब्धियां सरदार सिंह ने भारत के लिए सीनियर टीम में पदार्पण पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्य पंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं। 32 वर्ष के इस खिलाड़ी ने देश के लिए 350 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 2008 से लेकर 2016 तक आठ साल तक राष्ट्रीय टीम की कप्तानी भी संभाली। इसके बाद टीम की कमान पीआर श्रीजेश को सौंप दी गई।

वर्ष 2008 सुल्तान अजलन शाह कप में टीम की अगुवाई के दौरान वह भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने थे। उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2015 में पद्मश्री से नवाजा गया। उन्होंने उसे ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम से बाहर किए जाने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की और चैंपियंस ट्रॉफी के लिए शानदार वापसी की, जिसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता।

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