भारतीय टीम को खल रही एसवी सुनील व आकाशदीप की कमी, 7-1 की करारी हार पचाना आसान नहीं : धनराज पिल्लै
धनराज पिल्लै ने अपन कालम में कहा कि टीम को फ्रंटलाइन पर एसवी सुनील और आकाशदीप जैसे सीनियर खिलाड़ियों की सेवाओं की कमी खली। टीम का ऐलान करते वक्त हाकी इंडिया को इनके नाम पर विचार करना चाहिए था।
धनराज पिल्लै का कालम। टोक्यो ओलिंपिक में खेलों की दुनिया का ये बेहद उतार-चढ़ाव वाला हफ्ता रहा। सबसे पहले तो भारोत्तोलन में देश को पदक दिलाने के लिए मीराबाई चानू को बहुत बधाई। भारतीय खेलों में उनका ये रजत पदक मील का पत्थर होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ऐतिहासिक पदक जीतने का उनका सफर आने वाली पीढि़यों को प्रेरित करने का काम करेगा। अब हाकी की बात करते हैं। रविवार का दिन सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि देशभर के हॉकी प्रेमियों के लिए बेहद निराशाजनक रहा। आस्ट्रेलिया के हाथों मिली 7-1 की करारी शिकस्त को पचाना बिल्कुल भी आसान नहीं है। हमें एक ऐसी टीम के हाथों खेल के हर विभाग में मात मिली, जो कौशल, रणनीति और मानसिक तौर पर हमसे काफी मजबूत साबित हुई।
मुझे लगता है कि टीम को फ्रंटलाइन पर एसवी सुनील और आकाशदीप जैसे सीनियर खिलाड़ियों की सेवाओं की कमी खली। टीम का ऐलान करते वक्त हाकी इंडिया को इनके नाम पर विचार करना चाहिए था। वो इसलिए क्योंकि अपनी प्रतिभा के अलावा वो टीम में अनुभव भी लेकर आते हैं। इससे दबाव के पलों में भारतीय टीम को काफी फायदा मिलता। उदाहरण के लिए आस्ट्रेलियाई कप्तान एडी ओकेनडेन को देखिए, जो अपने अनुभव का इस्तेमाल सिर्फ मिडफील्ड में ही नहीं करते बल्कि फारवर्ड लाइन में अपनी क्षमता दिखाते हैं। आस्ट्रेलियन थिंकटैंक ने उनके अनुभव, कौशल और परिपक्वता का अच्छा इस्तेमाल किया। आस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड्स जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में वो कभी भी अपनी रणनीति से पीछे नहीं हटते हैं। वो अपने तुरुप के इक्कों का सावधानी से इस्तेमाल करते हैं और अहम मौकों पर उन्हें मैच में झोंकते हैं। ये वो रणनीति है जो भारतीय टीम में नजर नहीं आई।
भारतीय टीम अपने तीसरे मुकाबले में स्पेन का सामना करेगी। उम्मीद है कि मनप्रीत सिंह और उनकी टीम पिछली हार को भुलाते हुए एकजुट प्रदर्शन करेगी। टीम के लिए अहम है कि वो नए सिरे से ताजा शुरुआत करे। टीम को मेरा संदेश यही है, गलतियों से सबक सीखो और नतीजे की परवाह मत करो। कई सारे सबक में से एक ये भी है कि विरोधी टीम की गति के अनुसार खेलने की कोशिश न करें। कभी-कभी खेल को धीमा करना और गेंद को रोटेट करना भी उतना ही जरूरी होता है ताकि विरोधी टीम को दबदबा बनाने का मौका न दिया जा सके। स्पेन अपनी तेज और आक्रामक हॉकी के लिए जाना जाता है। उन्हें न्यूजीलैंड के हाथों मिली हार परेशान कर रही होगी। वो एक ऐसे जख्मी शेर की तरह हैं जो दोबारा दहाड़ने के लिए तैयार है। मुझे उम्मीद है कि भारत के पास स्पेन का सामना करने के लिए पर्याप्त हथियार होंगे। तो, उठ खड़े हो जाओ खिलाड़ियों, सकारात्मक हॉकी खेलो, शांत दिमाग रखो, तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ अभी आना बाकी है।