कैसे 2300 मजदूरों के सहारे रातों-रात तैयार हुआ हॉकी का ऐतिहासिक स्टेडियम? मिला ये खास अवार्ड
Birsa Munda International Hockey Stadium। 24 मार्च को एशियाई हॉकी महासंघ ने हॉकी इंडिया को विश्व कप की शानदार मेजबानी के लिृए सर्वश्रेष्ठ मेजबान पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह शामिल रहे।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। Birsa Munda Stadium। 24 मार्च को एशियाई हॉकी महासंघ ने हॉकी इंडिया को विश्व कप की शानदार मेजबानी के लिृए 'सर्वश्रेष्ठ मेजबान' पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कोरिया के मुंगयोंग में आयोजित एशियन हॉकी फेडरेशन कांग्रेस के दौरान इस खास अवार्ड को हासिल किया।
बता दें कि हाल ही में FIH हॉकी मेंस वर्ल्ड कप के लिए भुवनेश्वर और राउरकेला में आयोजित किया गया था, जिसमें दुनिया भर के 16 देशों ने हिस्सा लिया था। भुवनेश्वर के कलिंगा हॉकी स्टेडियम ने पहले 2018 FIH हॉकी विश्व कप की मेजबानी की थी, लेकिन राउरकेला में नए निर्माण किए गए बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम ने हॉकी प्रशंसकों का ध्यान खींचा, ऐसा इसलिए क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम है। ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं राउरकेला के बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम कैसे मजदूरों के सहारे रातों-रात तैयार हुआ?
Birsa Munda Stadium को मिला यह खास अवार्ड
दरअसल, राउरकेला के नए निर्मारित बिरसा मुंडा स्टेडियम को साल 2023 हॉकी विश्व कप मैचों के लिए चुना गया था। इस स्टेडियम में भारत का पहला मैच स्पेन के खिलाफ 13 जनवरी को खेला गया। इसके दो दिन बाद भारत का दूसरा मुकाबला भी इसी स्टेडियम में हुआ। बता दें कि भारत के साथ कई अलग-अलग मुकाबलों में यह स्टेडियम प्रशंसकों से फुल भरा हुआ था।
अगर बात करें इस स्टेडियम की खासियत की तो बता दें कि स्टेडियम को 146 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। स्टेडियम की कुल क्षमता 21 हजार दर्शकों की है और यह देश का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम है। यह दुनिया में सबसे बड़े स्टेडियम में से एक है। मुख्य टर्फ के अलावा इसमें मुख्य स्टेडियम, फिटनेस सेंटर, हाइड्रोथेरेपी पूल, ड्रेसिंग और चेंजिंग रूम, कनेक्टिंग टनल और पांच सितारा आवास, 250 कमरे हैं जहां 400 खिलाड़ी रह सकते हैं। स्टेडियम में आने वालों के लिए प्रवेश और निकास के लिए छह द्वार हैं। इसके अलावा दो और चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था है।
बता दें कि हॉकी विश्व कप 2023 से पहले इस स्टेडियम का इंफ्रास्ट्रक्चर में खास बदलाव किया गया था। कुल 2300 मजदूर हर रोज 20 घंटे इस स्टेडियम को खास और मोडुलर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते थे। जिसके बाद हाल ही में बिरसा मुंडा स्टेडियम को एशियन हॉकी फेडरेशन अवार्ड मिला है।
When 2,300 construction professionals get together to put in 20 hours of relentless hard work everyday for 15 months, you get to witness the construction of an architectural wonder. 'Superstructures Birsa Munda Hockey Stadium, Rourkela’, 25th Mar, at 7PM, on National Geographic. pic.twitter.com/0uBrXwNqjC— Nat Geo India (@NatGeoIndia) March 24, 2023