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खराब परीक्षा परिणाम के लिए हम नहीं सरकार जिम्मेदार

सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने खराब रिजल्ट के बदले वेतन वृद्धि में कटौती करने के सरकार के फैसले का विरोध किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 08:50 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 08:50 PM (IST)
खराब परीक्षा परिणाम के लिए हम नहीं सरकार जिम्मेदार
खराब परीक्षा परिणाम के लिए हम नहीं सरकार जिम्मेदार

संवाद सहयोगी, ऊना : सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने खराब रिजल्ट के बदले वेतन वृद्धि में कटौती करने के सरकार के फैसले का विरोध किया। बुधवार को जिला के हर स्कूल में अध्यापकों नेसरकार के इस फैसले का जबरदस्त विरोध किया। शिक्षक दिवस के दिन काले बिल्ले लगाकर अपना विरोध जताया। सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की। चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपना यह निर्णय जबरन शिक्षकों पर थोपा तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा। पूर्व की स्थिति समय रहते बहाल नहीं की गई तो आंदोलन सड़कों का रुख भी कर सकता है।

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जिला शिक्षक संघ ने सरकार को 21 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया है। उधर, जिला राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने कहा शिक्षक वर्ग शिष्यों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्राथमिकता के आधार पर अपनाया जा रहा है लेकिन सरकार द्वारा जबरन अपना निर्णय शिक्षकों पर थोपना तर्कसंगत नहीं है।

संजीव ठाकुर ने कहा खराब रिजल्ट के लिए शिक्षक नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है। अध्यापकों से गैर शैक्षणिक काम लेना रिजल्ट की गिरावट का कारण है। मांगें शिक्षा मंत्री तक पहुंचाई थीं, आश्वासन भी मिला लेकिन अब तक उसपर कोई पहल नहीं हो पाई है। यदि सरकार ने समय रहते इस फरमान को वापस नहीं लिया तो वह इस निर्णय के फेरबदल के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे। कहा जिले के शिक्षक एकजुट हैं। वे बेहतर शिक्षा परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षक पढ़ाई के अलावा भी दूसरे अन्य सरकारी कामों में भी अपनी सेवाएं कई दशक से देते आ रहे हैं, सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए।

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ये हैं मांगें

-25 फीसद से कम रिजल्ट देने वाले शिक्षकों की वेतन वृद्धि पर रोक का सरकारी फरमान तुरन्त प्रभाव से हटाया जाए।

-पुराने नियमों के तहत पेंशन बहाल करने के लिए कमेटी का गठन किया जाए।

-4-9-14 टाइम स्केल को मूलरूप से लागू किया जाए।

-संयुक्त समन्वयक समिति की बैठकों का आयोजन किया जाए।

-पीजीटी के स्थान पर प्रवक्ता का पदनाम देना चाहिए।

- प्रधानाचार्य पदों पर नियमित पदोन्नति हो।

- डीपीई को शारीरिक शिक्षा प्रवक्ता का पदनाम दिया जाए।

-शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी पदनाम दिया जाए।

-अनुबंध से नियमित हुए अध्यापकों को अनुबंध की पहली नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता का लाभ दिया जाए।

- वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने समेत अन्य कई मांगें हैं।

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इसलिए हो रहा विरोध

सरकार व शिक्षा विभाग ने खराब रिजल्ट पर स्कूलों को फटकार लगाई थी। 25 फीसद से कम परीक्षा परिणा आने पर संबंधित शिक्षकों की वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी थी, जिससे शिक्षक वर्ग नाराज है। जबकि सरकार अपने इस फैसले पर अडिग है।


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