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धार्मिक नगरी में सड़कों की हालत खस्ता, ट्रैफिक जाम भी बड़ी समस्या

चिंतपूर्णी क्षेत्र में आम जनता के हित से संबंधित कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें सरकार या तो तव्वजो नहीं देती है या फिर ऐसी समस्याओं को इसलिए अधिमान नहीं दिया जाता है क्योंकि उक्त समस्याएं सरकार की नजर में बड़ी नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:20 PM (IST)
धार्मिक नगरी में सड़कों की हालत खस्ता, ट्रैफिक जाम भी बड़ी समस्या
धार्मिक नगरी में सड़कों की हालत खस्ता, ट्रैफिक जाम भी बड़ी समस्या

संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : चिंतपूर्णी क्षेत्र में आम जनता के हित से संबंधित कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें सरकार या तो तव्वजो नहीं देती है या फिर ऐसी समस्याओं को इसलिए अधिमान नहीं दिया जाता है क्योंकि उक्त समस्याएं सरकार की नजर में बड़ी नहीं हैं। क्षेत्र की ऐसी ही कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनको लेकर आए दिन श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय जनता को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।

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मोईन बाईपास की हालत खस्ता

¨चतपूर्णी के समनोली बाईपास से मोईन-भरवाई सड़क की खस्ता हालत को लेकर ग्रामीणों में भारी रोष है। जगह-जगह से टूटी यह सड़क कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। ¨चतपूर्णी के समनोली रोड की खड़ी उतराई पर सड़क के बीचोंबीच पड़े गड्ढों से कई छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन मरम्मत न होने से से हादसों की आशंका और बढ़ गई है। मेले के दिनों में सड़क पर बने गड्ढों पर प्रशासन मिट्टी डालकर इस समस्या पर भी मिट्टी डालने का प्रयास करता है, लेकिन जनता यह जानना चाहती है कि कब इस सड़क की हालत सुधरेगी।

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शंभू बाईपास पर ट्रैफिक सिस्टम के हाल भी बुरे

कस्बे में ट्रैफिक सिस्टम और पार्किंग के हाल बेहाल हैं। समय के साथ इस धार्मिक नगरी में ट्रैफिक अव्यवस्था एक बड़ा रोग बनती जा रही है, वहीं पार्किंग के अभाव में भी लोगों को हर दिन परेशान होना पड़ता है। स्थिति यह बन चुकी है कि ट्रैफिक के बढ़ते दबाव से निपटना अब स्थानीय पुलिस-प्रशासन के लिए भी मुसीबत बनता जा रहा है। भीड़ वाले दिनों में मंदिर परिसर की तरफ के क्षेत्र, शंभू बाईपास, तलवाड़ा बाईपास में बेतरतीब खड़े वाहनों से घंटों तक जाम नहीं खुल पाता है।

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कूड़ा निस्तारीकरण का ठोस उपाय नहीं

बेशक धार्मिक नगरी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन द्वारा कूड़ा निस्तारीकरण के लिए सरकारी नीति कई वर्ष पूर्व बन गई थी, लेकिन ऐसी योजनाएं जमीन पर उतरने से पहले ही दम तोड़ गई। कूड़ा जलाने के लिए जिस संयंत्र को मंदिर न्यास ने खरीदा, वह कुछ समय बाद ही काम करना छोड़ गया। अब हालात यह हैं कि इस प्रक्रिया के बाद से सैंकड़ों टन कचरा बहकर वन्य क्षेत्रों में पहुंच रहा है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। हालांकि कई बार न्यास इस कूड़े को जला भी देता है, लेकिन जहरीली गैसों के धुएं से वनस्पति को बेहद नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा प्लास्टिक की गंदगी नालों से होती हुई वन्य क्षेत्र में समा रही है। इस बारे में मंदिर न्यासी राकेश समनोल, विजय कुमार और नरेन्द्र कालिया ने कहा मंदिर न्यास क्षेत्र की समस्याओं के हल के लिए सदैव सकारात्मक प्रयास करता रहा है और भविष्य में भी प्रदेश में बनने वाली नई सरकार न्यास की यह मुहिम जारी रखनी चाहिए। समनोली बाईपास को लेकर न्यास को गंभीरता दिखानी चाहिए तो ट्रैफिक अव्यवस्था का हल अब निर्मित हो चुके पार्किंग परिसर से हो जाएगा। इसके अलावा कूड़ा निस्तारीकरण के उपायों की भी नए सिरे से समीक्षा करनी चाहिए।

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पेयजल व्यवस्था के निराकरण के लिए न्यास ने आइपीएच विभाग को बजट उपलब्ध करवाया है।

आरके जसवाल, एसडीओ , मंदिर न्यास चिंतपूर्णी


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